-केजीएमयू के रेडियोथेरेपी विभाग में आयोजित सीएमई के मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए उपमुख्यमंत्री
-कुलपति ने बताया, रेडियोथेरेपी विभाग में शीघ्र ही लगाया जाएगा एक नया लीनियर एक्सीलरेटर
सेहत टाइम्स
लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय द्वारा अपनी प्रतिष्ठा एवं परम्परा का निर्वहन किया जा रहा है। राज्य सरकार केजीएमयू के कार्यों से प्रसन्न है एवं हरसंभव सहयोग चाहे वित्तीय हो अथवा प्रशासनिक, केजीएमयू को प्रदत्त करने के लिए कटिबद्ध है। संस्थान को शासन संसाधन उपलब्ध कराने में किसी प्रकार की कमी नहीं होने दी जायेगी।
यह बात प्रदेश के उपमुख्यमंत्री के साथ ही चिकित्सा शिक्षा एवं चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री का दायित्व निभा रहे ब्रजेश पाठक ने केजीएमयू के रेडियोथेरेपी विभाग में प्रशामक देखभाल इकाई द्वारा आयोजित सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम के मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में सम्मिलित होते हुए अपने उद्बोधन में कही। इस सीएमई का विषय ‘कैंसर पैलिएटिव एंड हॉस्पिस केयर’ था। ज्ञात हो विश्व हॉस्पिस डे की थीम है, ‘टेन ईयर्स सिन्स द रेजुलेशन : हाउ आर वी डूइंग’। ज्ञात हो उपमुख्यमंत्री द्वारा पूर्व में भी केजीएमयू को शासन स्तर से पूर्ण सहयोग की बात कई बार कही जा चुकी है।
सीएमई कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि कुलपति प्रो सोनिया नित्यानंद ने कहा कि केजीएमयू राज्य सरकार एवं उपमुख्यमंत्री का बहुत आभारी है। उनके प्रयासों के कारण ही हमें अपने एक्सटेंशन के लिए जमीन प्राप्त हो पाई है। शीघ्र ही रेडियोथेरेपी विभाग में एक नया लीनियर एक्सीलरेटर लगाया जाएगा।
कार्यक्रम के आयोजन अध्यक्ष प्रो राजेंद्र कुमार ने कहा कि जीव दया फाउंडेशन के सहयोग से वर्ष 2016 में पैलिएटिव केयर प्रोजेक्ट की शुरुआत हुई। 5 साल की समयावधि पूरी होने के बाद सिप्ला फाउंडेशन द्वारा इसे चलाया जा रहा है। 21000 रोगियों को चिकित्सा सेवा देने के साथ-साथ सैंकड़ों रोगियों को मानसिक चिकित्सा, पोषण सुविधा, घाव की देखभाल, सांस और खाने की नली लगवाने में सहायता उपलब्ध कराई जाती है।
प्रो शालीन कुमार ने कहा कि मरीज के आखिरी समय की देखभाल करना बड़ा मुश्किल है। हमारे देश में इच्छा मृत्यु कानूनन नहीं है, किन्तु जिन रोगियों में जीवन की संभावना शून्य है उनका उपचार बेहद चुनौतियों से भरा है। तीमारदार से मृत्यु की संभावना की सूचना साझा करते हुए मार्मिक एवं दार्शनिक दृष्टिकोण अपनाना होगा।
प्रो संजय धीराज ने कहा कि नारकोटिक्स की दवाएं जैसे अफीम इस प्रकार के रोगियों को उपलब्ध कराई जाती हैं। इसे 2.5 से 5 मिलीग्राम से आरंभ किया जाता है। इसकी खुराक 6 गुना तक बढ़ाई जा सकती है। इसका सबसे अधिक दुष्प्रभाव कब्ज है। धन्यवाद ज्ञापन प्रो सीमा गुप्ता ने दिया, जबकि कार्यक्रम का संचालन प्रो सुधीर सिंह ने किया। इस मौके पर प्रो विनीत शर्मा, प्रो अपजीत कौर, प्रो राजीव गुप्ता, प्रो अभिनव सोनकर, प्रो संदीप तिवारी, प्रो बीके ओझा, प्रो क्षितिज श्रीवास्तव, प्रो आनंद मिश्रा, प्रो पवित्र रस्तोगी एवं अन्य संकाय सदस्य उपस्थित रहे।