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शादी बाद में, एचआईवी टेस्ट पहले

डॉ. रंजना खन्ना

लखनऊ।  जिस तरह से हम शादी तय करते समय जन्मपत्री मिलाते हैं उसी तरह से लडक़े और लडक़ी का एचआईवी टेस्ट भी जरूर कराना चाहिये हालांकि सुनने में यह बहुत अजीब सा लग रहा है लेकिन कहीं न कहीं यह कदम एचआईवी पर लगाम लगाने में बहुत कारगर सिद्ध होगा। यह कहना है फेडरेशन ऑफ ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनीकोलॉजिकल सोसाइटीज ऑफ इंडिया फॉग्सी की वाइस प्रेसीडेन्ट डॉ. रंजना खन्ना का। उन्होंने ‘सेहत टाइम्स’ से बहुत ही बेबाकी से कहा कि इसमें गलत क्या है, शुरू में लोगों को झिझक और अजीब सा महसूस होगा लेकिन फिर धीरे-धीरे लोगों की आदत पड़ जायेगी।

एचआईवी के बढ़ते केसों पर चिंता जतायी फॉग्सी की वाइस प्रेसीडेन्ट ने

एचआईवी के बढ़ते मामलों पर चिंता जताते हुए डॉ रंजना ने बताया कि फॉग्सी ने नेशनल एड्स कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन नाको के साथ एसोसिएट किया है जिसके तहत हम प्राइवेट अस्पतालों में सामने आने वाले एचआईवी के मरीजों की रिपोर्टिंग सरकार तक हो, इस दिशा में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि यह एक संतोष की बात है कि पांच राज्यों केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और नागालैंड में एचआईवी के केस मिलने में कमी आयी है।

उत्तर प्रदेश में हो रही गलत रिपोर्टिंग

इलाहाबाद की रहने वाली डॉ रंजना ने बताया कि उत्तर प्रदेश को लेकर यह चिंता का विषय है कि यहां एचआईवी के केसों में कमी नहीं आयी है। इसके पीछे के कारणों के बारे में डॉ रंजना ने एक महत्वपूर्ण बात बतायी कि उत्तर प्रदेश में एचआईवी के केस की संख्या बढऩे के पीछे गलत रिपोर्टिंग की बात सामने आयी है।

तीन-तीन बार गिना जा रहा एक ही महिला का नाम

उन्होंने कहा कि इसका पता उस समय चला जब कुल गर्भवती स्त्रियों की संख्या से ज्यादा संख्या एचआईवी ग्रस्त गर्भवतियों की दिखी। जब पड़ताल की गयी तो पता चला कि इसकी वजह एक ही एचआईवी से ग्रस्त महिला की रिपोर्टिंग तीन जगहों से किया जाने की बात सामने आयी। उन्होंने कहा कि दरअसल हुआ यूं कि जैसे कोई गर्भवती महिला निजी चिकित्सक को दिखाने गयी तो वहां जांच में उसे एचआईवी होने की जानकारी दी गयी, ऐसे में महिला ने सोचा कि यह रिपोर्ट गलत हो सकती है तो उसने दूसरी चिकित्सक को दिखाया, वहां जांच हुई तो वहां भी एचआईवी होने की पुष्टि हुई। इसके बाद वही महिला जब सरकारी चिकित्सालय दिखाने गयी तो एक बार फिर उसकी एचआईवी जांच हुई जिसमें उसे एचआईवी पॉजिटिव होने की पुष्टि हो गयी।  उन्होंने बताया कि ऐसी स्थिति में दोनों निजी अस्पताल और एक सरकारी अस्पताल सभी जगह से एचआईवी मरीज पाये जाने की रिपोर्ट भेज दी गयी तो एचआईवी ग्रस्त मरीजों की संख्या में तीन की वृद्धि हो गयी जबकि असलियत में मरीज एक ही थी।

आधार नम्बर से लिंक करने का सुझाव

डॉ रंजना ने बताया कि इस दिक्कत से निपटने के लिए हमने सुझाव दिया है कि महिला की जांच के समय यदि आधार कार्ड नम्बर डाल दिया जाये तो फिर वह कितनी भी जगह जांच करा ले उसकी गिनती एक ही गिनी जायेगी। उन्होंने बताया कि इससे हमें असलियत में एचआईवी मरीजों की संख्या का पता चल सकेगा।

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