-नौतपा की गर्मी से बचने के लिए क्या सावधानी बरतें, बता रहे हैं विशेषज्ञ
-24-25 मई की मध्य रात्रि से 2 जून तक है नौतपा, पड़ेगी जबरदस्त गर्मी
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सेहत टाइम्स
लखनऊ। इस समय भीषण गर्मी से धरती तप रही है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस तपन में अगले नौ दिनों 24-25 की मध्य रात्रि से 2 जून नौ दिन तक नौतपा के चलते और बढ़ोतरी होने जा रही है। ज्ञात हो नौतपा प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ माह में सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में रहने की अवधि में होता है इस दौरान तापमान में ज्यादा वृद्धि हो जाती है, इसलिए चिकित्सक इस अवधि में विशेष सतर्कता बरतने की सलाह देते हैं।
इस बारे में केजीएमयू के फिजियोलॉजी विभाग के सेवानिवृत्त विभागाध्यक्ष डॉ नर सिंह वर्मा ने ‘सेहत टाइम्स’ को बताया कि नौतपा में सूर्य की किरणें धरती पर सीधी पड़ती हैं, इसलिए गर्मी ज्यादा रहती है। इन दिनों विशेष सतर्कता बरतने की आवश्यकता होती है।
इन बातों का रखना चाहिए ध्यान
दिन में अनावश्यक रूप से घर के बाहर न निकलें। अगर जाना जरूरी ही है तो जाने के लगभग दो घंटे पहले कच्चा प्याज, तरबूज, खरबूजा का अच्छे से सेवन कर लें। क्योंकि इनमें पानी अधिक मात्रा में होता है जो देर तक शरीर में बना रहता है, इसके विपरीत अगर पनीर या दूसरी हाई प्रोटीन चीज खाकर निकलेंगे तो प्यास ज्यादा लगेगी और शरीर में पानी की कमी हो जाएगी जिससे यूरिन इन्फेक्शन हो सकता है, यूरिक एसिड बढ़ जायेगा, किडनी में पथरी होने की संभावना पैदा हो जाएगी ।
इसके अलावा घर से निकलते समय सूती कपड़े सफ़ेद या हलके रंग के पहनें। कपड़े ढीले हों। जब निकलें तो छाता लेकर निकलें, छाता काले रंग का न हो तो ज्यादा अच्छा है। संभव हो तो सिर पर टोपी लगा लें या सूती कपड़ा रख लें। ठन्डे पानी की बोतल जरूर साथ में रखें और हर 15 मिनट पर दो घूंट पानी पीते रहें।
एक महत्वपूर्ण सलाह देते हुए उन्होंने बताया कि आजकल बिक रहा गन्ने का रस न पीयें क्योंकि आजकल जो गन्ना आता है उनमें कीड़े होते है, जिसके कारण जॉइन्डिस होता है। इसे और स्पष्ट करते हुए उन्होंने कहा कि गन्ना पैदा होता है नवम्बर में, जब वह नया-नया होता है तो तीन चार माह यानी मार्च तक तो उसका जूस पिया जा सकता है मिल वाले भी उसी समय इसकी खरीद कर लेते हैं फिर जो गन्ना बचा रहता है वह खेतों में ऐसे ही पड़ा रहता है, और सूख जाता है, उन गन्नों में कीड़े लगने शुरू हो जाते हैं, यही गन्ना आजकल गर्मियों में जूस के लिए आ जाता है।
उन्होंने बताया कि इसी प्रकार सड़कों पर बिकने वाला नारियल पानी भी फ़ायदेमंद नहीं है क्योंकि ये जो नारियल बिकता है यह केरल से ट्रकों में भरकर चला, यहां आते-आते तीन दिन लग गए, फिर यहां आकर सड़कों के किनारे ढेर लग गया।
घर के खिड़की-दरवाजे खुले रखें, जिससे हवा आती-जाती रहे। जिस कमरे में अंधेरा जैसा या रौशनी कम हो वहां विश्राम करें।
सुबह 8 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक हर आधे घंटे पर कोई न कोई तरल पदार्थ जैसे पानी, शरबत, शिकंजी, आम का पना, पतला दही, मिशराम्बु, ठंडाई आदि लें। ठोस पदार्थ पहले का आधा कर दें, तरल पदार्थ बढ़ा दें, अगर नॉन वेज खाते हैं तो इन नौ दिन न खाएं, इसके अलावा पनीर और छेने का सेवन भी बहुत कम कर दें। हरी सब्जियां, खीरा, ककड़ी, तरबूज, खरबूजा, टमाटर ज्यादा लें। सब्जियों में लौकी, तरोई, परवल, कद्दू, पालक ज्यादा खायें बैगन जैसी गरिष्ठ सब्जियां न खायें।
अल्ट्रा वायलेट किरणे भी शरीर पर पड़नी जरूरी
डॉ नर सिंह वर्मा का कहना है कि धूप में निकलते समय संस्क्रीन लगाना या बहुत ज्यादा चेहरा, हाथ आदि ढंके होना भी ठीक नहीं है क्योकि अगर शरीर में अल्ट्रा वायलेट किरणे न गयीं तो विटामिन डी की कमी हो जाती है। उन्होंने साफ़ किया कि इसीलिए हलके रंग का छाता या कपड़े की सलाह दी जाती है क्योंकि हल्के रंग के कपड़ों से छनकर अल्ट्रा वायलेट किंरणें शरीर में पहुंच जाती हैं।
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