-विश्व स्वास्थ्य दिवस की अवधारणा पर खरा उतरती है होम्योपैथी : डॉ गिरीश गुप्ता

सेहत टाइम्स
लखनऊ। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रत्येक वर्ष 7 अप्रैल को निर्धारित किये गये विश्व स्वास्थ्य दिवस की अवधारणा पर होम्योपैथी बिल्कुल सटीक उतरती है, क्योंकि होम्योपैथी में उपचार सिर्फ रोग का नहीं, बल्कि रोगी का किया जाता है, इसका नतीजा यह होता है कि मनुष्य के शरीर की दूसरी अन्य शारीरिक एवं मानसिक व्याधियां भी दूर हो जाती है।
विश्व स्वास्थ्य दिवस पर यह कहना है उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च के संस्थापक व चीफ कन्सल्टेंट डॉ गिरीश गुप्ता का। ज्ञात हो डॉ गिरीश गुप्ता के अब तक बड़ी संख्या में रिसर्च पेपर्स विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठित जर्नल्स में प्रकाशित हो चुके हैं, इन जर्नल्स में पीयर रिव्यू जर्नल भी शामिल हैं। डॉ गिरीश गुप्ता बताते हैं कि चूंकि होम्योपैथिक उपचार का सिद्धांत ही यह है कि रोग को जड़ से समाप्त करने के लिए हमें इसकी जड़ों पर ही वार किया जाता है। उन्होंने कहा कि होम्योपैथी के जनक डॉ सैमुअल हैनीमैन जो स्वयं एलोपैथी के चिकित्सक थे, उनके द्वारा होम्योपैथी उपचार का अविष्कार करने के पीछे की एक बड़ी वजह यह भी थी कि रोग का पूर्ण उपचार हो, सिर्फ प्रबंधन नहीं। अपने इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए उन्होंने रोग की उत्पत्ति के कारण खोजने शुरू किये तो पाया कि ज्यादातर रोगों के लिए व्यक्ति की मन:स्थिति काफी हद तक जिम्मेदार है।
डॉ गिरीश बताते हैं कि डॉ हैनिमैन ने मरीज को रोग से स्थायी छुटकारा दिलाने के लिए उपचार का जो सिद्धांत दुनिया को दिया है, उसके अनुसार दवा का चुनाव रोग के अनुसार नहीं, रोगी के अनुसार किया जाता है, इसीलिए किसी एक विशेष दवा से सभी रोगियों को लाभ हो जाये ऐसा आवश्यक नहीं है, प्रत्येक मरीज के शारीरिक लक्षणों, उसकी मन:स्थिति, उसकी पसंद-नापसंद, उसकी आदतें, उसके साथ घटी घटनाएं जैसी कई बातों की हिस्ट्री लेकर दवा का चुनाव किया जाता है।


डॉ गिरीश ने बताया कि जैसा कि हम जानते हैं कि जब हम खुश या दुखी होते हैं तो हमारे शरीर के अंदर अच्छे और खराब सीक्रेशन्स होते हैं। उन्होंने कहा कि ब्रेन मास्टर अंग है, जो पूरे शरीर को कंट्रोल करता है, और ब्रेन को कण्ट्रोल करता है मन। भ्रम, सपनों, डर, भावनाएं, हमारी दिनचर्या, हमारे जीवन, प्रोफेशनल लाइफ, पर्सनल लाइफ का प्रभाव हमारे मन पर पड़ता है, जो दिमाग को प्रभावित करता है। वहां से न्यूरोलॉजिकल पाथवे से या फिर एंडॉक्रिनलॉजिकल यानी हार्मोनल पाथवे से शरीर के विभिन्न अंगों पर असर जाता है, जिससे शारीरिक बीमारियां पैदा हो जाती हैं।
डॉ गिरीश बताते हैं कि ऐसे में जब होम्योपैथिक में होलिस्टिक अप्रोच के साथ उपचार होता है तो रोगी की शारीरिक ही नहीं, मानसिक परेशानियां भी दूर हो जाती हैं। होम्योपैथी में मन से जुड़ी भ्रम, स्वप्न, भय जैसी मन की बीमारियों का सटीक उपचार उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि ऐसे में विश्व स्वास्थ्य दिवस के विशेष दिन हम यह कह सकते हैं कि तन और मन को स्वस्थ रखने का गुण होम्योपैथिक में विद्यमान है।
