-संजय गांधी पीजीआई के एंडोक्राइन सर्जन प्रो ज्ञान चंद्र ने हासिल की एक और उपलब्धि
सेहत टाइम्स
लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई के एंडोक्राइन सर्जरी विभाग के प्रो ज्ञान चंद्र और उनकी टीम ने एक बार फिर बिना चीरफाड़ मुंह के रास्ते (ट्रांसओरल) कैंसरयुक्त थायरॉयड ग्रंथि निकाल मरीज को गले में निशान आने से बचाते हुए मरीज को नया जीवन दिया है। खास बात यह है कि इस बार बिना चीरफाड़ वाला यह ऑपरेशन मात्र नौ वर्षीय बच्ची का किया गया है, जिसे थायरायड कार्सिनोमा कैंसर था। कम्र उम्र की बच्ची का ऐसा ऑपरेशन उन्नत तकनीक ट्रांसओरल से देश में पहली बार हुआ है। बच्ची की थायरॉयड ग्रंथि में दो गांठें थीं।

यह जानकारी देते हुए डॉ ज्ञान चंद्र ने बताया कि विशुनपुरा, गोरखपुर की रहने वाली इस बच्ची को ब्रेन ट्यूमर की शिकायत होने के चलते वर्ष 2019 में उसकी यहां एसजीपीजीआई में न्यूरो सर्जरी विभाग में सर्जरी की गयी थी। ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी के बाद बच्ची की रेडियेशन थैरेपी चलती रही। उन्होंने बताया कि कुछ समय पूर्व बच्ची के गले में सूजन आ गयी। परिजनों ने बच्ची को संस्थान में दिखाया। यहां बच्ची को पहले पीडियाट्रिक एंडोक्राइन सर्जरी और फिर उसके बाद एंडोक्राइन सर्जरी विभाग में डॉ ज्ञान चंद्र के पास भेजा गया।
प्रो ज्ञान चंद्र ने बताया कि अल्ट्रासाउंड और अन्य जांचों में पता चला कि बच्ची की थायरायड ग्रंथि में 2.4 x 1.3 सेमी और 21.9 मिमी की दो गांठें हैं। डॉ ज्ञान चंद्र ने बताया कि इसके बाद हम लोगों के सामने चुनौती थी कि अगर पारम्परिक तरीके से सर्जरी की जाती है तो गले में निशान पड़ जायेगा, हालांकि इससे पूर्व बिना चीरा लगाये मुंह के रास्ते से ग्रंथि निकालने के ऑपरेशन किये गये हैं लेकिन ये सभी वयस्कों के ऑपरेशन थे। उन्होंने कहा कि अंत में तय किया गया कि बच्ची के भविष्य और ब्रेन ट्यूमर की सर्जरी की पीड़ा झेल चुकी बच्ची की मानसिक स्थिति को देखते हुए गले में बिना चीरा लगाये मुंह के रास्ते (ट्रांसओरल) से कैंसरयुक्त थायरॉयड ग्रंथि निकाली जायेगी। इसके बाद प्रो ज्ञान चंद्र और उनकी टीम ने ऑपरेशन को अंजाम दिया जो कि सफल रहा। निकाली गयी गांठों की बायप्सी जांच कराने पर थायरायड कार्सिनोमा की पुष्टि हुई है। डॉ ज्ञान चंद्र ने बताया कि अब बच्ची की तबीयत ठीक है और वह सामान्य रूप से खाना-पीना कर पा रही है। ऑपरेशन करने वाली टीम में डॉ ज्ञान चंद्र के साथ डॉ. ममता कुमारी, डॉ. प्राची, डॉ. आकृति और प्रो. संजय धीराज विशेष भूमिका में रहे।

