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रासायनिक खेती दे रही रोग, जैविक कृषि पद्धति भारत के लिए अनुकूल नहीं

भारत के लिए प्राकृतिक कृषि ही ज्‍यादा उपयोगी  

लखनऊ। प्राचीन भारतीय परंपरा में प्रकृति संरक्षण को लेकर अत्यधिक महत्व था। चाहे कृषि हो या जल संरक्षण। समय के साथ-साथ कृषि पद्धति भी बदल गयी हम ऐसी दिशा में बढ़ गए कि हम अपनी अगली पीढ़ी को क्या देकर जाएंगे इसपर सोचा ही नही। घातक रासायनिक उर्वरक के अत्यधिक प्रयोग से तैयार की गई फसल और उसके उत्पाद से अनेक रोगों से मानव जाति के साथ पूरा पर्यावरण प्रभावित हो रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए। प्राकृतिक कृषि ही एक मात्र विकल्प है। यह जानकारी कृषि ऋषि सुभाष पालेकर द्वारा एक पत्रकार वार्ता में दी गयी।

 

21 सितम्बर से 26 सितम्बर तक झांसी में होने वाले प्राकृतिक कृषि प्रशिक्षण शिविर को लेकर लोकभारती संस्था द्वारा भौनवाल कान्वेंट स्कूल में आयोजित प्रेस वार्ता में पालेकर ने बताया कि हमे अपनी सोच को पुराने समय में ले जाना होगा कि किस प्रकार हमारे पूर्वज कृषि कार्य किया करते थे। आज हर जगह रासायनिक कृषि व जैविक का बोल बाला चल रहा है, परंतु यह किसी ने नहीं सोचा कि इसमें फायदा नुकसान क्या है? रासायनिक तो घातक है साथ मे जैविक कृषि भी उपयोगी नहीं है। जैविक कृषि की 5 पद्धतियां होती हैं जो अलग-अलग देश से ली गयी है जो प्रकृति के बिल्कुल भी अनुरूप नहीं है इसमें कार्बन उत्सर्जन अधिक होता है जो पर्यावरण को दूषित करने के साथ-साथ अधिक खर्चीला भी है। अधिक लागत लगने की वजह से सभी वर्ग के किसान इसको नहीं अपना पाते। किसान की आय को किस तरह दोगुना किया जाये इसके बारे में उन्होंने बताया कि सिर्फ शून्य लागत प्राकृतिक कृषि द्वारा ही यह संभव है क्योंकि इसमें किसान बाजार आधारित न होकर स्वावलंबी बनता है।

इस मौके पर उपस्थित लोकभारती के संगठन मंत्री बृजेन्द्र पाल सिंह ने बताया कि लोकभारती पूरे भारत मे प्राकृतिक कृषि को लेकर जनजागरण अभियान चला रही है जिसके अंतर्गत झांसी में 6 दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण शिविर आयोजित किया जा रहा है, इस शिविर में सम्पूर्ण बुंदेलखंड के साथ- साथ और भी प्रदेशों के लोग प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे। इस मौके पर सुभाष पालेकर के द्वारा प्राकृतिक कृषि उत्पाद केंद्र अवध नेचुरल व भौनवाल कान्वेंट स्कूल में पंचस्तरीय बागवानी का शुभारंभ भी किया गया। पौधरोपण में लोकभारती के संयोजक पवन सिंह चौहान के साथ ही स्कूल के प्रबंधक राजेन्द्र भौनवाल, मोनिका भौनवाल, लोकभारती संस्था से अजय प्रकाश, श्रीकृष्ण चौधरी, शेखर त्रिपाठी, महीप मिश्र, सुनील मिश्र, वीके श्रीवास्तव, राजेश सिडाना, कवि तिवारी, अरुण मिश्र आदि लोग उपस्थित थे।