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अच्‍छे अंक लाने की प्रतिस्‍पर्धा में न उलझायें अपने बच्‍चों को

-हर बच्‍चे का मानसिक स्‍तर एक नहीं होता
-विश्‍व मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य दिवस पर छात्र-छात्राओं के लिए कार्यशाला आयोजित

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। कई बार अभिभावक अपने बच्चों पर अनावश्यक दबाव बनाते हैं जैसे, अच्छे नम्बर लाने का दबाव, भाई बहनों एंव सहपाठियों में अच्छे नम्बर लाने की प्रतिस्पर्धा इत्यादि, लेकिन हर बच्चा एक समान नहीं होता है और न ही हर बच्चे का मानसिक स्तर एक समान होता है, इसलिए आवश्‍यक नहीं है कि बच्‍चा माता-पिता की इच्‍छा पर शतप्रतिशत खरा उतरे। इसलिए माता-पिता को इस तरह का दबाव बच्‍चे पर डालने से बचना चाहिये, अन्‍यथा बच्‍चा तनाव में रहता है जो उसकी मानसिक बीमारी का कारण बन सकता है।

यह बात विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर आज सिटी माण्टेसरी स्कूल, गोमतीनगर, लखनऊ के सभागार में कक्षा 7 से 12 तक के छात्र-छात्राओं के लिए आयोजित उन्मुखीकरण कार्यशाला में लखनऊ के मानसिक कार्यक्रम के नोडल अधिकारी/अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, डॉ राजेन्द्र कुमार चौधरी ने अपने सम्‍बोधन में कही। उन्‍होंने कहा कि बच्चों को अपनी रुचि के अनुसार ही विषय एवं कैरियर चुनने की आजादी देनी चाहिए।  डॉ चौधरी द्वारा विद्यालयों के प्रधानाचार्यों से विशेष अनुरोध किया गया कि बच्चों को प्राप्त होने वाले अंकों के अनुसार सेक्शन नहीं बनाने चाहिए इससे बच्चों के अन्दर हीन भावना उत्पन्न होने का भय रहता है।

 

कार्यशाला में उपस्थित समस्त छात्र-छात्राओं द्वारा डा0 चौधरी के विचारों का स्वागत किया गया। इस मौके पर मुख्‍य चिकित्‍सा अधिकारी डॉ नरेन्द्र अग्रवाल, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी/जिला नोडल अधिकारी मानसिक स्वास्थ्य डा0 राजेन्द्र चौधरी, राज्य नोडल अधिकारी, मानसिक स्वास्थ्य, उ0प्र0, डा0 सुनील पाण्डेय, उप प्रधानाचार्य यास्मीन खान, एवं मोइन अहमद, सेवानिवृत्‍त एबीएसए लखनऊ के द्वारा दीप प्रज्‍ज्वलित करके कार्यशाला का शुभारम्भ किया गया।

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ नरेन्‍द्र अग्रवाल द्वारा अपने सम्बोधन में कहा गया कि वर्तमान जीवनशैली में बच्चे अपना ज्यादा से ज्यादा समय टीवी, मोबाइल एवं लैपटॉप इत्यादि पर व्यतीत कर रहे हैं जिसके परिणाम स्वरूप बच्चों एवं उनके माता-पिता के मध्य दूरी बन जाती है बच्चे अपने मन की बातों को माता-पिता से नहीं बता पाते हैं जिस कारण मन में कई बातें घर कर जाती हैं एवं बच्चे मानसिक तनाव से ग्रस्त हो जाते हैं इसके अतिरिक्त स्कूली छात्र-छात्राओं पर परीक्षा, पढ़ाई, शिक्षकों की डांट इत्यादि से भी तनाव होता है। आज के समय में इस तरह की कार्यशाला का आयोजन कराये जाने की अत्यन्त आवश्यकता है।

कार्यक्रम के राज्य नोडल अधिकारी डॉ सुनील पाण्डेय द्वारा बताया गया कि जनपद के समस्त विद्यालयों से एक नोडल शिक्षक को मानसिक स्वास्थ्य के सम्बन्ध में जिला मानसिक स्वास्थ्य प्रकोष्ठ के द्वारा प्रशिक्षित किया जायेगा। तदोपरान्त प्रशिक्षित शिक्षकों द्वारा कक्षाओं में मॉनीटर की भांति ही लड़कों को ”मनदूत“ एंव लड़कियों को ”मनपरी“ बनाया जायेगा जो कक्षा के बच्चों के मानसिक व्यवहार की समस्याओं को नोडल शिक्षकों को अवगत करायेगें।  शिक्षक बच्चे के माता-पिता को अवगत करायेगें।

स्कूल की प्रधानाचार्य आभा अनन्त द्वारा कार्याशाला के आयोजन के लिए मुख्य चिकित्सा अधिकारी का आभार व्यक्त करते हुए बताया कि जनपद के प्रत्येक विद्यालय में अध्ययनरत् छात्र-छात्राओं को मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किये जाने के लिए इस तरह की कार्यशालाओं एवं कार्यक्रमों की अत्यन्त आवश्यकता है, उन्होंने छात्र-छात्राओं कहा कि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति स्वयं, अपने परिजनों एंव अन्य सहपाठियों को जागरूक करें।

देखें वीडियो-बच्‍चों को टेंशन से बचाने के लिए डॉ आरके चौधरी का सटीक विश्‍लेषण व सुझाव

कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ आशुतोष श्रीवास्तव द्वारा मेण्टल हेल्थ फर्स्‍ट ऐड विषय पर बच्चों को जानकारी प्रदान की गयी एवं सरल रूप में बच्चों को मानसिक विकारों एंव उससे निपटने के तरीकों के बारे में बताया गया।

वक्ता डेविड अब्राहम द्वारा लाइफ स्किल्स फॉर टीन्स विषय पर बच्चों को युवा अवस्था में मन में उठने वाले विचारों एंव मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूक किया गया।