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प्राइवेट के मुकाबले आधे खर्च में मिलेगा बांझपन का इलाज

-लोहिया संस्‍थान में शुरू हुई रिप्रो‍डक्टिव मेडिसिन की ओपीडी

-जल्‍द ही आईवीएफ के माध्यम से भी इलाज की होगी कोशिश

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। आज 8 अगस्त को डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के शहीद पथ स्थित राम प्रकाश गुप्ता मातृ एवं शिशु स्टेट रेफरल चिकित्सालय में संचालित स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में रिप्रोडक्टिव मेडिसिन ओपीडी का उद्घाटन, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ब्रजेश पाठक उपमुख्यमंत्री एवं मंत्री चिकित्सा शिक्षा चिकित्सा स्वास्थ्य परिवार कल्याण मातृ एवं शिशु कल्याण द्वारा किया गया। सरकारी चिकित्सा व्यवस्था में बांझपन का इलाज दंपतियों को प्राइवेट संस्थाओं के मुकाबले लगभग आधे खर्च पर मिलेगा।

कार्यक्रम के दौरान संस्थान की निदेशक प्रोफेसर सोनिया नित्यानंद, स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की विभागाध्यक्ष प्रोफेसर स्मृति अग्रवाल, संस्थान के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर अजय कुमार सिंह, डॉ तनवीर रोशन खान, संकाय सदस्य, कर्मचारी, ओपीडी में मौजूद मरीज एवं तीमारदार उपस्थित रहे।

अल्‍ट्रासाउंड ऐप के माध्‍यम से घर बैठे लें अल्‍ट्रासाउंड की तारीख

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बृजेश पाठक ने अपने संबोधन में सर्वप्रथम लोहिया संस्थान को रिप्रोडक्टिव मेडिसिन की विशिष्ट ओपीडी की शुरुआत के लिए बधाई दी और साथ ही इस ओपीडी के शुरू होने से चिकित्सालय में इलाज के लिए आने वाली महिलाओं को विशेष रूप से ध्यान देकर इलाज मिलेगा पर बल दिया। उन्होंने बताया कि सरकार महिलाओं की समस्याओं के समाधान के लिए प्रतिबद्ध है और चिकित्सा संबंधी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने का प्रयास कर रही है। प्रदेश में अल्ट्रासाउंड की व्यवस्था को लेकर उन्होंने प्रकाश डाला कि‍ सरकार द्वारा हाल ही में लॉन्‍च ‘अल्ट्रासाउंड ऐप’ के माध्यम से वह घर बैठे अल्ट्रासाउंड की तारीख ले सकती हैं और निशुल्क अल्ट्रासाउंड करवा सकती हैं। इस अल्ट्रासाउंड में होने वाला खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।

उन्‍होंने कहा कि सरकार की मिशन इंद्रधनुष योजना के अंतर्गत जो बच्चे कोविड-19 के दौरान टीकाकरण से वंचित रह गए थे उनका टीकाकरण किया जा रहा है। भविष्य की व्यवस्था पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि सरकार इस दिशा में प्रयास कर रही है कि अस्पताल में जन्मा हर नवजात शिशु घर जाने से पहले अस्पताल से जरूरी टीकाकरण करा करके ही भेजा जाए।

इस अवसर पर संस्थान की निदेशक प्रोफेसर सोनिया नित्यानंद ने सर्वप्रथम विभाग को रिप्रोडक्टिव मेडिसिन ओपीडी के संचालन के लिए बधाई दी और खुशी जताते हुए कहा कि सरकारी चिकित्सा व्यवस्था में बांझ दंपतियों को इस प्रकार का इलाज प्राइवेट संस्थाओं के मुकाबले लगभग आधे खर्च पर मिलेगा। उन्होंने यह भी बताया कि रिप्रोडक्टिव मेडिसिन यूनिट को सरकार द्वारा बजट भी प्राप्त हुआ है जिसका इस्तेमाल करके जल्द से जल्द आने वाली महिलाओं को किफायती और उच्च कोटि का इलाज मुहैया कराया जाएगा।

स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ स्मृति अग्रवाल ने स्वागत उद्बोधन में बताया कि रोजाना लगभग 20 से 25 महिलाएं बांझपन की समस्या लेकर ओपीडी में आती हैं। इस विशिष्ट ओपीडी के संचालन से इस प्रकार की महिलाओं पर विशेष तौर पर ध्यान दिया जा सकेगा। संस्थान प्रयासरत रहेगा कि जल्द से जल्द इस यूनिट में आईवीएफ के माध्यम से भी इलाज शुरू कर दिया जाए।

रिप्रोडक्टिव मेडिसिन यूनिट की नोडल अधिकारी डॉक्टर मालविका मिश्रा ने कार्यक्रम में रिप्रोडक्टिव मेडिसिन ‘नींव से नए क्षितिज तक’ विषय पर अपने विचार साझा करते हुए बताया कि प्रत्येक शुक्रवार को रिप्रोडक्टिव मेडिसिन की ओपीडी होगी जिसमें बांझ दंपतियों को विशेष तौर पर ध्यान देकर उनकी इस समस्या का हल निकालने का पूरा प्रयास किया जाएगा। रिप्रोडक्टिव मेडिसिन ओपीडी शुरू करने के पश्चात अब अगला कदम उसमें काउंसलर रखने का होगा जो ओपीडी में आई हुई महिलाओं को काउंसिल करेगा। क्योंकि इस प्रकार की महिलाएं एवं पुरुष दोनों ही मानसिक व सामाजिक दोनों तौर पर ही परेशान होते हैं।

कार्यक्रम का समापन डॉ वंदना सहायक आचार्य स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग द्वारा धन्यवाद ज्ञापन देकर किया गया। कार्यक्रम का संचालन पूनम तिवारी सीनियर डायटिशियन द्वारा किया गया।

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