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एसजीपीजीआई के एडवांस्ड डायबिटिक सेंटर में मिलेंगी डायबिटिक फुट प्रबंधन की सभी सुविधाएं

-एंडोक्राइन सर्जरी विभाग में आयोजित एक दिवसीय सीएमई में निदेशक ने दी जानकारी

-वक्ताओं ने मधुमेही के पैर में होने वाले घाव के प्रबंधन के विभिन्न तरीकों के बारे में बताया

सेहत टाइम्स

लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई में खुलने वाले एडवांस्ड डायबिटिक सेंटर में एडवांस्ड डायबिटिक फुट के प्रबंधन की सभी सुविधाएं उपलब्ध होंगी। यह जानकारी आज 25 नवम्बर को संस्थान के एंडोक्राइन सर्जरी विभाग द्वारा डायबिटिक फुट मैनेजमेंट पर आयोजित सतत् चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) के मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में समारोह में शामिल संस्थान के निदेशक प्रोफेसर आरके धीमन ने की।

इस सीएमई से युवा डॉक्टरों और मेडिसिन, सर्जरी, ऑर्थोपेडिक सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी, एंडोक्राइनोलॉजी और एंडोक्राइन सर्जरी के स्नातकोत्तर विद्यार्थियों के बीच इस विषय पर नवीनतम अपडेट को साझा करने के लिए एक मंच मिला। इस अवसर पर बोलते हुए, एंडोक्राइन सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर गौरव अग्रवाल ने बताया कि हमारे विभाग में वर्तमान में मधुमेह पैर सुविधा इस पूरे क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ में से एक है।

इस अवसर पर राष्ट्रीय ख्याति के प्रतिष्ठित वक्ताओं ने मधुमेह के पैर के घाव के पैथो-फिजियोलॉजी, पेरी-ऑपरेटिव मधुमेह प्रबंधन, संवहनी रोग सहित मधुमेह के पैर के घाव का आकलन, मधुमेह के पैर के घाव का स्थानीय उपचार, नए अणुओं के अनुप्रयोग और उनके लाभकारी उपयोग और मधुमेह के पैर के घाव और मधुमेह के पैर के संक्रमण के सर्जिकल उपचार पर अपने व्याख्यान दिए।

दिल्ली के जाने-माने फिजीशियन डॉ. अशोक दामिर ने मधुमेह संबंधी पैर के अल्सर के निवारक पहलुओं, पैर के मूल्यांकन और चिकित्सा प्रबंधन पर विचार-विमर्श किया। उन्होंने बताया कि घाव भरने में एंटीबायोटिक के लंबे समय तक इस्तेमाल की कोई भूमिका नहीं होती है और संक्रमण का संकेत मिलने पर ही इसे शुरू करना चाहिए। उन्होंने डायबिटिक पैर के अल्सर के लिए उपचार के विभिन्न नए तौर-तरीकों की भी सलाह दी, जिनमें स्टेम सेल थेरेपी, हाइपरबेरिक ऑक्सीजन थेरेपी और कृत्रिम त्वचा ग्राफ्ट आदि शामिल हैं, हालांकि उन्होंने डायबिटिक पैर प्रबंधन में नए उपचार के विवेकपूर्ण उपयोग पर ध्यान केंद्रित करने पर बल किया।

हुबली, कर्नाटक के जाने-माने डायबिटिक फुट सर्जन डॉ. सुनील वी. कारी ने फुट सेल्वेज सर्जरी पर बात की। उन्होंने मधुमेह संबंधी पैर संक्रमण की शीघ्र पहचान और हस्तक्षेप पर जोर दिया। उन्होंने चारकोट के पैर के प्रबंधन और द्विपक्षीय पैर के अल्सर के प्रबंधन पर भी जोर दिया।

मुंबई के जाने-माने मधुमेह विशेषज्ञ डॉ. सुरेश पुरोहित ने मधुमेह संबंधी पैर के अल्सर को तेजी से ठीक करने के लिए सख्त ग्लूकोज नियंत्रण पर जोर दिया और मधुमेह संबंधी पैर के अल्सर के प्रबंधन के दौरान रक्त शर्करा नियंत्रण के लिए इंसुलिन लेने की सलाह दी।

प्रोफेसर अंकुर भटनागर, डॉ. रजनीकांत, डॉ. सुजीत गौतम सहित एसजीपीजीआई और अन्य संस्थानों के संकाय सदस्यों ने भी मधुमेह पैर प्रबंधन पर अपने अनुभव साझा किए। सीएमई के अंत में सीएमई के आयोजक डॉ ज्ञानचंद द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया।

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