-असाध्य बीमारियों वाले मरीजों की देखभाल घर पर ही करने पर दिया गया जोर
-कैंसर एड सोसाइटी व नेशनल एसोसिएशन ऑफ पेलिएटिव केयर फॉर आयुष एंड इंटीग्रेटेड मेडिसिन्स ने मनाया वर्ल्ड पेलिएटिव डे
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। हमारे बुजुर्ग जो कैंसरग्रस्त हैं, उनके कैंसर का कोई इलाज भी नहीं है, अक्सर ऐसा देखा गया है कि घर में उनकी देखभाल करने की परिस्थितियां न होने के नाम पर नाम पर जीवन का अंतिम सबसे कष्टकारी समय जो उनका अपनों के बीच कटना चाहिये था, वह उनका अस्पताल के आईसीयू, वेंटीलेटर पर कटता है। ऐसे मरीज़ो की पीड़ा का अंदाज़ लगाना भी असंभव है कि उसकी अंतिम यात्रा पर कोई भी अपना उनके साथ नहीं है। इसमें जहां भारी-भरकम धनराशि खर्च होती है, वहीं हमारे जीवनपालक, हमारे अभिभावक जिन्होंने हमें बड़ा करने में अपना सबकुछ लगा दिया, उन्हें उनके अंतिम समय में हमने उन्हें उनके पास होने का अहसास भी नहीं करा पाते हैं।
यह बात वर्ल्ड हॉस्पाइस और पैलिएटिव केयर डे के अवसर पर कैंसर एड सोसाइटी और नेशनल एसोसिएशन ऑफ पेलिएटिव केयर फॉर आयुष एंड इंटीग्रेटेड मेडिसिन्स के संयुक्त तत्वावधान में माई केयर माई कम्फर्ट विषय पर आयोजित कार्यक्रम में कैंसर एड सोसाइटी के सचिव डॉ पीयूष गुप्ता ने कही। उन्होंने बताया कि ऐसे मरीजों की देखभाल के लिए कुछ खास बातें ध्यान रखने की जरूरत होती हैं। नेशनल एसोसिएशन ऑफ पेलिएटिव केयर फॉर आयुष एंड इंटीग्रेटेड मेडिसिन्स की स्थापना का उद्देश्य घर में रहकर बुजुर्गों की देखभाल में आ रही दिक्कत को दूर करना है। उन्होंने बताया कि ऐसे मरीजों की जानकारी मिलने पर हम डॉक्टरों की टीम मरीज के घरों में जाकर सलाह देने का कार्य करते हैं, यह सेवा नि:शुल्क है।
डॉ पीयूष ने बताया कि पैलिएटिव केयर के क्षेत्र में आमतौर पर मॉडर्न मेडिसिन्स वाले डॉक्टर कार्य करते हैं। कैंसर एड सोसाइटी द्वारा नेशनल एसोसिएशन ऑफ पेलिएटिव केयर फॉर आयुष एंड इंटीग्रेटेड मेडिसिन्स को गठित करके मॉडर्न मेडिसिन्स के अतिरिक्त इसमें दूसरी विधाओं के चिकित्सकों को जोड़ा जा रहा है। अब तक 15 प्रदेशों में 78 मेम्बर बन चुके हैं।
डॉ पीयूष गुप्ता ने बताया कि इस कार्यक्रम में हमने ऐसे ही कुछ मरीजों के परिजनों से बात की जिनके घर पूर्व में विजिट कर चुके हैं। ऐसे ही एक 42 वर्षीय मल्टीपिल मायलोमा से ग्रस्त मरीज के पिता और पत्नी से बात की जो कैंसर के साथ ही पैराप्लीजिया के भी शिकार हैं, आपको बता दें पैराप्लीजिया में कमर के नीचे के हिस्से से दोनों पैर सुन्न हो जाते हैं।
नेशनल एसोसिएशन ऑफ पेलिएटिव केयर फॉर आयुष एंड इंटीग्रेटेड मेडिसिन्स से जुड़े यूनानी चिकित्सक डॉ मनिराम ने मरीज के बारे में बताया कि बिस्तर पर लेटे-लेटे यह मरीज बेड सोर का शिकार हो गया था। मरीज की पीठ में छह इंच का घाव हो गया था। मरीज को एक नामी सरकारी चिकित्सा संस्थान में दिखाया गया जहां गलत उपचार से घाव ठीक होने के बजाये 40 दिनों में छह इंच से बढ़कर डेढ़ फिट गुणा दो फिट हो गया। उन्होंने बताया कि यह बात ध्यान में रखनी होती है कि कैंसर के मरीज के बेड सोर के घाव की ड्रेसिंग में हाईड्रोजनपराक्साइड और बीटाडीन का इस्तेमाल नहीं होता है, जबकि उस मरीज के साथ ऐसा ही हुआ।
डॉ गुप्ता ने बताया कि इस मरीज को कैंसर एड सोसाइटी की होम्योपैथिक क्लीनिक से इलाज किया जा रहा है, इसके कुछ परिणाम दिखने शुरू हो गये हैं। उसके घाव जो नहीं भर रहे थे, उनमें हीलिंग का प्रॉसेस दिखने लगा है। उन्होंने बताया उनकी हेल्पलाइन पर इस मरीज को देखने के लिए कॉल आयी थी, तो जब हम लोग पहुंचे तो सारी बात पता चली। फिलहाल मरीज को जब से सही दिशा की ओर इलाज दिया गया तो उसे लाभ हो रहा है। मरीज के पिता 72 वर्षीय सुरेंद्र नाथ सिन्हा इस उम्र में अपनी बहू के साथ मिलकर बीमार बेटे की काफी अच्छी देखभाल कर रहे है। इन दोनों लोगों ने कैंसर एड सोसाइटी और नेशनल एसोसिएशन ऑफ पेलिएटिव केयर फॉर आयुष एंड इंटीग्रेटेड मेडिसिन्स द्वारा दी गयी प्रशामक देखभाल पर अपना अनुभव बताया। मरीज की पत्नी ने कहा कि अगर पहले ही पॉलिएटिव केयर मिलती तो शायद अब तक हालात काफी अच्छे होते।
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डॉ मनि राम ने घाव की सफाई के लिए मेडिकेटिड फिटकरी के बारे में बताया और इसे तैयार करके भी दिखाया। डॉ मनि राम ने बताया कि मेडिकेटेड फिटकरी तैयार करने के लिए उन्होंने तवा हल्की आंच पर चढ़ाने के बाद फिटकरी को तवे पर डाल दीजिये, फिटकरी पिघलकर धीरे धीरे सूख जाएगी फिर उसका इलाज में इस्तेमाल करें।
इसके अतिरिक्त फेसबुक लाइव पर लखनऊ का नाम भारत में रौशन करने वाले सुपरमॉडल 2020 कुश गुप्ता और मिसेज़ इंडिया 2019 गरिमा अग्रवाल जो की इस विषय पर संजीदगी से कार्य कर रहे हैं, उनसे क्वालिटी ऑफ़ लाइफ, क्वालिटी एंड कॉस्ट ऑफ़ डेथ पर डॉ पीयूष गुप्ता ने चर्चा की।