नेशनल इंटीग्रेटेड एसोसिएशन की संगोष्ठी में मनोचिकित्सक ने दिये टिप्स
लखनऊ। आज की भागमभाग जिन्दगी, जीवन शैली जैसे अनेक कारणों के चलते भारत में 15 से 20 प्रतिशत लोग अवसाद यानी डिप्रेशन के शिकार हैं, यह अवसाद तीन श्रेणी का होता है माइल्ड, मॉडरेट और सीवियर। चूंकि देश में मनोचिकित्सक की संख्या करीब 6000 है, ऐसे में अवसाद के मरीजों के अनुपात में चिकित्सक बहुत कम हैं, लेकिन इसका एक रास्ता यह है कि जनरल फिजीशियन्स को अवसाद के इलाज के बारे में प्राथमिक जानकारी देकर माइल्ड और मॉडरेट श्रेणी के अवसाद के रोगियों का इलाज किया जा सकता है, तथा सीवियर डिप्रेशन के मरीजों जो करीब 5 प्रतिशत हैं, उन्हें विशेषज्ञ मनोचिकित्सक के पास इलाज के लिए भेजना चाहिये।

यह बात मनोचिकित्सक डॉ अलीम सिद्दीकी ने शनिवार को यहां नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन (नीमा) द्वारा आयोजित एक संगोष्ठी में अपने व्याख्यान ‘एक गैर मनोरोग चिकित्सक द्वारा एंटीडिप्रेसेंट के उपयोग पर व्यावहारिक सुझाव’ (Practical tips on use of antidepressant by a non psychiatry doctor) में कही।
लक्षण
डॉ सिद्दीकी ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति में उदासीपन, दुखी रहना, थकान, जोड़ों में दर्द, नींद न आना, आत्महत्या के विचार आना जैसे लक्षण 15 दिन या उससे ज्यादा रहें और उसका कामकाज प्रभावित हो तो यह लक्षण अवसाद यानी डिप्रेशन के होते हैं। उन्होंने कहा कि यदि डिप्रेशन के साथ कोई कार्डियक आदि अन्य बीमारी हो तो उसे सीधे विशेषज्ञ चिकित्सक को ही दिखाना चाहिये।
दवा की लत की भ्रांति
डॉ अलीम ने कहा कि लोगों में यह भ्रांति फैली हुई है कि अवसाद की दवाओं का सेवन करने वाले की दवा कभी छूटती नहीं है, ऐसा नहीं है, अवसाद दूर करने के लिए जो दवायें दी जाती है वे व्यक्ति के ठीक होने पर छूट जाती हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा उन दवाओं के साथ होता है जो नींद आने के लिए दी जाती हैं, उनका आदी होने पर उन दवाओं को छोड़ना मुश्किल होता है।

नीमा के महासचिव डॉ अलाउद्दीन ने बताया कि आयोजित संगोष्ठी में नीमा से जुड़े 125 चिकित्सकों ने भाग लिया। संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में निदेशक यूनानी सेवायें प्रो सिकंदर हयात एवं रजिस्ट्रार भारतीय चिकित्सा परिषद डॉ अखिलेश वर्मा के साथ ही डॉ सलमान खालिद, डॉ मोईद, डॉ मनोज मिश्र, डॉ अलाउद्दीन, डॉ रवि श्रीवास्तव, डॉ हेमन्त, डॉ नाजिर अब्बास, डॉ रूशी, डॉ रईस, डॉ संजीत सिन्हा, डॉ नीता यादव, डॉ वेद प्रकाश आदि ने भाग लिया।
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