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हर पैथी की अपनी विशेषता…चिकित्सक वही जो आराम दिलाये : डॉ सूर्यकान्‍त

-एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट मेडिकल प्रैक्टिशनर्स ने आयोजित किया सेमिनार व होली मिलन

-ऐलोपैथी, होम्‍योपैथी, आयुर्वेदिक, नेचुरोपैथी विधाओं के चिकित्‍सकों ने रखे विचार

डॉ सूर्यकान्‍त

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। उपचार की हर पैथी की अपनी विशेषता है, इसलिए ये कहना कि यह अच्‍छी है वो बुरी, यह गलत है, पैथी कोई भी हो लेकिन ‘सिम्‍पैथी’ जरूरी है। इलाज से मरीज को लाभ होना सर्वोपरि है, जिस पैथी से उसे आराम आये, इलाज उस पैथी के चिकित्सक से कराना चाहिये। इसीलिए मैं कहता हूं कि ‘दुल्‍हन वही जो पिया मन भाये और चिकित्सक वही जो आराम दिलाये’।

ये विचार किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के रेस्‍पाइरेटरी मेडिसिन विभाग के मुखिया डॉ सूर्यकान्‍त ने आज यहां रामाधीन उत्‍सव हॉल में एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट मेडिकल प्रैक्टिशनर्स और कृष्‍णा डायग्‍नोस्टिक एंड इंटरप्राइजेस के संयुक्‍त तत्‍वावधान में आयोजित होलिस्टिक हेल्‍थ सेमिनार और होली मिलन समारोह में मुख्‍य अतिथि और मुख्‍य वक्‍ता के रूप में अपने सम्‍बोधन में व्‍यक्‍त किये। ज्ञात हो कार्यक्रम का आयोजन कराने वाली एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट मेडिकल प्रैक्टिशनर्स में सभी चिकित्‍सा पद्धति के चिकित्सक शामिल हैं, ऐसे में होली के विभिन्‍न रंगों की भांति चिकित्‍सा की विभिन्‍न पद्धतियों के रंगों के मिलन का आयोजन बन गया। कार्यक्रम में ऐलोपैथी, होम्‍योपैथी, आयुर्वेदिक, नेचुरोपैथी सभी विधा के चिकित्सक शामिल थे।

ऐलोपैथी दवा के साथ स्‍टीम इन्‍हेलर व काढ़ा का भी प्रयोग

डॉ सूर्यकान्‍त ने अपने उद्बोधन में आगे कहा कि मैं एलोपैथ चिकित्सक हूं लेकिन मैं तो हमेशा से मरीज को आराम देने वाली पैथी के पक्ष में रहा हूं, जिस पैथी में जो अच्छी चीज है उसे स्वीकार करने में मुझे कोई आपत्ति नहीं होती है। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया पिछले दिनों कोरोनावायरस के उपचार में दवाओं के साथ सभी मरीजों को भाप लेने की सलाह मैंने दी, यही नहीं मैं स्वयं रोजाना दो समय भाप लेता था। संभवत सबसे बड़े केजीएमयू में बनाए गए 1100 बिस्तर वाले कोविड हॉस्पिटल में मरीजों के बीच रहकर भी अगर मैं आज तक कोविड-19 से संक्रमण से बचा रहा तो इसमें स्टीम इनहेलर यानी भाप लेने की सबसे बड़ी भूमिका है। इसी प्रकार काढ़ा लेने की सलाह भी लगभग हर चिकित्सक ने दी होगी, जबकि अगर देखा जाए तो भाप लेने की प्रक्रिया नेचुरोपैथी में और काढ़ा आयुर्वेदक औषधि है, लेकिन इसे एलोपैथी दवाओं के साथ भी इस्‍तेमाल किया गया।

बुखार पैरासीटामोल से उतारें, न उतरे तो करें पूरा शरीर स्‍पंज

डॉ सूर्यकांत ने सेमिनार में निर्धारित अपने वक्तव्य के विषय h3n2 वायरस के प्रकोप पर बोलते हुए कहा कि सिर्फ यही वायरस नहीं, कई तरह के वायरस इस समय मरीज पर अटैक कर रहे हैं और इन सभी वायरस से संक्रमित होने पर मरीज को होने वाली परेशानियां एक सी हैं जैसे बुखार, सिर दर्द, बदन दर्द, जकड़न आदि-आदि। उन्होंने कहा कि मेरी सलाह है कि बुखार आने पर कुछ चीजों का ध्यान रखिए इनमें पहला है कंप्लीट बेड रेस्ट यानी पूरी तरह आराम, दूसरा दिन में दो बार 5 मिनट नाक और मुंह से भाप लीजिए। भाप लेने के लिए किसी टोटी वाले बर्तन का प्रयोग करिए जिससे भाप नाक में और मुंह में जाये, चेहरे पर नहीं। ध्‍यान रखिये ब्‍यूटी पार्लर में जिस प्रकार तौलिया ओढ़कर भाप दी जाती है उस तरह से स्‍टीम न लें। इसी प्रकार तीसरी बात का यह ध्यान रखें कि एंटीबायोटिक मरीज को बिल्कुल न दें क्योंकि इन वायरस में एंटीबायोटिक का कोई रोल नहीं है। उन्होंने कहा कि बिना किसी दुर्भावना के मैं यहां एक बात स्पष्ट करना चाहता हूं कि एंटीबायोटिक देने में एलोपैथी डॉक्टर से ज्यादा दूसरी पैथी के चिकित्सक आगे हैं, जो लोग ऐसा कर रहे हैं, कृपया ना करें। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार बुखार 99 डिग्री से ज्यादा होते ही मरीज को पेरासिटामोल देना शुरू कर दें। इसके बाद भी यदि बुखार ना उतरे तो गीली तौलिया करके रोगी के पूरे शरीर को अच्छे से स्पंज कर दें। उन्होंने कहा कि डॉक्टर की सलाह से एंटी एलर्जी दवा या सिरप ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि जहां तक रोगी को दी जाने वाली खाने की चीजों की बात है तो ज्यादातर तरल पदार्थ वाली पौष्टिक डाइट ही दें।

मरीज को मास्‍क जरूर लगायें

ईएनटी विशेषज्ञ डॉ सीवी पाण्‍डेय ने कहा कि कोविड के बाद आने वाले मरीज कान में भारीपन की शिकायत बतात हैं। उन्‍होंने कहा‍ कि चिकित्सक इतना जरूर ध्‍यान रखें कि वे मरीज को मास्‍क अवश्‍य लगाने की सलाह दें, जिससे मरीज के घरवालों तक संक्रमण न पहुंचे। उन्‍होंने कहा कि य‍दि संभव हो तो घर में एक कमरा ऐसा बना देना चाहिये जिसमें बीमार होते ही मरीज को आइसोलेट किया जा सके।

पैरासीटामोल का जवाब नहीं

वरिष्‍ठ होम्‍योपैथिक चिकित्सक डॉ नरेश अरोड़ा ने कहा कि यह जानकर खुशी हुई कि सभी पैथी एकसाथ हैं। उन्‍होंने कहा कि होम्‍योपैथी में यूं तो बहु‍त से रोगों का इलाज है लेकिन मैं समझता हूं कि बुखार उतारने के लिए पैरासीटामोल जैसा विकल्‍प किसी पैथी में नहीं है। उन्‍होंने कहा आजकल चल रहे बुखार की बात करें तो मेरा यह सुझाव है कि यदि मरीज को न्‍यूमोनाइटिस हो तो फि‍र अस्‍पताल में भर्ती कराना बहुत आवश्‍यक है।

इम्‍युनिटी बढ़ाने पर रहना चाहिये जोर

वरिष्‍ठ आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ अजय दत्‍त शर्मा ने कहा कि पैरासीटामोल देना अगर आवश्‍यक है तो जरूर दें लेकिन आयुर्वेद में भी हैं जो बुखार उतारती हैं। उन्‍होंने कहा कि मेरा यह मानना है कि इम्‍युनिटी को बढ़ाने पर जोर दिया जाना चाहिये, उन्‍होंने कहा कि स्‍वर्ण प्राशन जैसी प्रक्रिया के लिए पिछले दिनों एसजीपीजीआई भी आयुर्वेद के साथ आया है।

नीबू-गरम पानी रहा फायदेमंद

पेशे से इंजीनियर रह चुके रिटायर होने के बाद नेचुरोपैथी का कोर्स कर 24 साल से प्रैक्टिस कर रहे 82 वर्षीय डॉ नरेन्‍द्र देव ने कहा कि लाइफस्‍टाइल पर ध्‍यान देना चाहिये। उन्‍होंने कहा कि कोरोना काल में यह देखा गया कि नीबू-गरम पानी के सेवन से कोरोना से बचने में बहुत फायदा हुआ है।

संक्रमण को होने न दें, हो तो बढ़ने न दें

हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ राकेश सिंह ने कहा कि आवश्‍यक यह है कि संक्रमण को होने न दें, हो तो उसे बढ़ने न दें। उन्‍होंने कहा कि कोरोना वायरस ने अपने संक्रमण से शरीर में बहुत बदलाव कर दिये हैं, यही वजह है कि बड़ी-बड़ी सेलेब्रिटी सहित कई लोगों के बारे में आपने सुना होगा कि अचानक हार्ट अटैक आते ही उन्‍हें बचाया नहीं जा सका।

जीवनशैली, खानपान सुधारना जरूरी

केजीएमयू के फीजियोलॉजी विभाग की प्रोफसर श्रद्धा सिंह ने कहा कि उपचार से बेहतर बचाव है, इसलिए हमें कोशिश यह करनी चाहिये कि संक्रमण न हो। उन्‍होंने कहा कि हमारे मसालों धनिया, जीरा, अजवाइन जैसे मसालों में इतना दम है कि हमारा शरीर रोगों से लड़ने में सक्षम रहता है। हमारे शरीर में इतनी शक्ति है कि वह रोगों को अपने आप भी ठीक‍ कर लेता है बशर्ते उसकी दिनचर्या, खानपान सही हो, रोजाना करीब 30 मिनट व्‍यायाम करता हो। सही समय पर सोना, सही समय पर जगना आवश्‍यक है। साफ-सफाई एक महत्‍वपूर्ण बिंदु है, बाहर से आने पर जूते चप्‍पल कमरे के बाहर उतारना, हाथ-मुंह धोकर खाना खाना जैसी आदतें अपनानी चाहिये। पुराने समय की यही आदतें हमें कोरोना काल में भी सिखायी गयीं। उन्‍होंने कहा कि इसी प्रकार पर्याप्‍त नींद बहुत जरूरी है। अगर हम सही समय पर और पर्याप्‍त नींद नहीं लेते हैं तो शरीर के अंगों को फि‍र से तैयार करने में एनर्जी नहीं मिल पाती है। अंत में आये हुए सभी लोगों के लिए धन्‍यवाद प्रस्‍ताव डॉ सीवी पांडेय दिया।

अल्‍कलाइन वाटर के लाभ गिनाये

इस मौके पर अल्‍कलाइन युक्‍त पेयजल के लाभ गिनाते हुए कृष्‍णा इंटरप्राइजेस के प्रतिनिधि ने टेस्‍ला पावर यूएसए के प्रोडक्‍ट अल्‍कालाइन वाटर प्‍यूरीफायर्स के बारे में जानकारी दी। उन्‍होंने बताया कि आरओ वाटर में मिनरल्‍स नष्‍ट हो जाते हैं, जबकि अल्‍कलाइन वाटर में ऐसा नहीं होता है, ये स्‍वास्‍थ्‍य के लिए बहुत लाभदायक है।     

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