-पीजीआईसीएच में आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में दी गयीं महत्वपूर्ण जानकारियां

सेहत टाइम्स
नोएडा/लखनऊ। नोएडा स्थित पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ चाइल्ड हेल्थ (पीजीआईसीएच) के निदेशक, प्रो अजय सिंह ने कहा है कि जन्मजात बीमारियों/ विकलांगता आदि को अभिशाप समझने की आवश्यकता नही है। ये किसी को भी हो सकती है, और इन दोषों से बचाव और इनका निदान काफी हद तक संभव है। अब ऐसे जेनेटिक टेस्ट आ गये हैं जिनके माध्यम से हम समय रहते ऐसे दोषों का पता लगा सकते है तथा इनका बचाव या निदान कर सकते है।
प्रो सिंह ने यह बात आज संस्थान में बायोकेमिस्ट्री विभाग द्वारा संस्थान के भूतल स्थित रिसेप्शन एरिया में आयोजित बच्चों में होने वाले जन्मजात दोषों, बीमारियों के कारण एवं निदान विषय पर जनजागरूकता कार्यक्रम में अपने सम्बोधन में कही। उन्होंने कहा कि मेडिकल जेनेटिक्स विभाग के अंतर्गत विभिन्न जेनेटिक बीमारियों का परीक्षण एवं उपचार किया जा रहा है तथा सभी अनुवांशिक बीमरियों की जेनेटिक काउंसलिंग भी की जा रही है। उन्होंने कहा कि संस्थान के विभिन्न विभागों के अंतर्गत बच्चों की जन्मजात विकलांगता सहित विभिन्न अन्य जन्मजात बीमारियों का उपचार हो रहा है।
प्रो सिंह ने कहा कि हम प्रत्येक गर्भवती और उसके भ्रूण का गर्भावस्था के दौरान नियमित अंतराल पर सम्पूर्ण जांच कर जेनेटिक दोषों और अन्य बीमारियों का बचाव एवं निदान कर सकते हैं। हमे पर्यावरण का भी खयाल रखना है। वर्तमान में विभिन प्रकार के प्रदूषण की वजह से भी जेनेटिक मटेरियल में बदलाव देखने को मिल रहा है।
देर से शादी भी वजह बन रही जेनेटिक्स बीमारियों की
कार्यक्रम में वरिष्ठ चिकित्सक स्त्रीरोग डॉ अलौकिता शर्मा ने बताया कि गर्भावस्था के दौरान प्रॉपर स्क्रीनिंग के माध्यम से हम इन बीमारियों को ज्ञात कर सकते हैं। आज कल देर से शादी भी जेनेटिक बीमारियों की वजह बन रही है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी, जिला स्वास्थ्य सेवा डॉ सुषमा चंद्रा, ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में आशा बहुओं की बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका है। वो ग्रामीण क्षेत्रों में गर्भवती महिलाओं और शिशुओं के स्वास्थ्य की देख भाल में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इनके पास क्षेत्र की सभी गर्भवती महिलाओं की सूचना होती है और ये गर्भावस्था के दौरान एक नियमित अंतराल पर सभी गर्भवती के घर जाकर उनको टीकाकरण, दवाइयों, जांचों आदि के बार मे जानकारी देती हैं और अस्पताल तक उनको ले जाने में सहायता करती हैं।
उन्होंने बताया कि गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में फोलिक एसिड की कमी की वजह से बच्चों में Neural Tube Defect कि समस्या उत्पन्न होती है। जिसको गर्भावस्था के दौरान फोलिक एसिड के सेवन से रोका जा सकता है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम RBSK के तहत भी स्कूल और आंगन बाड़ी केंद्रों के बच्चों के विभिन्न अनुवांशिक बीमारियों का उपचार किया जा रहा है।
सचिव इंडियन अकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक एवं नेशनल ट्रेनर, NRP डॉ संध्या गुप्ता ने बताया कि 100 में से करीब 1 से 3 लोगों में जेनेटिक दोष होता है, जो वंशानुगत चलता है। गर्भावस्था के दौरान इनकी पहचान संभव है। ऐसी बहुत सारी बीमारियों को आहार और फिजियोथेरेपी के माध्यम से निदान किया जा सकता है।
जल्द ही शुरू होगी स्क्रीनिंग की सुविधा
बायोकेमिस्ट्री विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ ऊषा बिंदल ने कहा कि कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य लोगों में अनुवांशिक बीमारियों के प्रति जागरूकता लाना है जिससे कि लोग इसे अभिशाप मानकर न बैठ जाएं। इन बीमारियों का भी निदान किया जा सकता है। जल्द ही बायोकेमिस्ट्री विभाग में Neonatal screening program को प्रारम्भ किया जाएगा। जिसमे 6-7 बीमारियों को जांचा जाएगा जैसे G -6 PD deficiency, PKU, biotinidase deficiency, total galactos deficiency etc. ये सुविधा उत्तर प्रदेश में अभी तक केवल SGPGI में है। कार्यक्रम की संयोजक टीम में डॉ ऊषा बिंदल, एवं डॉ अभिषेक दुबे बायोकेमिस्ट्री विभाग थे।
इस अवसर पर संस्थान की अधिष्ठात्री प्रो ज्योत्सना मदान,सी एम एस, प्रो डी के सिंह, एमएस डॉ आकाश राज और अन्य संकाय सदस्य, कर्मचारी इत्यादि उपस्थित रहे। कार्यक्रम में विभिन्न विद्यालय के विद्यार्थी, मरीजों के तीमारदार, संस्थान के संकाय सदस्यों एवं कर्मचारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।

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