-आरएमएलआई में पांचवें वार्षिक अनुसंधान दिवस पर यूके से आये डॉ सुधीर राठौर ने दिया व्याख्यान
सेहत टाइम्स
लखनऊ। यूनाइटेड किंगडम के सरे में स्थित फ्रिमली हेल्थ एनएचएस फाउंडेशन ट्रस्ट के इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ सुधीर राठौर का कहना है कि आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) हृदय रोगों के निदान एवं उपचार की दिशा बदल रही है। यह उन लोगों की पहचान करने में सक्षम है जो देखने में स्वस्थ लगते हैं परंतु वास्तव में जोखिमग्रस्त हैं। इसके माध्यम से समय रहते हृदय रोग की आशंका का पता लगाकर व्यक्तिगत स्तर पर सटीक उपचार दिया जा सकता है।
डॉ राठौर ने यह बात आज 11 सितम्बर को यहां डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में हृदय रोगों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की भूमिका विषय पर अनुसंधान व्याख्यान प्रस्तुत करते हुए कही। व्याख्यान का आयोजन संस्थान में 5वाँ वार्षिक अनुसंधान दिवस पर किया गया था। उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में ए.आई. आधारित उपकरण सटीक उपचार रणनीति, जोखिम की भविष्यवाणी और बड़े पैमाने पर स्क्रीनिंग संभव बनाएंगे, जिससे भारत में हृदय-रोगजनित मृत्यु दर को कम किया जा सकेगा।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रो. (डॉ.) एन. के. अरोड़ा, कार्यकारी निदेशक, द इंक्लेन ट्रस्ट इंटरनेशनल थे। उन्होंने अपने सम्बोधन में “अनुसंधान क्यों आवश्यक है?” विषय पर विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि अनुसंधान कोई विकल्प नहीं बल्कि आधुनिक चिकित्सा की आवश्यकता है। यह चिकित्सा अभ्यास को परिष्कृत करता है, रोगी-देखभाल की गुणवत्ता बढ़ाता है और साक्ष्य-आधारित चिकित्सा को स्वास्थ्य-सेवा का आधार बनाता है। बिना अनुसंधान के चिकित्सा पद्धति ठहराव का शिकार हो सकती है। प्रत्येक चिकित्सक का कर्तव्य है कि वह अनुसंधान में योगदान दे ताकि रोगियों को सर्वोत्तम उपचार मिल सके।
अपने अध्यक्षीय संबोधन में निदेशक डॉ. सी. एम. सिंह ने संस्थान में विकसित हो रही अनुसंधान संस्कृति की सराहना की और संकाय सदस्यों को नवीन एवं उच्च-गुणवत्ता वाले अनुसंधान परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि हमें केवल रोगियों का उपचार ही नहीं बल्कि चिकित्सा के भविष्य को आकार देने का संकल्प लेना चाहिए। प्रत्येक विभाग को चाहिए कि वह उच्च-गुणवत्ता वाले, बहु-विषयक शोध कार्य करे ताकि RMLIMS को वैश्विक पहचान मिल सके। इस अवसर पर संस्थान के अध्यापकगण, शोधकर्ता एवं अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ एकत्र हुए और चिकित्सा विज्ञान की प्रगति में अनुसंधान की भूमिका पर विचार-विमर्श किया। इस अवसर पर संकाय एवं विद्यार्थियों द्वारा शोध-पत्र एवं पोस्टर प्रस्तुतियाँ आयोजित की गईं। क्लिनिकल मेडिसिन, ट्रांसलेशनल रिसर्च और डिजिटल स्वास्थ्य तकनीक पर विशेष सत्र हुए।


