-आरएमएलआई संविदा कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री से की वेतन वृद्धि का आदेश जारी करने की मांग
-संघ के महामंत्री सच्चितानंद ने लिखा विधानसभाध्यक्ष, मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष को पत्र

सेहत टाइम्स
लखनऊ। डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान संविदा कर्मचारी संघ के महामंत्री सच्चितानंद ने मुख्यमंत्री से मांग की है कि सरकार द्वारा घोषणाएं करने के बाद भी आउटसोर्स कर्मचारियों का वेतन न बढ़ाया जाना बेहद चिंता का विषय है, विधानसभा सत्र के दौरान की गई घोषणाओं का अनुपालन न होना भी एक बेहद चिंता का विषय है। उन्होंने मांग की है कि प्रदेश के लाखों आउटसोर्स कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 16000 रुपए करते हुए अन्य सभी संवर्ग के कर्मियों का वेतन बढ़ाए जाने के आदेश जारी किये जायें।
महामंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष को पत्र लिख कर अनुरोध किया है कि वेतन बढ़ोतरी का आदेश जार न होने से लाखों कर्मचारियों में हीन भावना उत्पन्न हो रही है तथा कर्मचारी आक्रोशित भी हो रहे हैं। प्रदेश के विभिन्न राजकीय विभागों में आउटसोर्स व्यवस्था के अंतर्गत विभिन्न सेवा प्रदाता फर्मो द्वारा सभी पदों पर पिछले कई वर्षों से लगभग 9 लाख आउटसोर्स कर्मचारी तैनात हैं। जिसमें चिकित्सा स्वास्थ्य, चिकित्सा शिक्षा तथा विद्युत जैसी महत्वपूर्ण सेवाएं भी शामिल हैं। राजकीय विभागों में कार्यरत लाखों आउटसोर्स कर्मचारीयों को बेहद कम वेतन पिछले कई वर्षों से मिल रहा है तथा किसी भी प्रकार का वेतन बढ़ोतरी का लाभ नहीं मिलता है। विभिन्न यूनियन, संगठनों द्वारा वेतन बढ़ोतरी की आवाज समय समय पर उठाई जाती है।
पत्र में लिखा गया है कि वर्ष 2018 में आउटसोर्स सेवा नियमावली की घोषणा की गयी बाद में प्रस्ताव निरस्त कर दिया गया। 9 अगस्त 2018 को मुख्यमंत्री द्वारा केजीएमयू लोहिया तथा एसजीपीजीआई में कार्यरत आउटसोर्स कर्मियों के लिए वेतन निर्धारण समिति का गठन हुआ जिसकी रिपोर्ट शासन को जाने के बाद भी वेतन बढ़ोतरी नहीं हुई। इसके पश्चात 20 अप्रैल 2023 को मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश के समस्त मेडिकल कॉलेज तथा चिकित्सा संस्थानों में कार्यरत आउटसोर्स कर्मचारीयों के वेतन निर्धारण के लिए वेतन समिति का गठन किया गया। रिपोर्ट 9 जून 2023 को शासन भेज दी गई मगर 2 साल बाद भी उसका शासनादेश जारी नहीं हुआ।

पत्र में कहा गया है कि इसी प्रकार 21 फरवरी 2025 को विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में मुख्यमंत्री द्वारा घोषणा की गयी कि आउटसोर्स कर्मचारी का न्यूनतम वेतन 16000 रुपए प्रतिमाह करते हुए आउटसोर्स सेवा निगम का गठन किया जाएगा मगर 6 माह बीत जाने के बाद भी कर्मचारियों का वेतन बढ़ोतरी नहीं हुई।

