-डॉ वरुणा वर्मा ने सफलतापूर्वक की 70 वर्षीय मरीज की पर्सीवल वाल्व सर्जरी

सेहत टाइम्स/धर्मेन्द्र सक्सेना
लखनऊ। सामान्य रूप से दुनिया भर मे पुरुष हृदय शल्य चिकित्सकों की संख्या ज्यादा है, महिला कार्डियक सर्जन सिर्फ 8 फीसदी हैं। भारत में सिर्फ 2.6 प्रतिशत महिला सीटीवीएस सर्जन हैं, इन्हीं में एक संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान एसजीपीजीआई के सीवीटीएस विभाग की एडिशनल प्रोफेसर डॉ वरुणा वर्मा ने 70 वर्षीय मरीज के एओर्टिक वाल्व (महाधमनी वाल्व) खराब हो जाने की स्थिति में 13 अगस्त को उसकी सफल पर्सीवल वाल्व सर्जरी (perceval valve surgery) की है। पर्सीवल वाल्व एक प्रकार का बायोप्रोस्थेटिक वाल्व है जो महाधमनी वाल्व प्रतिस्थापन (aortic valve replacement) के लिए उपयोग किया जाता है। उत्तर प्रदेश में पहली बार किसी महिला कार्डियक सर्जन द्वारा पर्सीवल वाल्व सर्जरी की गयी है।
ज्ञात हो पर्सीवल वाल्व एक सूचर रहित (sutureless) और स्व-विस्तारित महाधमनी वाल्व है। इसका मतलब है कि इसे हृदय में स्थापित करते समय टांके लगाने की आवश्यकता नहीं होती है, और यह अपने आप फैलता है। यह वाल्व पारंपरिक वाल्वों की तुलना में जल्दी स्थापित किया जा सकता है, जिससे ऑपरेशन का समय कम हो जाता है।
सर्जरी के बारे में डॉ वरुणा ने बताया कि चम्पारण बिहार का रहने वाले 70 वर्षीय मरीज को सांस फूलने की शिकायत के साथ ही छाती में दर्द रहता था। संस्थान में उनके पास मरीज के आने पर सीटी स्कैन आदि जांच कराने पर पता चला कि उसका एओर्टिक वाल्व बदला जायेगा। उन्होंने बताया कि एओर्टिक वाल्व में तीन परदे लगे होते हैं, ये हृदय की धड़कन के साथ खुलते-बंद होते हैं। जब यह खुलता है तो पूरे शरीर में शुद्ध खून पहुंचता है। किन्हीं लोगों में पैदाइशी दो परदे होते हैं, जिसकी वजह से उनमें बीमारी होने का खतरा रहता है। किसी भी कारणवश परदा खराब होने पर स्थिति के अनुसार रिपेयरिंग की जाती है जो कि सुई-धागे से होती है या फिर सर्जरी की जाती है।
डॉ वरुणा ने बताया कि सर्जरी में 60 वर्ष तक की आयु वाले मरीजों को धातु का वाल्व लगाया जाता है, जिसे सुई-धागे से लगाया जाता है, जबकि 60 वर्ष से ऊपर की आयु वाले व्यक्ति को जानवर का वाल्व लगाया जाता है। इसका चुनाव सीटी स्कैन जांच रिपोर्ट देखने के बाद ही होता है। उन्होंने बताया कि इस मरीज को पर्सीवल वाल्व लगाया गया है, इस वाल्व लगाने में टांकों का प्रयोग नहीं किया गया है इसे प्रेशर से टिकाया गया है। इसका सबसे बड़ा लाभ यह हुआ कि जिस कार्य में आधा घंटा लग जाता वह काम पांच मिनट में हो गया। उन्होंने बताया कि मरीज रिकवरी कर रहा है, उसे विशेष देखरेख के लिए आईसीयू में रखा गया है।



