-23 से 26 नवम्बर तक हो रहे माइक्रोबायोलॉजिस्ट के सम्मेलन की पूर्व संध्या पर एसजीपीजीआई में केजीएमयू के सहयोग से प्री सीएमई का आयोजन
सेहत टाइम्स
लखनऊ। यहां सि्थत संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के माइक्रोबायोलॉजी विभाग द्वारा आज 22 नवंबर को आयोजित प्री कॉन्फ्रेंस सीएमई में गुर्दा प्रत्यारोपण हो अथवा इस स्टेम सेल का प्रत्यारोपण, प्रत्यारोपण से जुड़े संक्रमण की डायग्नोसिस और उसके इलाज को लेकर छोटी-छोटी बातों पर विस्तार से चर्चा की गयी। इस प्री कॉन्फ्रेंस सीएमई का आयोजन इन्डियन एसोसिएशन ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट (आईएएमएम) Association of Medical Microbiologists (IAMM) के 23 नवंबर से 26 नवंबर तक केजीएमयू स्थित अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में होने वाले तीन दिवसीय 46 वें वार्षिक सम्मेलन के संदर्भ में केजीएमयू के सहयोग से किया गया।
सीएमई कार्यक्रम को माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डॉ. रुंगमेई एसके मारक( (आयोजन अध्यक्ष), डॉ. चिन्मय साहू (आयोजन सचिव), डॉ. अतुल गर्ग (संयुक्त आयोजन सचिव) संकाय सदस्यों की टीम के साथ (डॉ. ऋचा मिश्रा, डॉ. संग्राम सिंह पटेल, डॉ. अंजू दिनकर, डॉ. अवधेश कुमार, डॉ. निधि तेजन और डॉ. ऋचा सिन्हा) द्वारा बहुत अच्छी तरह से समन्वित किया गया था।
इस अवसर पर उपस्थित लोगों में संस्थान के डॉ. आर.के. धीमन, डीन डॉ. शालीन कुमार, प्रो. एम.एस. अंसारी, विभागाध्यक्ष यूरोलॉजी शामिल थे। उन्होंने रोगियों के नैदानिक मूल्यांकन/उपचार में क्षमता निर्माण और सूक्ष्म जीवविज्ञानियों की भूमिका के बारे में बात की। सरस्वती वंदना के साथ का दीप प्रज्ज्वलन के बाद देश भर के विभिन्न कॉलेजों से सीएमई में शामिल हुए छात्रों और संकायों की सभा को संबोधित किया गया।
प्रख्यात वक्ताओं द्वारा विभिन्न प्रकार के प्रत्यारोपण संबंधी संक्रमणों और इसके महत्व पर चर्चा की गई। एसजीपीजीआई की सीनियर रेजिडेंट माइक्रोबायोलॉजी डॉ. आशिमा जामवाल ने प्रत्यारोपण संबंधी संक्रमणों पर अपने विचार रखे। उन्होंने दर्शकों को प्रत्यारोपण पूर्व जांच के महत्व, जोखिम वर्गीकरण और प्रत्यारोपण से संबंधित संक्रमण की समय-सीमा के बारे में जानकारी दी। एसजीपीजीआई के नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रो. धर्मेंद्र एस भदौरिया ने इम्यूनोसप्रेसिव एजेंटों की भूमिका, उनकी क्रिया के तंत्र और इम्यूनोमॉड्यूलेटरी थेरेपी से जुड़े लाभ/जोखिम के बारे में चर्चा की।
एसजीपीजीआई के हेमेटोलॉजी विभाग के प्रोफेसर संजीव ने हेमेटोपोएटिक स्टेम सेल प्रत्यारोपण से जुड़े संक्रमणों के बारे में बात की। उन्होंने इन रोगियों की मृत्यु दर में संक्रमण की भूमिका और बीएमटी के बाद वायरल संक्रमण के प्रबंधन के तरीकों पर जोर दिया। पीजीआई के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की डॉ. निधि तेजन ने गुर्दा प्रत्यारोपण से जुड़े संक्रमणों के बारे में चर्चा की। उन्होंने दाता और प्राप्तकर्ता दोनों से उत्पन्न बैक्टीरिया, वायरल और फंगल संक्रमण के बारे में बात की। एसजीपीजीआई के सीनियर रेजिडेंट डॉ. सर्वोदय ने केस रिपोर्ट के माध्यम से रीनल ट्रांसप्लांट के बाद होने वाले संक्रमण के बारे में चर्चा की। ट्रांसप्लांट से जुड़े विभिन्न पहलुओं से संबंधित माइक्रोबायोलॉजी विभाग एसजीपीजीआई के निवासियों द्वारा उदाहरणात्मक अवलोकन और व्यावहारिक प्रशिक्षण आयोजित किया गया।
माइक्रोबायोलॉजी विभाग एसजीपीजीआई के रेजिडेन्ट चिकित्सकों द्वारा बैक्टीरिया, वायरल, माइकोबैक्टीरियल, माइकोलॉजिकल और परजीवी जैसे प्रत्यारोपण से जुड़े संक्रमणों के विभिन्न पहलुओं से संबंधित उदाहरणात्मक अवलोकन और व्यावहारिक प्रशिक्षण आयोजित किया गया। इन संक्रमणों के निदान में नई तकनीकों के बारे में बताया गया, जो प्रत्यारोपण प्राप्तकर्ताओं के परिणामों में गेम चेंजर हो सकती हैं, जैसे MALDI-TOF, तेजी से रोगज़नक़ का पता लगाने के लिए मल्टीप्लेक्स पीसीआर आदि। हमारे विभाग के तकनीकी विशेषज्ञों द्वारा निगरानी विधियों के बारे में जानकारी दी गई। प्रोफेसर विनीता खरे, एचओडी माइक्रोबायोलॉजी, ईआरए मेडिकल कॉलेज ने पर्यावरण कीटाणुशोधन के महत्व और तरीकों पर जोर दिया, क्योंकि कुशल अस्पताल निगरानी, कीटाणुशोधन और सफाई के बिना किसी भी अस्पताल में बेहतर रोगी परिणाम नहीं हो सकता है।