-केजीएमयू पहुंचकर सौंपा एक और ज्ञापन, दी वृहद आंदोलन की चेतावनी


सेहत टाइम्स
लखनऊ। केजीएमयू में पिछले दिनों हिन्दू महिला रेजीडेंट डॉक्टर द्वारा आत्महत्या के प्रयास के बाद उजागर हुए लव जिहाद मामले विश्व हिन्दू परिषद अवध प्रांत ने 29 दिसम्बर को कुलपति/कुलसचिव को एक ज्ञापन सौंपकर
आरोपी रेजीडेंट डॉक्टर पर सिर्फ निलंबन की कार्रवाई, गठित फैक्ट फाइंडिंग कमेटी के स्वरूप सहित अन्य बातों पर नाखुशी जाहिर करते हुए कहा है कि केजीएमयू प्रशासन इस पर उचित कार्यवाही करे अन्यथा विहिप वृहद आंदोलन के लिए बाध्य होगा।
केजीएमयू कुलपति/कुलसचिव को सम्बोधित ज्ञापन में कहा गया है कि मामले में आरोपी रेजीडेंट डॉक्टर रमीज उद्दीन नायक (डॉ रमीज मलिक) के खिलाफ हुई निलम्बन की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं हैं, उस पर गंभीर धाराओं में मुकदमा भी दर्ज हुआ है, उस व्यक्ति के कारण विश्वविद्यालय की छवि धूमिल होने के साथ – साथ समाज का भी माहौल खराब हो रहा है अतः उसे ब्लैकलिस्टेड किया जाए एवं उसका एडमिशन विश्वविद्यालय से निरस्त करें।
ज्ञापन में कहा गया है कि विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा बनाई गई Fact-Finding Committee पर किसी भी रूप में भरोसा नहीं किया जा सकता विश्वविद्यालय के ऐसे गम्भीर मामलों की जांच विश्वविद्यालय प्रशासन सही से नहीं कर सकता हमें शक है कि सही बातें ऐसे विश्वविद्यालय द्वारा बनाई गई समिति के समक्ष नहीं आ सकती बहुत से लोग अपनी बात और सबूत रखने में ऐसी समिति के सामने डरेंगे अतः हमारी मांग है कि उक्त समिति को भंग कर विश्वविद्यालय प्रदेश सरकार को पत्र लिख कर इस मामले और अन्य इस प्रकार के मामलों की जांच STF से अन्य उचित संस्था से कराने की मांग करे।
ज्ञापन में कहा है कि जिस व्यक्ति पर अनेक प्रकार के आरोप हैं, ऐसे व्यक्ति को रिटायरमेंट के बाद भी केजीएमयू में कुलपति के ओएसडी पद का दायित्व दे रखा गया है, उन्हें तत्काल कुलपति के ओएसडी पद से हटाया जाये, यह भी कहा है कि पूर्व में भी इनकी नियुक्ति पर एवं अन्य गंभीर आरोप लगे है उक्त व्यक्ति पर लगे आरोपों की एवं इनकी नियुक्ति की भी जांच प्रदेश सरकार के किसी संस्था से कराई जाए और दोषी पाए जाने पर समस्त रिकवरी की प्रक्रिया की जाए।
ज्ञापन में पैथोलॉजी लैब इंचार्ज डॉ वाहिद अली को छुट्टी से वापस लैब में बुलाये जाने पर विरोध जताते हुए कहा गया है कि वो सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं, अन्य लोगों पर दबाव बना सकते हैं, इसलिए भयमुक्त गवाही और निष्पक्ष जांच के लिए उन्हें पद से हटाया जाये।
ज्ञापन में कहा गया है कि जो मामले महिलाओं के साथ अन्याय, छेड़खानी और शोषण से संबंधित हैं या आते है भविष्य में उसके जांच के लिए जो भी समिति बनती है उसमें कम से कम 3 लोग विश्वविद्यालय के बाहरी हो जिसमें कोई महिला आयोग का सदस्य, रिटायर्ड IAS/IPS, एवं रिटायर्ड जज हो और ऐसे मामलों में पुलिस को भी इसकी जानकारी दी जाए और कार्यवाही कराई जाए। इसके अलावा आउटसोर्सिंग पर हो रही नियुक्तियों की भी जांच भी किसी बाहरी प्रदेश सरकार की संस्था से कराई जाए कि किसी विशेष वर्ग को लाभ तो नहीं दिया जा रहा।
यह👇पढ़ा आपने ?

Sehat Times | सेहत टाइम्स Health news and updates | Sehat Times