-Esophageal atresia and tracheoesophageal fistula रोग से ग्रस्त थी बच्ची, आहार नाल व सांस नली जुड़ी हुई थीं आपस में

सेहत टाइम्स
लखनऊ। डॉ राम मनोहर लोहिया संस्थान के राम प्रकाश गुप्ता मातृ एवं शिशु रेफरल चिकित्सालय में चिकित्सकों ने पांच दिन की एक प्रीमेच्योर डेढ़ किलो की बच्ची की जटिल सर्जरी कर उसकी आहार नाल और सांस नली को पृथक करने में सफलता हासिल की है।


मिली जानकारी के अनुसार रायबरेली निवासी 24 वर्षीय महिला को गर्भावस्था के दौरान एमनियोटिक द्रव (गर्भावस्था के दौरान भ्रूण को घेरे रहने वाला एक तरल पदार्थ) की मात्रा में असामान्य वृद्धि हो गयी। असामान्य स्थिति को देखते हुए लखनऊ के एक निजी अस्पताल में सिजेरियन ऑपरेशन किया गया जिसमें महिला ने बच्ची को जन्म दिया। नवजात बच्ची एक बहुत गंभीर जन्मजात बीमारी से ग्रसित थी जिसको ओसोफेजियल एट्रेसिया और ट्रैकियो-ओसोफेजियल फिस्टुला Esophageal atresia and tracheoesophageal fistula कहा जाता है इसमें आहार नाल, सांस नली से जुड़ी होती है तथा आहार नाल का ऊपरी हिस्सा निचले हिस्से से जुड़ा हुआ नहीं होता जिस वजह से बच्चा दूध पीने में असमर्थ होता है। यह बीमारी प्रति साढे तीन से लेकर चार हजार जन्म लेने वाले बच्चों में से किसी एक को होती है।
जन्म लेने के तीसरे दिन 1500 ग्राम की इस नवजात बच्ची को सांस लेने में तकलीफ तथा दूध न पी पाने की वजह से 17 दिसम्बर 2024 को डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के राम प्रकाश गुप्ता मातृ एवं शिशु रेफरल चिकित्सालय में पीडियाट्रिक विभाग के प्रोफेसर के के यादव, सीनियर रेजिडेंट उर्वशी सिंह, जूनियर रेजिडेंट अंशिका आनंद की देखरेख में भर्ती किया गया। जांचों द्वारा ओसोफेजियल एट्रेसिया और ट्रैकियो-ओसोफेजियल फिस्टुला बीमारी की पुष्टि के बाद 19 दिसंबर 2024 को सायं काल आपातकालीन ऑपरेशन करने का निर्णय लिया गया। पीडियाट्रिक सर्जरी टीम के प्रोफेसर श्रीकेश सिंह तथा असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ सौरभ श्रीवास्तव द्वारा ढाई घंटे तक जटिल सफल सर्जरी की गई। सर्जरी के बाद बच्ची को गहन चिकित्सा इकाई में वेंटिलेटर पर रखा गया। खून तथा प्लाज्मा चढ़ाया गया। वर्तमान में बच्ची वेंटिलेटर की मशीन से मुक्त तथा 1565 ग्राम के वजन के साथ मां का दूध पी रही है तथा स्वस्थ है।
