-इप्सेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने लिखा प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र

सेहत टाइम्स
लखनऊ। इप्सेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी पी मिश्रा ने कहा है कि इप्सेफ सरकार के अच्छे कार्यों में हमेशा सहयोग करता है फिर भी भारत सरकार एवं अधिकांश राज्य सरकारें देशभर के कर्मचारियों की पीड़ा को समझकर उसका हल निकालने में टालमटोल करता है जिससे देशभर के करोड़ों कर्मचारी परिवार नाराज हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री को पत्र भेज कर आग्रह किया है कि प्रधानमंत्री एक बार कर्मचारियों के मन की बात करें। उन्होंने कहा कि यदि कर्मचारियों की मांगों पर मिल बैठकर समाधान न निकाला गया तो भावी चुनाव में सत्ताधारी दल को भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।
यह जानकारी देते हुए इप्सेफ के उपमहासचिव अतुल मिश्रा ने बताया कि अध्यक्ष ने खेद व्यक्त किया है कि आठवें वेतन आयोग के गठन की घोषणा की गई परंतु अध्यक्ष पद पर नियुक्ति नहीं हुई। इसी तरह आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी की सेवा सुरक्षा, रिक्त पदों पर विनियतीकरण करना, न्यूनतम वेतन देने आदि मामलों के लिए निर्णय नहीं लिया गया।
उन्होंने कहा कि देशभर के लाखों लाख युवा बेरोजगार पड़े हैं, रिक्त पदों पर भर्ती में विलंब होता है। जब तक नियुक्तियां होती हैं तब तक उतने ही सेवानिवृत हो जाते हैं जहां मैनपावर का सही तरीके से उपयोग करने की आवश्यकता है वह आउटसोर्स संविदा पर कर्मचारी रखकर रिक्त पदों पर नियमित भर्ती पर्याप्त मात्रा में नहीं की जा रही है। आयोग की भर्ती प्रक्रिया बहुत सीमित है।


अतुल मिश्रा ने बताया कि उत्तर प्रदेश में कर्मचारियों की मांगों पर मुख्यमंत्री, मंत्री कार्ड मुख्य सचिव अपर मुख्य सचिव प्रमुख सचिव विभाग अध्यक्ष मंडलीय आयुक्त एवं जिलाधिकारी कभी भी बैठक नहीं करते हैं जबकि पूर्व की सरकारों में मुख्यमंत्री स्वयं माह में एक बार अवश्य वार्ता करते थे यहां तक की कर्मचारी संगठनों के पदाधिकारी के लिए सचिवालय प्रवेश पत्र भी जारी नहीं हो रहे हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री कभी भी कर्मचारियों की पीड़ा नहीं सुनते हैं एक बार मन की बात में कर्मचारी-शिक्षकों की भी पीड़ा सुनकर निर्णय करना चाहिए। अनुरोध है कि कर्मचारियों की पीड़ा को भी सुनकर सामंजस्य बनाएं। उन्होंने बताया कि इप्सेफ की बैठक बुलाई गई है, जिसमें इस विषय पर चर्चा का निर्णय लिया जाएगा।
