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दयालु हुए कुपित, निदेशक होम्योपैथी प्रो अरविन्द कुमार वर्मा निलम्बित

-ट्रांसफर-पोस्टिंग में अनियमिताओं के आरोप में की गयी कार्रवाई

प्रो. अरविंद कुमार वर्मा

सेहत टाइम्स

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के आयुष मंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र ‘दयालु’ ने बड़ी कार्रवाई करते हुए निदेशक होम्योपैथी प्रो. अरविंद कुमार वर्मा को ट्रांसफर-पोस्टिंग में अनियमिताओं के आरोप में निलंबित कर दिया है।

आयुष विभाग के प्रमुख सचिव रंजन कुमार द्वारा जारी सूचना में कहा गया है कि निदेशक होम्योपैथी प्रो० अरविन्द कुमार वर्मा के विरुद्ध प्रेषित प्राथमिक जांच आख्या एवं स्थानांतरण सहित पदीय दायित्वों के निर्वहन में संदिग्ध भूमिका, कर्तव्यनिष्ठा का अभाव एवं भ्रामक तथ्यों को प्रस्तुत कर दिग्भ्रमित करने की प्रवृत्ति तथा शिथिल एवं संवेदनहीन कार्यशैली के दृष्टिगत प्रो० अरविन्द कुमार वर्मा को तात्कालिक प्रभाव से निलम्बित कर दिया गया है।
पत्र में कहा गया है कि उ०प्र० सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 1999 के नियम-7 में विहित प्रावधानों के अन्तर्गत विभागीय/अनुशासनिक कार्यवाही संस्थित करते हुए उन्हें राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल कालेज एवं अस्पताल, गाजीपुर से सम्बद्ध किया गया है।

ज्ञात हो विगत दिनों हुए ट्रांसफर-पोस्टिंग में अनियमिताओं को लेकर प्रो. वर्मा पर गंभीर आरोप लगे थे। इसकी जानकारी मिलने पर मंत्री ने सभी ट्रांसफर निरस्त कर दिये थे। इस पूरे मामले को लेकर आयुष मंत्री डॉ दयालु मुख्यमंत्री से भी मिले थे।

 

ज्ञात हो निदेशक डॉ. अरविंद कुमार वर्मा पर पहले भी गंभीर आरोप लग चुके हैं। उनकी शिकायत अप्रैल में ही राष्ट्रपति तक से की गई थी। शिकायत में सात बिंदुओं के तहत आरोप लगे थे।

आजमगढ़ के आरटीआई एक्टिविस्ट पतरू विश्वकर्मा ने राष्ट्रपति को भेजे शिकायती पत्र में आरोप लगाया था कि निदेशक डॉ. वर्मा ने कई महिला डॉक्टरों को निदेशालय से संबद्ध कर रखा था। आरोप है कि इन चिकित्साधिकारियों से बाबुओं का काम लिया जा रहा था, जबकि निदेशालय व संबद्ध कुछ खास बाबुओं को निदेशक ने दूसरे कार्यों में लगा रखा था। उन पर मृतक आश्रितों की नौकरी नियम विरुद्ध करने का भी आरोप है।

बताया जाता है कि इधर, आयुष मंत्री को पिछले दिनों हुए ट्रांसफर-पोस्टिंग में अनियमिताओं की शिकायत मिली थी। यह भी आरोप लगा कि निदेशक ने शासन स्तर के एक आला अफसर से साठगांठ कर ट्रांसफर सूची तैयार की थी। इसकी जांच आयुष महानिदेशक ने की थी। घोर अनियमितताएं मिलने पर आखिर में स्थानांतरण सत्र शून्य किया गया। तभी से मामला गर्माया हुआ था।

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