केजीएमयू में खुल रहा उत्तर प्रदेश का पहला मिल्क बैंक
लखनऊ। पैदा हुए शिशु के लिए मां का दूध अमृत से कम नहीं है क्योंकि जिस प्रकार इमारत में मजबूत नींव का महत्व होता है उसी प्रकार नवजात को यह मजबूती मिलती है मां के दूध से। लेकिन अनेक बार ऐसी परिस्थितियां पैदा हो जाती है कि नवजात को मां का दूध नहीं मिल पाता, नवजात मां के दूध से वंचित न रहे इसके लिए किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में उत्तर प्रदेश के पहले सम्पूर्ण स्तनपान प्रबंधन केन्द्र (सीएलएमसी) स्थापित किया जा रहा है। इस केंद्र पर माताओं को स्तनपान कराने में सहायता से लेकर वंचित शिशुओं को मां का दूध मिलने के लिए मिल्क बैंक तक की सुविधा होगी।
इस सेंटर के प्रारम्भ होने से पूर्व ट्रेनिंग देने के लिए आज 18 फरवरी को एक कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें खुलने वाले केंद्र से जुड़े चिकित्सकों को यह बताया गया कि मां के दूध को किसी भी नवजात तक सुरक्षित पहुंचाने के लिए क्या-क्या कदम उठाने चाहिये। इस कार्यशाला का आयोजन केजीएमयू के कलाम सेंटर में किया गया।
आपको बता दें कि इस केंद्र पर जहां जरूरतमंद नवजातों को मां का दूध उपलब्ध कराया जायेगा वहीं ऐसी माताओं, जिनके नवजात को बीमारी के चलते नियोनेटल इंटेसिव केयर यूनिट (एनआईसीयू) में भर्ती करना पड़ता है, को उनका दूध संक्रमण से बचाते हुए पम्प की सहायता से किस प्रकार निकालना है और शिशु तक पहुंचाना है, के बारे में जानकारी दी जायेगी।
इस कार्यशाला का उद्घाटन चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एमएलबी भट्ट ने किया। इस अवसर पर कुलपति ने केजीएमयू में मिल्क बैंक की स्थापना किए जाने की सराहना करते हुए कहा कि यह माताओं एवं बच्चों के लिए वरदान साबित होगा। उन्होंने कहा कि यह सम्मलित प्रयास से पूर्ण होने वाला कार्य है। इसके साथ ही उन्होंने यह आश्वासन भी दिया कि इस कार्य को अतिशीघ्र पूरा किए जाने को लेकर जो भी बाधाएं आएंगी उन्हें हल किया जाएगा एवं इसके आरम्भ होने के बाद इसको विश्वस्तरीय बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।
इस अवसर पर बाल विभाग की डॉ शालिनी त्रिपाठी ने बताया कि इस मिल्क बैंक की स्थापना के लिए (PATH) पाथ संस्था इसमें तकनीकि सहयोग प्रदान कर रही है। उन्होंने बताया कि फिलहाल देश में 60 मिल्क बैंक है, लेकिन प्रदेश का यह पहला मिल्क बैंक होगा। इसकी वित्तीय सहायता भारत सरकार, नेशनल हेल्थ मिशन के द्वारा प्रदान की जा रही है। इसके द्वारा सभी माताओं को पूर्ण रूप से स्तनपान कराने के लिए सहायता की जाएगी तथा जिन बीमार तथा जरूरतमंद शिशुओं को किसी कारणवश मां का दूध नहीं मिल पाता है उन्हें मां का दूध इस मिल्क बैंक के द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा।
माइक्रोबायलॉजी विभाग की डॉ शीतल वर्मा ने बताया कि प्रदेश के इस प्रथम मिल्क बैंक के लिए 13 लेक्टेशन काउंसलर, सीएलएमसी मैनेजर, टेक्नीशियन को नियुक्त किया गया है। उन्होंने बताया कि सीएलएमसी चिकित्सा विश्वविद्यालय के ट्रॉमा सेंटर के पंचम तल पर स्थापित किया जाएगा तथा इसका ब्रेस्ट फीडिंग एंड कलेक्शन सेंटर क्वीनमेरी अस्पताल में स्थापित किया जा रहा है। इससे लगभग एक वर्ष में 15-20 हजार माताओं को स्तनपान कराने में सहायता मिलेगी।
इस अवसर पर (PATH) पाथ संस्था से उपस्थित हुए विशेषज्ञ डॉ रुचिका सचदेवा, डॉ प्रवीन, डॉ आयशा खान तथा डॉ परमिता कुंडू ने केजीएमयू बाल विभाग की डॉ माला कुमार,, डॉ एसएन सिंह, डॉ शालिनी त्रिपाठी, स्त्री एवं प्रसूति विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ विनीता दास, डॉ रेनू, माइक्रोबायलॉजी विभाग की डॉ अमिता जैन, डॉ शीतल वर्मा तथा सीएलएमसी के कर्मचारी, नर्सेज एवं दोनों विभागों के चिकित्सकों एवं कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया।