-एनीमिया के चलते प्रसव के दौरान होती हैं कई प्रकार की गंभीर परेशानियां
सेहत टाइम्स
लखनऊ। महिलाओं को गर्भावस्था में सेहत का भरपूर खयाल रखने की जरूरत होती है। पौष्टिक भोजन के साथ आयरन-कैल्शियम की गोलियाँ डॉक्टर की सलाह पर लेनी चाहिए। इससे एनीमिया के खतरों से बच सकती हैं। करीब 50 से 60 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं में खून की कमी पायी जाती है। इससे प्रसव के दौरान तमाम तरह की गंभीर परेशानियाँ झेलनी पड़ सकती हैं। यह जानकारी यूपीकॉन 2023 की आयोजक सचिव डॉ. प्रीति कुमार ने दी।
केजीएमयू के अटल बिहारी वाजपेई साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में लखनऊ ऑब्स्टेट्रिक्स एंड गायनकोलॉजिस्ट सोसाइटी (एलओजीएस) व गायनी एकेडमिक वेलफेयर एसोसिएशन की तरफ से आयोजित यूपीकॉन 2023 के दूसरे दिन के हुए कार्यक्रमों के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. प्रीति कुमार ने बताया कि गर्भावस्था में एनीमिया का खतरा रहता है। प्रेग्नेंसी के दौरान शिशु के विकास के लिए शरीर अधिक मात्रा में खून बनाता है, अगर इस दौरान पर्याप्त आयरन व पोषक तत्व नहीं लेती हैं तो शरीर में अधिक खून बनाने के लिए जरूरी लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण प्रभावित हो सकता है।
गर्भावस्था में एनीमिया की वजह
डॉ. प्रीति कुमार ने बताया कि वैसे तो एनीमिया की कई वजह हो सकती हैं, पर शरीर में आयरन कमी से यह समस्या अधिक देखने को मिलती है। 15 से 25 साल की गर्भवती महिलाओं में आयरन की कमी एनीमिया आम बात है। इसमें आयरन का स्तर कम होने पर खून में हीमोग्लोबिन कम बनने लगता है। इस समस्या से बचने के लिए आयरन युक्त आहार लें। भोजन में अंडा, मछली, रेड मीट, साबुत अनाज, दालें, बींस, सोयाबीन, गुण शहद, सेब आदि फलों को शामिल करें।
ऑपरेशन की बढ़ती है आशंका
डॉ. प्रीति कुमार ने बताया कि शरीर में खून की कमी से ऑपरेशन से प्रसव की आशंका बढ़ जाती है। यही नहीं प्रसूता को खून भी चढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है। इन समस्याओं से बचने के लिए डॉक्टर की सलाह पर आयरन व कैल्शियम की गोलियाँ खायें। नियमित जाँच करायें। हरी पत्तेदार सब्जियों में सेवन में किसी भी तरह की कोताही न बरतें।
आयरन-कैल्शियम की गोली खाने की सलाह
कान्फ्रेंस की चेयपर्सन डॉ. चन्द्रावती ने बताया कि प्रेग्नेंसी में खून की कमी से बचाने में विटामिन सी भी जरूरी होता है। इसलिए प्रेग्नेंसी में विटामिन सी से युक्त खाद्य पदार्थ जैसे कि खट्टे फलों को भी शामिल करना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के शरीर को दोगुना काम करना पड़ता है और इस समय उनके शरीर को खून की आवश्यकता भी अधिक होती है। उन्होंने बताया कि खून की कमी से शिशु के विकास में रुकावट आ सकती है। कोई गंभीर विकार या समस्या भी पैदा हो सकती है।
परिवार नियोजन के साधन अपनायें
डॉ. चन्द्रावती ने बताया कि दो बच्चों के बीच में कम से कम तीन साल का अंतर रखें। उन्होंने बताया कि बार-बार गर्भधारण करने या गर्भपात कराना भी घातक है, लिहाजा परिवार नियोजन के साधनों को अपनाएं।