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कोविड के चलते पहले वर्षों जैसी धूम नहीं हो सकेगी इस क्रिसमस पर

-प्रोटोकाल का पालन करते हुए तैयारियों में जुटा है ख्रीस्तीय समुदाय

लखनऊ। लखनऊ का ईसाई समुदाय, बड़े हर्षोल्लास के साथ 25 दिसंबर को प्रभु येशु ख्रीस्त का जन्मोत्सव, क्रिसमस पर्व, मनाने की तैयारी में जुटा हुआ है। क्रिसमस समय की शुरुआत नवंबर 29, 2020 ‘आगमन काल’ के पहले इतवार से साथ आरंभ हुई थी। आगमन काल को अंग्रेजी में ‘एड्वेंट’ सीजन कहा जाता है। तीन सप्ताह का आगमन का समय बेथलहम में प्रभु यीशु के जन्मोत्सव मनाने हेतु आध्यात्मिक तरीके से तैयारी करने का सुंदर समय है।

भले ही तैयारियां शुरू हुई हों, लेकिन महामारी के हालत को ध्यान में रखते हुए सरकारी निर्देश अनुसार इस साल क्रिसमस कम धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। 24 दिसंबर मध्य रात्रि की पूजन विधि (पवित्र  मिस्सा) हजरतगंज में स्थित, शहर के मुख्य चर्च, सेंट जोसेफ कैथेड्रल में लखनऊ धर्म प्रांत के धर्माध्यक्ष बिशप जेराल्ड जॉन मथायस के नेतृत्व में अन्य पुरोहितों के साथ होगी। इस साल कोविड-19 प्रोटोकॉल को ध्यान में रखते हुए विभिन्न मोहल्ले के प्रतिनिधि, एक सीमित संख्या के साथ रात्रि के एवं दिन की पूजन विधियों में भाग लेंगे।

जब कि कैथेड्रल प्रांगण को क्रिसमस की रोशनी, झांकियां और क्रिसमस सितारों से सजाया जाएगा, लखनऊ में विभिन्न धार्मिक समुदायों के त्योहारों के लिए प्रचलित प्रतिबंधों के अनुसार लोगों का प्रवेश सीमित होगा। चूंकि कैथेड्रल प्रांगण काफी बड़ा है इसलिए किसी भी समय लगभग 200 लोगों को प्रवेश दिया जाएगा।  वैसे तो याद रखने की बात है कि‍ हर साल लगभग एक लाख से अधिक लोग कैथेड्रल परिसर में क्रिसमस का लुत्‍फ उठाने और मरियम ग्रोटो के सामने मोमबत्ती जलाने  एवं प्रार्थना करने के लिए आया करते हैं। महामारी को ध्यान में रखते हुए 25 दिसंबर शाम को होने वाला “क्रिसमस ड्रामा” एवं 26 दिसंबर शाम को होने वाला “क्रिसमस मिलन” को रद किया गया है।

अपने क्रिसमस संदेश में लखनऊ धर्मप्रांत के बिशप जेराल्ड जॉन मथायस ने कहा: “क्रिसमस में हम सभी शांति के राजा प्रभु यीशु का जन्मोत्सव मनाते हैं। यह क्रिसमस हमें प्रभु यीशु मसीह द्वारा दी गई वास्तविक शांति और आनंद प्रदान करें जो आज के समाज में अति आवश्यक है।” उन्होंने समुदाय से क्रिसमस के आध्यात्मिक संदेश पर लौटने और इस महत्वपूर्ण पवित्र पर्व का व्यवसायीकरण करने के प्रलोभन से बचने की अपील की।