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उत्तर प्रदेश में 22 प्रतिशत लोगों में खून की कमी का कारण है हेलिकॉबेक्टर पाइलोराइ बेक्टीरिया

-तीन दिवसीय वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन, ASSOPICON 2023, के दूसरे दिन शोधों का प्रस्तुतीकरण, पोस्टर प्रेजेंटेशन, सिम्पोजियम का सिलसिला जारी

सेहत टाइम्स

लखनऊ। एक रिसर्च में पाया गया है कि उत्तर प्रदेश में 22 प्रतिशत लोगों में खून की कमी यानि एनीमिया का कारण पेट में पाया जाने वाला हेलिकॉबेक्टर पाइलोराइ बेक्टीरिया है. यह रिसर्च किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के फिजियोलॉजी विभाग की सीनियर रेजिडेंट डॉ सुदीप्ति यादव ने गैस्ट्रो विभाग के रोगियों पर की है.

इस शोध को फीजियोलॉजी पर किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) में तीन दिवसीय वार्षिक राष्ट्रीय सम्मेलन, ASSOPICON 2023, के दूसरे दिन प्रस्तुत किया गया. डॉ श्रद्धा सिंह की गाइडेन्स और डॉ सुमित रूंगटा व डॉ एसपी सिंह की कोगाइडेन्स में की गयी इस रिसर्च में हेलिकॉबेक्टर पाइलोराइ बेक्टीरिया से संक्रमित रोगियों के दो ग्रुप अलसर वाले और बिना अलसर वाले ग्रुप में आयरन प्रोफाइल स्टडी की गयी. जिसमें पाया गया कि उत्तर प्रदेश में 22 प्रतिशत लोगों में खून की कमी का कारण हेलिकॉबेक्टर पाइलोराइ बेक्टीरिया है.

डॉ सुदीप्ति ने बताया कि सामान्यतः सभी के पेट में हेलिकॉबेक्टर पाइलोराइ बेक्टीरिया होता है लेकिन जब यह ज्यादा मात्रा में हो जाता है तो इन्फेक्शन हो जाता है और खून की कमी का कारण बन जाता है.ऐसे में खून की कमी की शिकायत होने पर आयरन प्रोफाइल स्टडी करवानी चाहिए और यदि इसका कारण हेलिकॉबेक्टर पाइलोराइ बेक्टीरिया हो तो इसका इलाज कराना चाहिए, इसके लिए एंटी बायोटिक किट उपलब्ध है।

गांव में डायबिटीज पर रिसर्च की जरूरत

केजीएमयू के फिजियोलॉजी विभाग के डॉ शिवम वर्मा ने डायबिटीज में ऑटोनोमिक न्यूरोपैथी और यूरिक एसिड के बारे में बताया, उन्होंने बताया कि अब तो गांवों में भी डायबिटीज बढ़ रही है, जिस पर रिसर्च की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि डायबिटीज के कम्प्लीकेशन बहुत हैं जो बाद के वर्षों में सामने आते हैं, ऐसे में मरीजों को यह समझाने की जरूरत है कि वे कैसे अपनी डायबिटीज को कण्ट्रोल में रखें। उन्होंने कहा कि यूरिक एसिड से ग्रस्त मरीज को सभी प्रोटीन बंद करने को कहा जाता है लेकिन ज्यादा नुकसानदायक एनिमल सोर्स प्रोटीन होते हैं, उन्होंने कहा कि एनिमल सोर्स प्रोटीन सिर्फ नॉन वेज ही नहीं है, दूध भी है।

उन्होंने कहा कि यूरिक एसिड बढ़ने पर एनिमल सोर्स प्रोटीन छोड़ना है प्लांट सोर्स प्रोटीनयानि दालें जैसी चीजों को नहीं छोड़ना है। उन्होंने कहा कि यूरिक एसिड में प्रोटीन बंद करने से ही काम नहीं चलेगा। यूरिक एसिड बढ़ने की समस्या होती है मेटाबोलिक सिंड्रोम से, जो कि वजन बढ़ने से होती है। यूरिक एसिड के मरीज को चाहिए कि वह पहले अपना बढ़ा हुआ वजन घटाए, अगर उसने अपना वजन घटा लिया तो उसे यूरिक एसिड की दवा लेने की आवश्यकता बहुत कम पड़ेगी।

कांफ्रेंस के बारे में जानकारी देते हुए कॉन्फ्रेंस के मीडिया प्रभारी डॉ शिवम वर्मा ने बताया कि डॉ नर सिंह वर्मा, डॉ. श्रद्धा सिंह, डॉ मनीष बाजपेयी के नेतृत्व में चल रही कांफ्रेंस के दूसरे दिन भी शोधों का प्रस्तुतीकरण, पोस्टर प्रेजेंटेशन, सिम्पोजियम का सिलसिला जारी रहा. एम्स दिल्ली के डॉ राजकुमार यादव, डॉ आकांक्षा, डॉ रेनू भाटिया और डॉ समरीन ने योग हमारे शरीर के लिए किस प्रकार लाभदायक है, यह किस प्रकार शरीर पर असर करता है, इसे प्रमाण सहित प्रस्तुत किया. गुजरात से आये डॉ हशमुख दयाभाई शाह ने किडनी के क्रोनिक मरीजों में होने वाली ब्लड प्रेशर रीएक्टिविटी के बारे में, एम्स पटना से आये डॉ जीके पाल ने नए आरम्भ हुए कोर्स डी एम फीजियोलॉजी के बारे में जानकारी दी. एम्स ऋषिकेश की डॉ लतिका मोहन ने ज्यादा ऊँचाई पर ऑक्सीजन चुनौतियों का सामना करने वाले पर्वतारोहियों में शारीरिक समायोजन के बारे में जानकारी दी।

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