Sunday , February 2 2025

कर्मचारियों के कुछ इंतजार, इंतजार ही रह गये, कुछ ने दी राहत

-फार्मेसिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव ने दी बजट पर अपनी प्रतिक्रिया

सुनील यादव

सेहत टाइम्स

लखनऊ। भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत बजट कर्मचारी हित के मामले में खट्टा-मीठा रहा है। पुरानी पेंशन की घोषणा नहीं की गई, कर्मचारियो को 50% महंगाई भत्ते को मूल वेतन में विलय की घोषणा का इंतजार था, जो पूरा नहीं हुआ।

आज केंद्रीय बजट पर प्राथमिक प्रतिक्रिया देते हुए फार्मेसिस्ट फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव ने कहा कि इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव, 12 लाख तक की आय करमुक्त किया जाना स्वागत योग्य है जो मध्यम वर्ग के नागरिकों और छोटे कार्मिकों के लिए लाभकारी होगा। 36 और कैंसर मेडिसिन को कस्टम ड्यूटी से मुक्त किया गया है जो पीड़ित मानवता को राहत देगी। उन्होंने कहा कि जिला चिकित्सालयों में कैंसर मरीजों के लिए डे केयर बनाए जाने की घोषणा अत्यंत महत्वाकांक्षी और जनहितकारी योजना साबित होगी।

श्री यादव ने कहा कि GIG (जिज) श्रमिकों अर्थात संविदा प्रथा और ठेकेदारी प्रथा को समाप्त करने के स्थान पर बढ़ावा दिया जा रहा है, स्थाई रोजगार सृजन न होने से तकनीकी और उच्च योग्यता धारक लोगों को अल्प वेतन और भविष्य की असुरक्षा के बीच कार्य करना पड़ रहा है। सभी के लिए स्वास्थ्य और चिकित्सा का अधिकार भी लागू किया जाना चाहिए।

ये पूरा देश मानता है कि आपदा काल में देश का सरकारी कर्मी और फार्मा उद्योग ने बड़ी जनहानि को रोका था, देश का नाम विश्व पटल पर स्वर्णाक्षरों में लिखा गया, लेकिन बजट में एक बार भी सरकारी कर्मियों के बारे में कुछ भी नहीं कहा गया। कर्मचारी सरकार की नीतियों का पालन करता है और देश के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है, लेकिन कर्मचारियों को हमेशा ही सौतेलेपन का शिकार होना पड़ता है अधिकांश सरकारी कर्मी इस देश के मध्यम वर्ग का नागरिक है जो देश की अर्थव्यवस्था का मूल आधार है। सरकारी कर्मचारी सबसे ज्यादा इनकम टैक्स देने वाला होता है और सबसे ईमानदारी के साथ आयकर का भुगतान करता है इसलिए हमेशा यह आशा रहती है कि सरकार अपने बजट में सरकारी कर्मचारियों के लिए भी कुछ ना कुछ राहत देगी और उनके विकास के लिए कुछ ना कुछ योजना लेकर आएगी।

देश में फार्मेसी क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं, तकनीकी रूप से श्रेष्ठ मानव संसाधन ‘फार्मेसिस्ट’ उपलब्ध हैं। देश में ड्रग रिसर्च, निर्माण, औषधि व्यापार, चिकित्सालयों में फार्मेसिस्ट की अनिवार्यता के साथ चिकित्सालयों में फार्माकोविजिलेंस की घोषणा आवश्यक थी। देश में लगभग 38 लाख योग्य फार्मा तकनीकी योग्यता धारक है, आखिर इनकी तकनीकी क्षमता का उपयोग कहां होगा यह विचारणीय है। बजट में स्थाई रोजगार की घोषणा नहीं है, कर्मचारी कल्याण की घोषणा नहीं हुई है अतः यह बजट कर्मचारी हितों के प्रतिकूल हुआ, वहीं आयकर स्लैब के बदलाव से थोड़ी राहत जरूर मिलेगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.