-साचीज और एसजीपीजीआई के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुई कार्यशाला
सेहत टाइम्स
लखनऊ। आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) के संचालन में सूचीबद्ध स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं (ईएचसीपी) की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए स्टेट एजेंसी फॉर कम्प्रेहैन्सिव हेल्थ एंड इंटीग्रेटेड सर्विसेज (साचीस) ने अस्पताल प्रशासन विभाग, संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआईएमएस), लखनऊ के सहयोग से एक व्यापक दो चरणों में क्षमता निर्माण कार्यशाला का आयोजन किया। इस पहल का उद्देश्य परिचालन संबंधी कमियों को दूर करना, एबी-पीएमजेएवाई प्रोटोकॉल का अनुपालन सुनिश्चित करना और ईएचसीपी को योजना के निर्बाध क्रियान्वयन के लिए आवश्यक नवीनतम उपकरणों, कार्यप्रवाहों और सर्वोत्तम प्रथाओं से सशक्त बनाना था।
यह जानकारी देते हुए एसजीपीजीआई के चिकित्सा अधीक्षक डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि अर्चना वर्मा, आईएएस, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, साचीस और डॉ पूजा यादव, आईएएस, अपर सीईओ, साचीस के नेतृत्व में 17 जुलाई को प्रथम चरण में दो सत्रों में कार्यशाला आयोजित की गई थी। कार्यशाला का दूसरा चरण 21 जुलाई को इसी स्थान पर आयोजित होगा। यह संरचित, बहु-सत्रीय प्रशिक्षण दो सत्रों में आयोजित किया गया था, जिसमें प्रत्येक बैच में विभिन्न जिलों के ईएचसीपी के 60 प्रतिभागी शामिल थे।
इस कार्यक्रम में अर्चना वर्मा के साथ ही एसजीपीजीआई के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रो. देवेंद्र गुप्ता, चिकित्सा अधीक्षक प्रो. आर. हर्षवर्धन और साचीज के महाप्रबंधक एवं मानव संसाधन प्रमुख रंजीत सम्मियर की उपस्थिति रही। स्वागत भाषण में प्रो. आर. हर्षवर्धन ने योजना के प्रदर्शन में सुधार एवं सेवा प्रदाताओं के स्तर पर गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा सुनिश्चित करने के लिए क्षमता संवर्धन के महत्व को रेखांकित किया। इसके पश्चात् प्रो. देवेंद्र गुप्ता द्वारा व्याख्यान प्रस्तुत किया गया, जिसमें उन्होंने संस्थान में एबी-पीएमजेएवाई के प्रभाव की व्यापक झलक साझा की। उन्होंने बताया कि कैसे पहले आर्थिक संकट के चलते मरीजों को या तो कर्ज लेना पड़ता था या फिर इलाज को टालना पड़ता था। उन्होंने एबी-पीएमजेएवाई को एक “बूस्टर” करार दिया, जिसने वंचित वर्ग के लिए गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा सेवाओं की पहुँच में क्रांतिकारी बदलाव लाया है।

अर्चना वर्मा ने अपने संबोधन इस तरह की प्रशिक्षण पहलों के महत्व पर ज़ोर दिया और इसे जमीनी स्तर पर -आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) के कार्यान्वयन को मज़बूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य सूचीबद्ध स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को समय पर, कुशल और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएँ प्रदान करने के लिए आवश्यक ज्ञान और उपकरणों से सशक्त बनाना है। तकनीकी सत्रों का नेतृत्व रंजीत समियर एवं उनकी टीम द्वारा किया गया, जिन्होंने एबी-पीएमजेएवाई की प्रक्रियाओं का सुव्यवस्थित परिचय दिया। श्री समियर ने योजना की संचालन प्रक्रिया पर विस्तृत प्रस्तुति दी, जिसके बाद उनकी टीम के सदस्यों द्वारा प्रमुख घटकों जैसे यूज़र मैनेजमेंट पोर्टल (यूएमपी), लाभार्थी पहचान प्रणाली (बीआईएस), ट्रांजेक्शन मैनेजमेंट सिस्टम 2.0 (टीएमएस 2.0), और हॉस्पिटल इम्पैनलमेंट मॉड्यूल (एचईएम) पर सत्र लिए गए।
इसके अतिरिक्त, प्रतिभागियों को पंडित दीनदयाल उपाध्याय राज्य कर्मचारी कैशलेस चिकित्सा योजना (पीडीडीयूआरकेसीसीवाई) के बारे में भी जागरूक किया गया, जिसमें इसके महत्व एवं वर्तमान सेवा वितरण तंत्र में इसके एकीकरण पर विशेष ध्यान दिया गया। एक समर्पित खुली चर्चा सत्र में प्रतिभागियों को अपनी व्यावहारिक समस्याएं, कार्यान्वयन में आ रही चुनौतियां और प्रणाली से संबंधित प्रश्न साझा करने का अवसर मिला, जिन्हें विशेषज्ञों द्वारा प्रभावी रूप से हल किया गया। इस संवादात्मक पहल ने सामूहिक समाधान की दिशा में मार्ग प्रशस्त किया और फील्ड स्तर की अनेक जटिलताओं को स्पष्ट किया। प्रभावी शिक्षण के लिए सभी आवश्यक व्यवस्थाएं सुनिश्चित की गईं।
ज्ञात हो सार्वभौमिक, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच सुनिश्चित करने और नागरिकों के लिए स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च को धीरे-धीरे कम करने की दिशा में एक अग्रणी पहल के रूप में भारत सरकार द्वारा आयुष्मान भारत कार्यक्रम की शुरुआत की गई थी। इसके अंतर्गत एक महत्वपूर्ण घटक है प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (PMJAY), जो प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का कवरेज प्रदान करती है। यह योजना द्वितीयक एवं तृतीयक स्तर की अस्पताल सेवाओं के लिए 12.37 करोड़ पात्र वंचित परिवारों (लगभग 55 करोड़ लाभार्थियों) को गुणवत्तापूर्ण देखभाल सुनिश्चित करती है। हाल ही में इस योजना का विस्तार करते हुए 70 वर्ष या उससे अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिकों को ‘वय वंदना कार्ड’ के माध्यम से इसमें शामिल किया गया है, जिससे 4.5 करोड़ परिवारों के 6 करोड़ वरिष्ठ नागरिकों को सामाजिक-आर्थिक स्थिति की परवाह किए बिना लाभ मिल सकेगा।
डॉ हर्षवर्धन ने बताया कि 1 जनवरी 2025 तक इस योजना के अंतर्गत लगभग ₹1.19 लाख करोड़ मूल्य के 8.59 करोड़ अस्पताल प्रवेश अधिकृत किए जा चुके हैं। उत्तर प्रदेश में 2,546 से अधिक अस्पतालों को योजना में सूचीबद्ध किया गया है, जिनमें 1,032 सार्वजनिक, 1,220 निजी (लाभ हेतु), तथा 294 निजी (गैर-लाभकारी) संस्थान शामिल हैं। प्रमुख जिलों जैसे प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी, कानपुर नगर और बरेली में ही 727 अस्पताल सूचीबद्ध हैं। हालांकि, सूचीबद्ध संस्थानों में अधिकांश निजी क्षेत्र से हैं, जिससे सार्वजनिक EHCPS की भागीदारी बढ़ाने और प्रक्रियाओं के मानकीकरण की आवश्यकता स्पष्ट होती है।

