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हर चौथे भारतीय को है किसी न किसी प्रकार की एलर्जी

-विश्व एलर्जी सप्ताह (22-29 जून 2024) पर विशेष

-डॉ सूर्यकान्त ने बताया कि बरसात में कैसे बचें एलर्जी से

Dr Suryakant

सेहत टाइम्स

लखनऊ। हर चौथा भारतीय किसी न किसी प्रकार की एलर्जी से ग्रसित है। अक्सर हम एलर्जी को बदलते मौसम से जुड़ी मामूली समस्या समझ कर नजर अंदाज कर देते है, मगर कई बार हल्की समस्या कई गंभीर बीमारियों का सबब बन जाती है। विश्व एलर्जी सप्ताह के अवसर पर जनता को जागरूक करने के उद्देश्य से यह जानकारी किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू), लखनऊ के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डा0 सूर्यकान्त ने देते हुए बताया कि बरसात के इस मौसम में तापमान में गर्मी के अलावा नमी की मात्रा भी काफी रहती है। इसके साथ ही नये परागकण भी वातावरण में व्याप्त रहते हैं। इसके साथ ही बढ़ती नमी के साथ विषाणु भी काफी मात्रा में वातावरण में आ जाते हैं। धूल, धुआँ, पालतू पशु जैसे – कुत्ता, बिल्ली, खरगोश के अलावा फूलों के पराग-कण या एलोपैथिक दवाओं के रिएक्शन से एलर्जी की समस्या हो सकती है। ऐसे में समय रहते ही सजग होने की जरूरत है।

इंडियन कॉलेज ऑफ एलर्जी, अस्थमा एण्ड एप्लाइड इम्यूनोलॉजी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डा0 सूर्यकान्त के अनुसार एलर्जी शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली के धूलकणों, मौसम में परिवर्तन, परागकणों और जानवरों के रेशों के प्रति प्रतिक्रिया की वजह से होती है। विभिन्न मौसम में विभिन्न प्रकार के पराग-कण पाये जाते है। ये छोटे छोटे परागकण नाक में घुस कर उसके अन्दर श्लेष्मा की परत से चिपक जातें हैं। इसके बाद यह नाक से गले तक पहुचॅ जाते है और रोग प्रतिरक्षा तंत्र पर असर करते हैं। इन कणों के प्रतिरोध की वजह से शरीर में हिस्टामीन निकलता है जो तेजी से फैल कर एलर्जी के जलन वाले लक्षण पैदा करता है। अगर समय पर इसका इलाज न किया जाए तो यह हल्की एलर्जी साइनस संक्रमण, लिम्फ नोड संक्रमण और अस्थमा जैसी गम्भीर समस्याएं पैदा कर सकती है। इस मौसम में तरह-तरह की एलर्जी की समस्या हो सकती है। जैसे- नाक की एलर्जी (एलर्जिक राइनाइटिस), एलर्जिक कन्जक्टिवाइटिस (आंख की एलर्जी), एटॉपिक डर्मेटाइटिस (त्वचा की एलर्जी), खाद्य एलर्जी, फफूंद से एलर्जी, कीटों के डंक से होने वाली एलर्जी, पालतू जानवरों के कारण होने वाली एलर्जी, लेटेक्स एलर्जी आदि।

डॉ सूर्यकांत ने बताया कि एलर्जी रोग विशेषज्ञ से ही एलर्जी का उचित उपचार कराएं, विभिन्न प्रकार की एलर्जी में एंटी एलर्जिक दवाएं एलर्जी टैस्टिंग एवं इम्यूनोथिरेपी का उपयोग एलर्जी विशेषज्ञ की सलाह पर दिया जाता है। उन्होंने बताया कि विभिन्न एलर्जी से बचाव के लिए कुछ बातों का ध्यान रखने की जरूरत है जैसे –

• अपने घर को साफ रखें।
• जानवरों को घर से दूर रखें।
• घरो में कालीन के बजाए लकड़ी य हार्ड विनाइल फर्श का उपयोग करें।
• पराग कणों से बचने के लिए पार्क और खेतों जैसे घास वाले इलाको से बचें।
• मध्य और सुबह के दौरान दरवाजा खिड़कियॉ बन्द रखें, जब हवा में सबसे अधिक पराकरण होता है।
• धूप में धूप के चश्मे का प्रयोग करें, धूल, मिट्टी व पालतु जानवरों से दूरी बनाए रहें तथा एलर्जी के लक्षण जैसे कि आंखों में पानी, खुजली, लाली, सूजन और जख्म हो तो आंखों को हाथ न लगाएं और न आंखों को मलें व बिना किसी लपरवाही के चिकित्सक से सलाह ले कर उपचार करें।
• त्वचा एलर्जी होने पर निम्न सावधानियॉ बरतें, प्लास्टिक की चीजें व कास्मेटिक के प्रयोग (जैसे – नकली आभूषण, बिन्दी, परफ्यूम, पाउडर, साबुन आदि ) बचें, त्वचा में बार बार खुजली न करें, प्रदूषित धुल व मिट्टी के कणों से बचें।
• रसायनिक द्रव्यों से युक्त डिब्बा बंद भोज्य वस्तुएं खाने से बचें।
• नाश्ते में कई चीजों एक साथ मिलाकर न खाए।
• अजीर्ण एवं अग्निमांध पैदा करने वाले गरिष्ठ भोजन सेवन न करें।
• एलर्जी पैदा करने वाले खाद्य सामग्री के सेवन से बचें।
• ऐसी दवाओं से सेवन से बचें, जिनसे आपको एलर्जी होती है।
• अशुद्ध जल का सेवन न करें।
• इस मौसम में कूलर का प्रयोग न करें और अगर करते हैं तो उसमें पानी न भरें।
• इस मौसम में जल भराव के स्थान पर जाने से बचें।
• जानवरों को न पालें।

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