-राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस (1 जुलाई, 2025) पर विशेष

✍️धर्मेन्द्र सक्सेना
लखनऊ। ‘पद्मश्री डॉ एस सी राय मेमोरियल धर्मार्थ होम्योपैथिक चिकित्सालय’, सामान्य रूप से यह नाम पढ़कर यह बोध होता है कि यह एक धर्मार्थ होम्योपैथिक चिकित्सालय है, जहां लोगों का नि:शुल्क होम्योपैथिक इलाज किया जाता है। इस होम्योपैथिक चिकित्सालय का नाम पद्मश्री डॉ एस सी राय, जो एलोपैथी चिकित्सा विधा के एक प्रख्यात सर्जन थे, के नाम पर क्यों रखा गया। क्योंकि सामान्य रूप से होता यही है कि चिकित्सक के नाम पर खोला गया चिकित्सालय उसी चिकित्सा विधा का होता है, मोटे तौर पर समझें तो इस अनूठी मिसाल के पीछे है सम्मान, श्रद्धाभाव, नि:स्वार्थ समर्पण और दिल की गहराइयों से दी गयी श्रद्धांजलि।
इसके पीछे की कहानी पाठकों तक पहुंचाने के लिए ‘सेहत टाइम्स’ ने राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस (पहली जुलाई) का दिन चुना, क्योंकि इस अनूठी मिसाल का सम्बन्ध दो विधाओं एलोपैथी और होम्योपैथी के चिकित्सकों से ही है। सीडीआरआई और एनबीआरआई जैसे सरकारी संस्थानों की प्रयोगशालाओं में वैज्ञानिकों के ऑब्जर्वेशन में किये शोध/परीक्षणों से होम्योपैथिक दवाओं की वैज्ञानिकता प्रमाणित कर होम्योपैथी की आलोचना करने वालेे एलोपैथिक चिकित्सकों का मुंह बंद करने वाले लखनऊ शहर के वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ गिरीश गुप्ता ने होम्योपैथिक रिसर्च फाउंडेशन के तहत बीते 18 वर्षों से चल रहे धर्मार्थ होम्योपैथिक चिकित्सालय का नया नामकरण करते हुए अपने सामाजिक कार्यों के प्रेरणास्रोत के नाम पर ‘पद्मश्री डॉ एस सी राय मेमोरियल धर्मार्थ होम्योपैथिक चिकित्सालय’ रखा है, नये नामकरण के साथ ही नये कलेवर के बाद इसका उद्घाटन बीती 14 जून को स्वामी कौशिक चैतन्य द्वारा किया गया है।

फोटो में बायें से दूसरे हैं डॉ दिनेश शर्मा तथा बायें से तीसरे बैठे हैं डॉ एससी राय।
डॉ गिरीश गुप्ता की इस सोच को होम्योपैथी विधा के जनक डॉ सैमुअल हैनीमैन के व्यक्तित्व से जोड़ कर देखा जाये तो जहां डॉ हैनीमैन ने एक ऐलोपैथ चिकित्सक होते हुए मरीजों को रोग से स्थायी छुटकारा दिलाने के लिए होम्योपैथी का अविष्कार किया था, वहीं होम्योपैथी विधा के चिकित्सक होते हुए भी अपनी क्लीनिक का नाम ऐलोपैथी के चिकित्सक (सर्जन) के नाम पर रखकर डॉ गिरीश ने डॉ हैनिमैन को भी सच्ची श्रद्धांजलि दी है।

इस अनूठे फैसले के बारे में जानने के लिए ‘सेहत टाइम्स’ ने डॉ गिरीश गुप्ता से वार्ता की। डॉ गुप्ता ने जो बताया उससे यह पता चलता है कि खुले दिल और उच्च विचार वाले लोग किस प्रकार का आचरण करते हैं, जबकि अहम का राग अलापने वालों की दुनिया उनके अपनों तक ही सिमट जाती है। डॉ गिरीश गुप्ता ने बताया कि उनकी डॉ सतीश चंद्र राय से पहचान पहले से नहीं थी। उन्होंने बताया कि वर्ष 1991 में उत्तरकाशी में आये भूकम्प के पीडि़तों की मदद के लिए आर्थिक सहायता मांगने डॉ एससी राय के पास गये थे। डॉ राय ने पूरी बात सुनने के बाद कहा कि हम लोग स्वयं एक संस्था भारत विकास परिषद गठित कर रहे हैं, इस संस्था के माध्यम से हम लोग पीडि़त परिवारों को कुछ ठोस मदद करने की योजना बना रहे हैं, ऐसे में आप जो भी सहायता करना चाह रहे हों, हमारे साथ मिलकर करें, डॉ गिरीश गुप्ता को भी यह बात जंच गयी।
डॉ गिरीश गुप्ता बताते हैं कि इसके बाद ही सामाजिक कार्यों को लेकर डॉ राय से सम्बन्ध प्रगाढ़ होते गये। डॉ गिरीश बताते हैं कि जब उन्होंने होम्योपैथिक रिसर्च फाउंडेशन के माध्यम से 2007 में मडि़यांव क्षेत्र की गरीब बस्ती नौबस्ता गायत्री नगर में भवन का निर्माण कर धर्मार्थ होम्योपैथिक चिकित्सालय खोला तो उस समारोह की अध्यक्षता डॉ एससी राय ने ही की थी तथा मुख्य अतिथि के रूप में उसका उद्घाटन लखनऊ के तत्कालीन महापौर डॉ दिनेश शर्मा ने किया था। बीती 14 जून को इसी चिकित्सालय का नया नाम डॉ एससी राय के नाम पर रख कर डॉ गिरीश गुप्ता ने अपने प्रेरणास्रोत को श्रद्धांजलि दी है।
एक अन्य किस्सा डॉ गिरीश ने बताया कि तत्कालीन भारत विकास परिषद लखनऊ पश्चिम के अध्यक्ष पद का दायित्व सम्भालने के लिए जब उन्होंने मुझसे कहा तो मैंने कहा कि मैं एक चिकित्सक हूं, इस तरह के पद सम्भालने का मुझे अनुभव भी नहीं है, तो उन्होंने तुरंत कहा कि बिल्कुल चिंता नहीं करिये, काम करने से ही अनुभव होता है, मैं हूं आपके साथ। डॉ गुप्ता भारत विकास परिषद, लखनऊ पश्चिम के अध्यक्ष के बाद में भारत विकास परिषद अवध प्रदेश के अध्यक्ष, भारत विकास परिषद जोनल अध्यक्ष सहित भारत विकास परिषद के अनेक पदों पर रह चुके हैं।
इसके अतिरिक्त दिसम्बर 2009 में जब भारतीय नववर्ष मनाने के लिए समिति का गठन कर जनता को जागरूक करने का प्रस्ताव डॉ राय के सामने रखा गया तो डॉ राय ने खुद अध्यक्ष बनने से इनकार करते हुए मुझे फोन करके बुलवाया। डॉ गिरीश बताते हैं कि उस मय मैं अपनी क्लीनिक में था, डॉ राय ने मुझे अपने आवास पर बुलवाया और अपना स्नेह भरा अधिकार जताते हुए कहा कि भारतीय नव वर्ष मनाने के प्रति लोगों में चेतना लाने के कार्य के लिए गठित की जाने वाली नववर्ष चेतना समिति के अध्यक्ष पद का दायित्व आपको ही सम्भालना है, साथ ही कहा कि चिंता न करिये, मैं हूं आपके साथ। ज्ञात हो सभी सदस्यों की लगातार चली आ रही एकस्वर से दी गयी स्वीकृति के चलते नववर्ष चेतना समिति के अध्यक्ष पद का दायित्व आज भी डॉ गिरीश गुप्ता ही सम्भाल रहे हैं।
ज्ञात हो जब डॉ गिरीश ने अपने गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च के वर्तमान भवन में क्लीनिक का उद्घाटन किया तो उस समारोह में मुख्य अतिथि डॉ एससी राय थे, उस समय भी सम्मान स्वरूप डॉ राय को डॉ गिरीश ने अपनी कुर्सी पर बैठाया था, हालांकि डॉ गिरीश की कुर्सीं पर बैठने के लिए डॉ राय ने बहुत मना किया था। आपको बता दें कि आज भी उसी कुर्सी के बगल की दीवार पर उसी समारोह में खींची गयी डॉ एससी राय की फोटो डॉ गिरीश ने लगा रखी है। एक सवाल के जवाब में डॉ गिरीश ने बताया कि मुझको डॉ राय के सादगी भरे व्यक्तित्व, उनके सामाजिक कार्य, जमीन से जुड़े रहकर महापौर जैसे राजनीतिक पद को 10 वर्षों तक (दो टर्म) कुशलता और विनम्रता के साथ सम्भालने जैसी बातों ने मुझे अत्यन्त प्रभावित किया, साथ ही मुझे चिकित्सीय पेशे के साथ तालमेल बैठाते हुए सामाजिक कार्यों में भाग लेने की प्रेरणा दी। डॉ गिरीश बताते हैं कि यह मेरा सौभाग्य है कि मुझे उनका आशीर्वाद, सान्निध्य एक अभिभावक की तरह प्राप्त हुआ, राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस के अवसर पर मैं डॉ राय को बार-बार नमन करता हूं।
