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डोनर्स की किडनी की अदला-बदली कर किया गया दो मरीजों का गुर्दा प्रत्‍यारोपण

-एक-दूसरे के जीवनसाथी के काम आये किडनी डोनर्स

-संजय गांधी पीजीआई में सफलतापूर्वक हुआ यूपी का पहला स्‍वैप किडनी ट्रांसप्‍लांटेशन

डॉ अनीश श्रीवास्‍तव और डॉ नारायण प्रसाद

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। संजय गांधी पीजीआई में उत्तर प्रदेश का पहला स्वैप रीनल ट्रांसप्लांट (अदला बदली कर किडनी का प्रत्‍यारोपण) किया गया है। बीते दिवस 31 अगस्त को संस्थान द्वारा एक पुरुष और और एक महिला का किडनी ट्रांसप्‍लांट किया गया।

संस्थान द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार आजमगढ़ की रहने वाली 53 वर्षीय महिला वर्ष 2018 से नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रोफेसर नारायण प्रसाद के इलाज में है। महिला के 54 वर्षीय पति ने अपनी किडनी पत्नी को दान करने की इच्छा जताई। इसके बाद पीजीआई में ही आवश्यक परीक्षण एवं क्रॉस मैच किया गया जिसके नतीजे प्रत्यारोपण के अनुकूल नहीं थे। प्रोफ़ेसर प्रसाद ने बताया इसी प्रकार लखनऊ के रहने वाले 47 वर्षीय पुरुष मरीज 2019 से डायलिसिस पर थे उनकी 40 वर्षीय पत्नी ने भी अपने पति को अपनी किडनी देने की इच्छा जताई इनके भी आवश्‍यक परीक्षण एवं क्रॉस मैचिंग की गई। दुर्भाग्य से इनकी किडनी इनके पति के लिए अनुकूल नहीं पायी गयी।

इसके बाद नेफ्रोलॉजी टीम ने प्रत्यारोपण के अन्य विकल्पों के बारे में सोचा और इस बारे में यूरोलॉजी की टीम के साथ चर्चा की। इस चर्चा में किडनी की अदला बदली यानी स्‍वैप किडनी ट्रांसप्‍लांटेशन का निर्णय लिया। इसके तहत दोनों मरीजों के जीवन साथियों द्वारा किडनी के दान की अदला-बदली करने का निर्णय लिया गया इसके लिए क्रॉस मैचिंग फिर से की गई जो कि प्रत्यारोपण के अनुकूल पाई गई। इसके बाद नियमानुसार दोनों मरीजों के किडनी डोनर्स की सहमति ली गई।

इसके पश्चात अस्पताल द्वारा अधिकृत समिति के पास अदला-बदली प्रत्यारोपण का प्रस्ताव भेजा गया जिसे समिति ने सकारात्मक रवैया दिखाते हुए स्वीकार कर लिया।

निश्चित तिथि 31 अगस्‍त को ट्रांसप्लांट सर्जरी के प्रोफेसर तथा यूरोलॉजी एवं रीनल ट्रांसप्लांटेशन विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर अनीश श्रीवास्तव के नेतृत्व में सफलतापूर्वक प्रत्यारोपण किया गया। प्रो अनीश श्रीवास्‍तव के साथ डॉ अंसारी, उदय प्रताप सिंह एवं डॉ संजय सुरेखा शामिल रहे, ऑपरेशन में एनेस्थीसिया विभाग की टीम का नेतृत्‍व  प्रोफेसर अनिल अग्रवाल ने किया, उनके साथ प्रोफ़ेसर संजय धीरज, डॉ दिव्या श्रीवास्तव और डॉक्टर रफत शमीम शामिल रहे। इसके अतिरिक्त नेफ्रोलॉजी विभाग की प्रोफेसर अनुपमा कौल, डॉ धर्मेंद्र भदौरिया, डॉक्टर मानस पटेल, डॉक्टर रवि कुशवाहा, डॉ मोनिका याचा तथा डॉक्टर मानस बिहारा के सहयोग की भी सराहना की गई।

नेफ्रोलॉजी, यूरोलॉजी और एनेस्थीसिया की टीमों द्वारा किए गए इस सफल प्रत्यारोपण से भविष्य में संस्‍थान में प्रत्यारोपण की दिशा में और अच्छे परिणाम की उम्मीद जताई जा रही है। संस्थान के निदेशक डॉ आरके धीमन ने पीजीआई की टीम द्वारा किए गए इस प्रत्यारोपण पर हर्ष जताते हुए टीम की सराहना की।

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