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वायु प्रदूषण का खतरनाक स्तर : सीओपीडी से दुनियाभर में हुई मौतों में आधी भारत में हुईं

-स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर पोलूशन 2024 रिपोर्ट जारी

-हृदय, आंख, मस्तिष्क, लिवर, पेट, बाल, त्वचा, प्रजनन क्षमता भी हो रही प्रभावित

-वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए अनेक महत्वपूर्ण सुझाव दिए डॉ सूर्यकान्त ने

सेहत टाइम्स

लखनऊ। स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर पोलूशन 2024 रिपोर्ट जारी हो गयी है जिसमें कहा गया है कि विश्व में हर 10 व्यक्ति में 9 व्यक्ति प्रदूषित हवा में सांस लेते हैं। भारत में भी वायु प्रदूषण श्वसन स्वास्थ्य पर गंभीर असर डाल रहा है। रिपोर्ट बता रही है कि 2021 में क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) से दुनिया भर में अनुमानित 5 लाख मौतें हुई हैं इनमें आधी लगभग 2.5 लाख मौतें भारत में हुई हैं जबकि 2021 में वैश्विक स्तर पर फेफड़ों के कैंसर से होने वाली लगभग 5 में से 1 मौत वायु प्रदूषण के कारण हुई थी, जिसमें पीएम 2.5 प्रदूषण के उच्च स्तर के कारण भारत एक प्रमुख योगदानकर्ता था।

श्वसन संक्रमण (एल.आर.आई.) – भारत में, विशेष रूप से बच्चों में, वायु प्रदूषण श्वसन संक्रमण के लिए एक प्रमुख जोखिम कारक है। भारत में, 2021 में, पांच साल से कम उम्र के बच्चों में एलआरआई से होने वाली सभी मौतों में से 40 प्रतिशत से अधिक के लिए वायु प्रदूषण जिम्मेदार है, जो छोटे बच्चों के श्वसन स्वास्थ्य पर इसके गंभीर प्रभाव को दर्शाता है।

डा0 सूर्यकान्त, विभागाध्यक्ष, रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग, के0जी0एम0यू0 लखनऊ ने बताया कि वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले अन्य दुष्प्रभावों से हृदय, आंख, मस्तिष्क, लिवर, पेट, बाल, त्वचा, प्रजनन क्षमता प्रभावित होती हैं। श्वसन की समस्याओं में दमा, गले में दर्द, निमोनिया, एम्फायासीमा, ब्रोंकाइटिस आदि। हृदय पर प्रभाव से लोगों में ब्लड प्रेशर तथा हार्ट अटैक के खतरे बढ़ना। फैक्टरी के पास/ज्यादा प्रदूषण वाले इलाके में रहने वालों में आंखें लाल होना, जलन होना, पानी ज्यादा आना व ड्राइनेस होना। मस्तिष्क पर प्रभाव से मानसिक स्थितियों में भी बदलाव, चिड़चिड़ापन, बेचैनी और घबराहट जैसी दिकक्तें। लिवर व पेट पर असर से लिवर में दिक्कत होना, गैस बनना, पेट में जलन जैसी परेशानी होना। बालों व त्वचा पर प्रभाव से बालों का टैक्सचर खराब होना, बाल गिरना और डैन्ड्राफ की समस्या, त्चचा पर झुर्रिया, एग्जिमा, स्किन एलर्जी, रैशेज व कैंसर की संभावना अधिक होना। पुरुष व महिला की प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है। मिस कैरिज प्री मेच्योर डिलिवरी और बच्चों का वजन कम होने की संभावना बढ़ जाती है। बच्चों में फेफडे़ की कार्य क्षमता और मस्तिष्क के विकास में बाधा, अस्थमा ब्रोंकाइटिस, सांस की तकलीफ हो जाती है। प्रदूषित वायु से कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।

पूर्व अध्यक्ष, इंडियन कालेज ऑफ एलर्जी एण्ड एप्लाइड इम्यूनोलॉजी डॉ सूर्यकान्त ने बताया कि वायु प्रदूषण के प्रमुख स्त्रोत परिवहन, उद्योग, अत्याधिक जंगलों का कटाव, कम वृक्षारोपड, बायोमास ईधन एवं धूम्रपान है। वायु प्रदूषण के दो प्रकार- प्राथमिक वायु प्रदूषक, माध्यमिक वायु प्रदूषक। वायु प्रदूषण के प्रमुख वर्ग- पार्टिक्यूलेट सामग्री, नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड, कार्बन ऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन, ओजोन। ओजोन जो कि समताप मण्डल में होता है जो ऊपरी वायुमण्डल में पराबैगनी किरणों को रोकता है, मानव निर्मित प्रदूषक इसे नुकसान पहुँचा सकते है।

पूर्व अध्यक्ष, इंडियन चेस्ट सोसाइटी डॉ0 सूर्यकान्त ने वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिए अपने सुझाव दिये –

सुझाव • फूलों के गुलदस्ते की जगह पौधे भेंट करें।
• जन्मदिन, शादी की सालगिरह, सगाई जैसे हर समारोह में पौधे लगाने की रस्म को शामिल करें।
• सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल बढ़ाएँ एवं सी0एन0जी0 वाहनो एवं इलेक्ट्रिक वैहिक्ल को बढ़ावा दे।
• धूम्रपान न करें और धूम्रपान निषेध अभियान के समर्थक बनें एवं धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों में जागरूकता पैदा करें।
• ग्रामीण इलाको में एल0पी0जी0 गैस को बढ़ावा देना एवं उज्ज्वला योजना का लाभ उठाएँ।
• पैदल चलने और साइकिल चलाने का इस्तेमाल बढ़ाएँ।
• हर दिन के अंत में खुद से सवाल करें, क्या मैं वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हूँ?
• सौर ऊर्जा तकनीक को प्रोत्साहन।
• ओजोन को नष्ट करने वाले रसायनों का प्रयोग सभी देशों में बंद करना।

सदस्य, नेशनल कोर कमिटी, डॉक्टर्स फॉर क्लीन एयर एंड क्लाइमेट एक्शन, इंडिया डा0 सूर्यकान्त ने बताया कि डॉक्टर्स फॉर क्लीन एयर एंड क्लाइमेट एक्शन (डी.एफ.सी.ए) भारतीयों के दिल, दिमाग और फेफड़ों पर वायु प्रदूषण के विनाशकारी प्रभाव की ओर ध्यान आकर्षित कर रहा है। डॉक्टर्स फॉर क्लीन एयर एंड क्लाइमेट एक्शन ने वायु प्रदूषण के खिलाफ एक जन आंदोलन खड़ा करने के लिए ’वायुमित्र’ अभियान की शुरुआत की है।“

डॉ सूर्यकान्त ने बताया कि नीति निर्माताओं, उद्योग के नेताओं और नागरि कों से वायु प्रदूषण को कम करने के लिए तत्काल और सामूहिक कार्रवाई करने का आग्रह किया गया है। कठोर उत्सर्जन मानकों को लागू करना, स्वच्छ ऊर्जा समाधानों को बढ़ावा देना और जन जागरूकता बढ़ाना प्रत्येक भारतीय के हृदय, मस्तिष्क और फेफड़ों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम हैं। हम सब मि लकर इस मौन संकट का मुकाबला कर सकते हैं और एक स्वस्थ, स्वच्छ भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि “स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर 2024“ रिपोर्ट दुनिया भर में वायु प्रदूषण के स्तर और स्वास्थ्य प्रभावों का व्यापक रूप से विश्लेषण करती है।

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