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अस्पतालों में मारपीट की घटनाओं पर चिंता जताई हाइकोर्ट ने

 

तीन सरकारी अस्पतालों का स्वतंत्र ऑडिट कराने के भी आदेश

दिल्ली हाइकोर्ट ने रोगियों और उनके तीमारदारों द्वारा डॉक्टरों समेत चिकित्साकर्मियों के साथ मारपीट की घटनाओं पर दुख प्रकट करते हुए कहा है कि इस तरह की घटनाओं का समर्थन नहीं किया जा सकता. मंगलवार को अदालत ने एक संस्था से एम्स, सफदरजंग अस्पताल और एलएनजेपी अस्पताल में स्वास्थ्य देखभाल गुणवत्ता का मूल्यांकन करने को भी कहा.

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने कहा कि भले ही केंद्र सरकार दावा कर ले कि पर्याप्त डॉक्टर हैं , लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि चिकित्सा कर्मियों की कम संख्या रोगियों और उनके परिजनों के बीच असंतोष का बड़ा कारण है. देखा गया है कि रोगियों को तीमारदारों की जरूरत होती है क्योंकि नर्सें अपना काम नहीं कर रही हैं और अगर सीसीटीवी कैमरे लगाए जाते हैं तो सही तस्वीर सामने आएगी.

अदालत ने कहा कि केंद्र सरकार उसके सामने सही स्थिति नहीं रख रही है , इसलिए एक आदर्श स्वास्थ्य देखभाल परिस्थिति की सिफारिशों के साथ अस्पतालों का स्वतंत्र ऑडिट कराना अनिवार्य है.

उच्च न्यायालय ने भारतीय गुणवत्ता परिषद ( क्यूसीआई ) के तहत नेशनल एक्रीडियेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स ( नभ ) से दो सप्ताह के भीतर एम्स , सफदरजंग अस्पताल और लोकनायक जय प्रकाश नारायण अस्पताल का विस्तृत मूल्यांकन करने को कहा.

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