-विश्व होम्योपैथी दिवस की पूर्व संध्या पर डॉ अनुरुद्ध वर्मा की कलम से

होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति के अविष्कारक डॉ हैनीमैन की जयन्ती पूरी दुनिया में कुछ वर्षों से विश्व होम्योपैथी दिवस के रूप में मनाई जा रही है परन्तु इस बार यह दिवस कई देशों में कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण पूरे उत्साह से नहीं मनाई जा पा रही है। आयुष मंत्रालय भारत सरकार, राष्ट्रीय होम्योपैथिक संस्थान कोलकाता, केन्द्रीय होम्योपैथी अनुसंधान परिषद एवं केन्द्रीय होम्योपैथी परिषद के संयुक्त तत्वावधान में 10 एवं 11 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस पर कोलकाता मे आयोजित होने वाली अन्तर्राष्ट्रीय होम्योपैथिक कॉन्फ्रेंस को कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण स्थगित करना पड़ा है क्योंकि केन्द्र एवं राज्य सरकार ने सभी सभाओं, संगोष्ठियों एवं सम्मेलनों के साथ-साथ भीड़-भाड़ वाले आयोजनों को संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए रोक लगा दी है।
पूरे विश्व में डॉ हैनीमैन की जयन्ती 10 अप्रैल को विश्व होम्योपैथी दिवस के रूप में मनाने का उद्देश्य डॉ हैनीमैन के दर्शन एवं सिद्धान्त तथा होम्योपैथी के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के लिए किया जाता है। विषम परिस्थितियों में कई देशों को इस बार आयोजन स्थगित करने पड़ रहे हैं। इस अवसर पर इस वर्ष भव्य आयोजन नहीं हो पा रहे हैं इस लिए कार्यक्रमों का आयोजन छोटे स्तर पर जैसे-अपनी क्लीनिक, चिकित्सालय एवं घरों में मनाकर डॉ हनीमैन को श्रद्धाजंलि अर्पित करना उचित होगा तथा प्रयास करना होगा कि डॉ हैनीमैन के दर्शन एवं सिद्धान्तों को पूरी दुनिया में फैलाया जाये।

इस वर्ष कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण विश्व होम्योपैथी दिवस पर होने वाले समारोह तो स्थगित हो गये परन्तु कोरोना वायरस की रोकथाम में होम्योपैथी की कार्यकारिता भी कुछ लोगों ने प्रश्न चिन्ह लगा दिये। प्रश्न चिन्ह लगाने वालो में केवल आधुनिक चिकित्सा पद्धति के चिकित्सक ही नहीं थे बल्कि होम्योपैथिक चिकित्सक भी पीछे नहीं थे। आयुष मंत्रालय भारत सरकार ने केन्द्रीय होम्योपैथिक अनुसंधान परिषद की अनुशंसा पर एडवाइजरी जारी कर आर्सेनिकम एल्बम 30 शक्ति (Arsenicum album 30) होम्योपैथिक औषधि तीन दिन तक सुबह खाली पेट लेने की सलाह दी थी। सरकार की इस एडवाइजरी पर कुछ होम्योपैथिक चिकित्सकों ने भी औषधि के चयन, जीनस इपिडीमिकस के निर्धारण करने एवं इस औषधि की ट्रायल की जरूरत आदि पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए इस निर्णय को सोशल मीडिया पर कटघरे में खड़ा करने का प्रयास किया जिससे आम जनता में होम्योपैथिक औषिधियों की कार्यकारिता पर संदेह उत्पन्न होने लगा जब कि यदि हमें इस सम्बन्ध में कुछ कहना ही था तो सोशल मीडिया के बजाय केन्द्रीय होम्योपैथी अनुसंधान संस्थान के मंच पर अपनी आपत्ति दर्ज करना चाहिए था। वैसे तो जब आयुष मंत्रालय ने एडवाइजरी जारी कर दी थी तो हम लोगों को उसे मान लेना चाहिए था क्योंकि हमें किसी न किसी संस्था पर विश्वास व्यक्त करना पड़ेगा। आयुष मंत्रालय भारत सरकार के सचिव वैद्य राजेश कुटेजा ने भी पत्र जारी कर कहा था कि वर्ष 2014 मे विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ईबोला वायरस के संक्रमण के दौरान कहा था कि जब इस तरह के रोगों के बचाव का कोई ठोस तरीका न होने पर ऐसी स्थिति में बचाव के अन्य तरीकों का प्रयास करना चाहिए, पत्र में उन्होंने यह भी लिखा कि होम्योपैथिक औषधियां शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न करती है जिससे संक्रमणों का शरीर पर असर नहीं होता है आर्सेनिकम एल्बम 30 औषधि का प्रयोग की इसी दृष्टि से करने की सलाह दी गयी है। आयुष मंत्रालय भारत सरकार की एडवाइजरी में साफ-सफाई पर ध्यान रखने, संक्रमित व्यक्ति से दूर रहने, शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के साथ-साथ होम्योपैथिक औषधि का प्रयोग की सलाह दी गयी है।
कोरोना वायरस के संक्रमण ने होम्योपैथिक चिकित्सा पद्धति के समक्ष एक चुनौती भी खड़ी की है इस बार जब वैश्विक स्तर पर कोरोना वायरस का संक्रमण फैला हुआ है हमारे पास अवसर है कि हम होम्योपैथिक औषधियों की इस संक्रमण की रोकथाम में कारगरता पर गहन विचार करें उसके क्लीनिक ट्रायल करें, संक्रमित रोगियों के उपचार में अपनी सफलता साबित कर विश्व को यह दिखा दें कि अन्य चिकित्सा पद्धतियों में जहां पर बचाव का कोई ठोस उपाय नहीं है, वहां पर होम्योपैथी पर्याप्त आधार रखती है तथा बचाव एवं उपचार में बेहतर तरीके से कार्य कर सकती हैं। हमें पूरा कोशिश करनी चाहिए कि हम अपनी पद्धति को वैज्ञानिक आधार पर सर्वश्रेष्ठ पद्धति साबित करने का प्रयास करें तथा अपने दावों के समर्थन में पुख्ता प्रमाण प्रस्तुत कर अपनी पद्धति की स्थिति को मजबूत आधार प्रदान करें। विश्व होम्योपैथिक दिवस के अवसर पर हमें प्रयास करना चाहिए की हम सभी मुद्दों पर एकमत हो क्योंकि अलग-अलग मतों एवं मत भिन्नता से आम जनता में पद्धति के प्रति विश्वास में कमी आती है। आइये विश्व होम्योपैथी दिवस के अवसर पर हम संकल्प लें कि होम्योपैथिक चिकित्सा प्रद्धति को पूरी दुनिया में प्रथम पंक्ति की चिकित्सा पद्धति के रूप में स्थापित करेंगे एवं जन स्वास्थ्य के प्रभावी विकल्प के रूप में स्थापित करेंगे।

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