सिर्फ 10 दिन में तैयार किया गया काम करने वाला कृत्रिम हाथ
लखनऊ। केजीएमयू का डिपार्टमेंट ऑफ फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन (डीपीएमआर) पूर्व का लिम्ब सेंटर कृत्रिम अंग और सहायक उपकरण बनाकर प्रदान कर अब तक लाखों लोगों के जीवन को नया नजरिया दे चुका है। यहां के वर्कशॉप में हाथ बनवाने आये युवक और युवती को सिर्फ 10 दिनों के अंदर मंगलवार को कृत्रिम हाथ बना कर दे दिया गया है। यह इत्तफाक ही है कि दोनों की शादी 23 अप्रैल को ही है और दोनों का ही जल्दी कृत्रिम हाथ बनवाने का मुख्य उद्देश्य अपने जीवन साथी के गले में जयमाल डालना है।
डीपीएमआर वर्कशॉप के मैनेजर अरविन्द निगम ने बताया कि बाराबंकी के रहने वाले अंकित का दाहिना हाथ 2010 में चारे की मशीन में फंसकर कट गया था। अंकित की जब शादी तय हुई तो कन्या पक्ष वालों ने यह शर्त रख दी कि शादी तभी होगी जब दूल्हा दुल्हन के गले में जयमाला डालेगा।
इसके तुरंत बाद अंकित शकुन्तला मिश्रा विकलांग विश्वविद्यालय इस उम्मीद से पहुंचा कि उसे कृत्रिम हाथ लगा दिया जाये ताकि वह अपनी दुल्हन और उसके घरवालों के सपने को पूरा कर सके। उन्होंने बताया कि साल भर बीतने के बाद भी जब अंकित का हाथ नहीं बन सका और विवाह की तारीख नजदीक आने लगी तो वह बहुत परेशान हुआ तभी उसे किसी ने राय दी कि वह केजीएमयू के डीपीएमआर लिम्ब सेंटर से सम्पर्क करे। बस इसी के बाद दस दिन पहले अंकित यहां पहुंचा और बताया कि उसकी शादी 23 अप्रैल को है, और उसे कृत्रिम हाथ बनवाना है क्योंकि जयमाल डालना जरूरी है। इसके बाद सीनियर प्रॉस्थेटिस्ट शगुन सिंह को जब यह जानकारी हुई तो उन्होंने उसका हाथ बनाने की प्रक्रिया तेजी से शुरू कर दी तथा उसे मंगलवार को हाथ लगा दिया।
अरविन्द निगम ने बताया कि यह इत्तफाक ही है कि सुल्तानपुर की रहने वाली सरोज सोनी, जिसका बायां हाथ कटा है, को लेकर उसका भाई आया तो उसने भी यही बात कही कि इसका कृत्रिम हाथ जल्दी बना दीजिये, इसकी शादी 23 अप्रैल को होनी है और इसे दूल्हे को वरमाला डालनी है इसी की वजह से इसकी शादी नहीं हो पा रही है। सरोज का बायां हाथ पांच साल की उम्र में तेल पैरने वाली मशीन से कट गया था। उसकी भी 23 अप्रैल को शादी होना तय हुआ तो होने वाले पति ने जयमाला के लिए हाथ लगवाने की इच्छा जताई। दस दिन पहले दिनांक 6 अप्रैल को सरोज लिम्ब सेंटर आयी। बहुत ही तीव्र गति से दोनों के हाथ बनाने की प्रक्रिया को पूर्ण किया गया।
अरविन्द निगम ने बताया कि मंगलवार को इन दोनों को कृत्रिम अंग 10 दिन के अन्दर ही बना कर दे दिये गये। इसमें लिम्ब सेंटर की सीनियर प्रोस्थेटिस्ट शगुन सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा निर्माण मे साथ साथ उन्होंने दोनों मरीजों को जय माल डालने की ट्रेनिंग के साथ-साथ अन्य घरेलू कार्य करने की ट्रेनिंग भी दी। मरीजों के स्टंप की दशा अच्छी नहीं थी उसके बावजूद बहुत ही सुन्दर ढंग से कृत्रिम अंग की फिटिंग की गई। दोनों मरीजों को हाथ लगाने की बहुत खुशी है। हाथ की स्थिति बेहत खराब होने के बाद भी सरोज अच्छे से हाथ चला पा रही है।