-मानस गार्डन में लगे मेडिकल कैम्प में विभिन्न विशेषज्ञों ने दीं स्वस्थ और बीमार लोगों को सलाह
सेहत टाइम्स
लखनऊ। हमने अपनी जीवनचर्या बिगाड़ ली है। ख़ुद को समय देना बंद कर दिया है। खाने-पीने में तो कभी भी कुछ भी खा लेते हैं लेकिन योग-व्यायाम के नाम पर जीरो हैं, बीमारी का इलाज भी गूगल पर ढूंढ़ते हैं और उसी के अनुसार दवा व डाइट तय कर लेते हैं। यदि आप गूगल देखकर अपने सेहत का खयाल रख रहे हैं तो सावधान हो जाइये, नहीं तो आपको आने वाले दिनों में बड़ी बीमारी का सामना करना पड़ सकता है।
ये बातें यहां मानस गार्डन में लगे मेडिकल कैम्प में शहर के सीनियर डायबिटीज़ विशेषज्ञ केएल मिश्र ने कहीं। उन्होंने सबको बेहतर जीवन जीने के लिए आहार-विहार पर ध्यान रखने की बात कही। शिविर में चिकित्सकों ने लोगों का परीक्षण किया तथा उचि褻ఀत उपचार किया।
इस मौके पर शिविर में आये चि褻ఀकित्सकों ने दिन पर दिन बढ़ रहे मरीजों की संख्या के पीछे के कारणों के बारे में चर्चा करते हुए लोगों को सम्बोधित किया। डॉ. मिश्र ने खान-पान पर ज़्यादा ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि हर शख़्स को अपनी थाली में सलाद को बड़ा स्थान देना पड़ेगा। साथ ही अंकुरित अनाज को भी अच्छी जगह देनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि हमें अरहर (तुवर) की दाल से रात में तौबा करनी पड़ेगी, नहीं तो यह कई बीमारियों की जड़ हो जाएगी।
वहीं वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. नृपेंद्र सिंह ने कहा कि बच्चों को छह माह के बाद ही अन्न खिलाना चाहिए। साथ ही यह खयाल रखना होगा कि उन्हें किसी भी हालत में नमक न दिया जाए। डॉ. सिंह के अनुसार बच्चों के शरीर में छह माह के बाद ही टेस्ट सेल बनने शुरू होते हैं, वो भी मीठे वाला। इसलिए बच्चों को एक साल के बाद ही नमकीन भोजन दिया जाता है। साथ ही उन्होंने कहा कि बच्चों का ग्रोथ चूँकि छह माह में दोगुनी हो जाती है, इसलिए हर माह माता-पिता को किसी अच्छे जानकार चिकित्सक को दिखा लेना चाहिए। अच्छा डॉक्टर केवल वजन मापकर बच्चे के विकास की रफ़्तार जान लेगा। इसके अलावा उन्होंने बच्चों में होने वाले बुख़ार को लेकर भी फैली भ्रांतियों को ख़त्म किया। उन्होंने कहा कि यदि बच्चे को 100 डिग्री से ज़्यादा बुख़ार है तो तत्काल उसके सभी कपड़े उतार दिए जाएं और उसे नॉर्मल पानी से पोंछ दिया जाए। यदि बच्चे का बुख़ार 15 मिनट में नहीं उतरा तो उसे झटके की बीमारी हो सकती है, जो बच्चे में पांच साल से लेकर 19 साल तक दिखाई पड़ सकता है।
कैम्प में आए आर्थोपेडिक सर्जन डॉ. सौरभ सिंह ने गठिया और जोड़ रोग पर अपने विचार रखें। उन्होंने कहा कि अब लोग घुटने का प्रत्यारोपण कराकर इस बीमारी से निजात पा सकते हैं, लेकिन लोग सही बात बताते नहीं है और बीमारी के साथ रहने लगते हैं। उन्होंने कहा कि क्वालिटी लाइफ़ स्टाइल के लिए नी-रीप्लेसमेंट (घुटना प्रत्यारोपण) उचित सलाह है। उन्होंने बताया कि साथ ही हमें अपने खान-पान पर उचित ध्यान देना पड़ेगा। आजकल हमारा क्लाइमेट ऐसा है कि आठ महीने धूप होती है, उसके बाद भी लोगों में विटामिन-डी की कमी देखने को मिल रही है। इसलिए यदि शरीर में कहीं भी ज़्यादा दर्द हो तो ज़रूर किसी चिकित्सक की सलाह लें। वो निश्चित तौर पर आपके विटामिन डिफिशिएंसी जांच करा लेगा और आप किसी बड़ी परेशानी से बच जाएंगे। उन्होंने कहा कि इसी कारण अक्सर लोग पीठ दर्द, मांसपेशियों में खिंचाव और अकड़न से परेशान रहते हैं।
वहीं न्यूरो साइक्रेटिस्ट डॉ. विजित जायसवाल ने बढ़ते डिप्रेशन पर अपने विचार रखें। उन्होंने कहा कि स्वस्थ मनुष्य को छह से सात घंटे की स्वस्थ नींद ज़रूर लेनी चाहिए। इसके लिए ज़रूरी है कि सोने से आधे घंटे पहले टीवी, मोबाइल जैसे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से ख़ुद को दूर कर लें। साथ ही उन्होंने सामान्य स्थितियों में चिंता और तनाव जिंदगी के आम हिस्से के रूप में जाना जाता है लेकिन अगर यह बार-बार और लंबे समय तक रहता है तो इससे दिनचर्या की सामान्य गतिविधियां प्रभावित होती हैं। लंबे समय तक यह समस्या रहने से व्यक्ति मानसिक रोग का शिकार हो सकता है। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक चिंता, भय, तनाव की स्थिति में मस्तिष्क की तंत्रिका गतिविधि प्रभावित होती है, जिसकी वजह से मानसिक विकार, अवसाद और अल्जाइमर रोग होने की संभावना रहती है। इसलिए आप ख़ुद को कभी रिटायर न समझिए। एक्टिव रहें और सूडोकू, योग, ध्यान जैसी एक्टिविटी में व्यस्त रहें।
इस मौक़े पर मानस गार्डन सोसायटी के अध्यक्ष एवं न्यायमूर्ति चंद्रमोहन चौबे, सचिव एवं कर विशेषज्ञ दिनेश शुक्ला, कोषाध्यक्ष रविंद्र प्रजापति, संरक्षक एवं न्यायमूर्ति अमरजीत त्रिपाठी के साथ-साथ अवनीश तिवारी, चंचल सिंह, प्रगति सिंह, टीएन चौबे, अभिषेक सिंह, अजय सिंह, गोविंद पांडेय, अशोक पांडेय, शुभम तिवारी समेत कार्यकारिणी के सभी सदस्य उपस्थित थे।