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संविदा, आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के लिए समान वेतन नीति को प्रख्यापित करने की मांग

-राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने कहा निर्णय को लागू करें

सेहत टाइम्स ब्यूरो

लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने संविदा कर्मियों के लिए समान कार्य-समान वेतन का सिद्धांत अपनाते हुए संविदा, आउटसोर्सिंग के लिए तैयार स्थाई नीति को प्रख्यापित किए जाने की मांग की ।

परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने बताया कि न्यायालय के आदेशों के क्रम में भारत सरकार के कार्मिक विभाग द्वारा जारी शासनादेश संख्या  49014/1/2017 दिनांक 4 सितंबर 19 के अनुसार जिन कर्मियों के कार्य स्थाई कर्मियों के समान है, उनका दैनिक मानदेय स्थाई कर्मियों के मानदेय के एक माह के 30वें भाग के बराबर करते हुए 8 घंटे का महंगाई भत्ता भी निर्धारित किये जाने के आदेश जारी किए गए हैं एवं न्यायालय के आदेशों का परिपालन करने के निर्देश दिए गए हैं।

परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने बताया कि तत्कालीन मुख्य सचिव  अनूप चन्द्र पाण्डेय की अध्यक्षता में 9 अक्टूबर 2018 को संपन्न हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि प्रदेश में कार्यरत संविदा कर्मचारियों और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के वेतन एवं उनके भविष्य की सुरक्षा के लिए स्थाई नीति बनाई जाएगी जिसके लिए अपर मुख्य सचिव  नियुक्ति एवं कार्मिक  की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया था। इसी क्रम में राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के साथ 14 फरवरी 2019 को अपर मुख्य सचिव कार्मिक की अध्यक्षता में पुनः बैठक हुई जिसमें निर्णय लिया गया एक माह के अंदर नीति पर मंत्रिपरिषद से निर्णय लिया जाएगा। लगभग दो वर्ष से अधिक बीतने के बाद भी संविदा कर्मियों एवं आउटसोर्सिंग कर्मियों के लिए बनाई गई नीति अभी तक मंत्रिमंडल से निर्णीत नहीं हो पाई है जिसके कारण प्रदेश में कार्यरत विभिन्न विभागों के संविदा एवं आउटसोर्सिंग कर्मियों का भविष्य अधर में है। अक्सर देखने में आ रहा है कि विभिन्न विभागों में कर्मचारियों को उनकी सेवा समाप्ति का नोटिस दिया जा रहा है जिसके कारण प्रदेश भर में कर्मी आक्रोशित हो रहे हैं। भारत सरकार के कार्मिक विभाग द्वारा जारी शासनादेश के क्रम में 12 सितंबर 2019 को ई एस आई द्वारा एक पत्र जारी कर समान कार्य समान वेतन लागू करने के निर्देश दिए हैं परंतु उत्तर प्रदेश में अभी तक समान कार्य समान वेतन के सिद्धांत का पालन नहीं हो रहा है जिससे कर्मियों का लगातार शोषण भी हो रहा है, विभिन्न भागों में बिना कारण बताए आउटसोर्सिंग कर्मियों को व संविदा कर्मियों को सेवा से बाहर के जाने के कारण उनके परिवार भुखमरी के कगार पर पहुंच जाते हैं।

सरकार द्वारा जो नीति बनाई गई उसमे कर्मियों के वेतन ,सेवा सुरक्षा, भत्ते,अवकाश, नियमित नियुक्तियों में वरीयता तथा  अन्य सेवा शर्तों के लिए प्रावधान किया गया, लेकिन अभी तक मंत्रिपरिषद से पारित ना हो पाने के कारण नीति लागू नहीं हो सकी है, इससे कर्मचारियों में रोष व्याप्त हो रहा है ।

राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उ प्र के संगठन प्रमुख के के सचान, अध्यक्ष सुरेश,वरिष्ठ उपाध्यक्ष गिरीश चन्द्र मिश्रा,  महामंत्री अतुल मिश्रा ,उपाध्यक्ष सुनील यादव, प्रवक्ता अशोक कुमार ने मा मुख्यमंत्री जी से मांग की है कि वर्तमान परिवेश में कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा वित्तपोषित योजनाओं , चिकिसा स्वास्थ्य, शिक्षा, स्थानीय निकाय, रोडवेज़ जैसे आवश्यक सेवाओ के विभागों में कार्यरत संविदा/आउटसोर्सिंग कर्मचारी अपनी व परिवार की जान दांव पर लगाकर जनता की जान बचाने व सरकार का पूरा साथ दे रहे और कई दिवंगत भी हो गए हैं। ऐसी परिस्थिति में इन अल्पवेतन भोगी कर्मचारियों के उज्ज्वल भविष्य व मनोबल बढ़ाने के लिए आउटसोर्सिंग एवं संविदा कर्मचारियों के लिए बनाई गई नीति को तत्काल मंत्रिपरिषद से निर्णय कराते हुए लागू कराएं।