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ट्रांसजेंडर्स के लिए एसजीपीजीआई में पृथक क्लीनिकल केयर यूनिट शुरू

-प्रत्येक शुक्रवार को होगी ओपीडी, छह बिस्तरों का समर्पित वार्ड भी स्थापित

सेहत टाइम्स
लखनऊ।
संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) ने आज 19 जुलाई को ट्रांसजेंडर क्लिनिकल केयर यूनिट के उद्घाटन के साथ समावेशिता और स्वास्थ्य देखभाल समानता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। ट्रांसजेंडर क्लिनिकल केयर यूनिट की ओ पी डी सेवाएं साप्ताहिक (प्रत्येक शुक्रवार) होंगी और छह बिस्तरों वाले एक समर्पित वार्ड द्वारा भर्ती की सुविधा प्रदान की जाएगी। ट्रांसजेंडर समुदाय को हमारे समाज में पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त करने में एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ता है। उत्तर भारत में अपनी तरह की पहली इस अग्रणी पहल का उद्देश्य ट्रांसजेंडर समुदाय की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप बहु-विषयक विशिष्ट चिकित्सा सेवाएं और व्यापक देखभाल प्रदान करना है।

इस व्यापक सुविधा को नोडल विभाग के रूप में एंडोक्राइनोलॉजी विभाग द्वारा प्रबंधित किया जाता है और इसमें हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी, रिडक्शन मैमोप्लास्टी जैसी सर्जिकल प्रक्रियाएं, जननांग पुनर्निर्माण सर्जरी, परामर्श, मनोरोग सहायता और त्वचा विज्ञान सेवाएं शामिल हैं। प्लास्टिक सर्जरी और बर्न विभाग (प्रो. राजीव अग्रवाल, विभागाध्यक्ष), यूरोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांटेशन विभाग (प्रो. एम.एस. अंसारी, विभागाध्यक्ष), मनोरोग विभाग (डॉ. रोमिल सैनी), त्वचाविज्ञान और यौन रोग विभाग (डॉ. अजित कुमार) और माइक्रोबायोलॉजी विभाग (प्रोफेसर रुंगमेई एस.के. मराक, विभागाध्यक्ष) प्रमुख देखभाल प्रदाता हैं। आवश्यकता पड़ने पर अन्य चिकित्सा मुद्दों का निवारण संस्थान के अन्य विभागों द्वारा किया जाएगा।

ज्ञात हो ट्रांसजेंडर व्यक्ति वह होता है जिसकी लिंग पहचान जन्म के समय उसे दी गई लिंग पहचान से भिन्न होती है। भारत में ट्रांसजेंडर समुदाय का सदियों पुराना एक समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास है। भारत की 2011 की जनगणना में पाया गया कि लगभग 5 लाख व्यक्ति ट्रांसजेंडर हैं। इस समुदाय को परंपरागत रूप से हाशिए पर रखा गया है। हालांकि, हाल के वर्षों में उत्तर प्रदेश सरकार के तहत उत्तर प्रदेश ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड के प्रयासों के कारण बड़े पैमाने पर सामाजिक दृष्टिकोण और कानूनी मान्यता में सकारात्मक बदलाव देखा गया है।

उद्घाटन समारोह में प्रमुख सामुदायिक नेता, स्वास्थ्य देखभाल पेशेवर और ट्रांसजेंडर अधिकारों के समर्थक उपस्थित थे, जिन्होंने व्यापक स्वास्थ्य देखभाल सुधार प्राप्त करने के लिए आवश्यक सहयोगात्मक प्रयास पर जोर दिया। समारोह की मुख्य अतिथि के रूप में देविका देवेन्द्र एस मंगलामुखी, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य एवं सलाहकार, ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड, उत्तर प्रदेश सरकार ने समुदाय के सामने आने वाली चुनौतियों और उनके कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर जोर दिया। उन्होंने समाज के इस वंचित वर्ग को देखभाल प्रदान करने में संस्थान के प्रयासों की सराहना की।
संस्थान के निदेशक प्रोफेसर राधा कृष्ण धीमन ने लॉन्च के बारे में अपना उत्साह व्यक्त करते हुए कहा, “हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को सह्रदयतापूर्ण और उचित स्वास्थ्य देखभाल मिले। इस इकाई की स्थापना हमारे समुदाय के सभी सदस्यों को गरिमा और सम्मान के साथ सेवा देने के हमारे समर्पण को रेखांकित करती है।”

यूनिट का नेतृत्व कर रहे एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रोफेसर सुशील गुप्ता ने इस प्रयास को पूरा करने में आने वाली चुनौतियों के बारे में बात की। उन्होंने याद किया कि कैसे इस दिशा में पहला कदम इस समुदाय के सामने आने वाले स्वास्थ्य मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए 2023 के उत्तरार्ध में ‘ट्रांसजेंडरों के चिकित्सा मुद्दे – स्वास्थ्य का अधिकार पहल’ पर आयोजित एक बहु-विषयक कार्यशाला में उठाया गया था। उन्होंने निदेशक प्रोफेसर आर.के. धीमन, प्रोफेसर संजय धीराज, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, प्रोफेसर प्रीति दबडघाव, प्रोफेसर सुभाष यादव और प्रशासन के अन्य सदस्यों द्वारा किए गए अथक प्रयासों के बारे में भी विस्तार से बताया और इस महत्वाकांक्षी कार्य को पूरा करने के लिए सभी को धन्यवाद दिया।

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