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सफेद एप्रन पहनने वाले चिकित्‍सक 18 जून को काले लिबास में जतायेंगे विरोध

-अस्‍पतालों में मारपीट-तोड़फोड़ की घटनाओं से नाराज आईएमए मनायेगी देशव्‍यापी काला दिवस

-लखनऊ में भी विरोध की तैयारियों की जानकारी दी आईएमए की लखनऊ शाखा ने

आईएमए भवन में 15 जून को आयोजित आयोजित पत्रकार वार्ता में बायें से डॉ रुखसाना खान, डॉ रमा श्रीवास्‍तव, डॉ जेडी रावत और डॉ मनोज अस्‍थाना।

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। डॉक्टरों के साथ मरीज के तीमारदारों द्वारा की जाने वाली मारपीट-तोड़फोड़ की घटनाओं को लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन आई एम ए में सख्त नाराजगी है, इस नाराजगी को लेकर आगामी 18 जून को आई एम ए पूरे देश में काला दिवस मना रहा है। डॉक्‍टरों की शिकायत है कि पुलिस के सामने मारपीट-तोड़फोड़ होने के बावजूद पुलिस का चुप रहना अत्‍यन्‍त निंदनीय है। इसके साथ ही डॉक्‍टरों की सुरक्षा के लिए बने कानून के तहत जब तक दोषियों को सजा नहीं होगी तब तक इस तरह की घटनायें होती रहेंगी।

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी विरोध दिवस मनाने की तैयारी है। इसकी जानकारी देने के लिए आईएमए की लखनऊ शाखा द्वारा 15 जून को आईएमए भवन में एक पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। पत्रकार वार्ता में आई एम ए लखनऊ की अध्यक्ष डॉ रमा श्रीवास्तव, आई एम ए महिला विंग की अध्यक्ष डॉक्टर रुखसाना खान, आई एम ए लखनऊ के सचिव डॉक्टर जे डी रावत तथा आई एम ए लखनऊ के उपाध्यक्ष डॉ मनोज अस्थाना शामिल रहे।

डॉ रमा श्रीवास्‍तव ने कहा कि इण्डियन मेडिकल एसोसियेशन चिकित्सा एवं चिकित्साकर्मियों पर हो रहे अत्याचार, मारपीट के कारण डॉक्टरों की चिन्‍ता, नाराजगी एवं एकजुटता प्रदर्शित करने के तहत यह विरोध प्रदर्शन आयोजित करेगा और योद्धाओं की रक्षा करो, नारे के साथ चिकित्सा पेशें से जुड़े डॉक्टरों एवं कर्मियों पर हमले रोकने की मांग करेगा। उन्‍होंने बताया कि महिला डॉक्टरों के साथ भी गाली—गलौच और हिंसक घटनाएं हुई हैं। आईएमए प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से अपील करता है कि स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को तत्काल सुरक्षा मुहैया कराई जाए। हम उनसे केंद्रीय अस्पताल और हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स सुरक्षा अधिनियम में आईपीसी की धारा और आपराधिक गतिविधि संहिता शामिल करने की अपील करते हैं। प्रत्येक अस्पताल की सुरक्षा के मानक बढ़ाने, अस्पतालों को सुरक्षित क्षेत्र घोषित करने, दोषियों के खिलाफ फास्ट—ट्रैक अदालत में सुनवाई और उन्हें सख्त से सख्त सजा दिलाने के प्रावधान की अपील करते हैं।

डॉ रमा ने बताया कि इस दिन डॉक्टर काला बिल्ला, काले झंडे, काले मास्क, काली रिबन, काली शर्ट पहनकर नाराजगी प्रकट करेंगे। यह विरोध प्रदर्शन कार्यस्थलों और आईएमए बिल्डिंग के प्रमुख केंद्रों और अस्पतालों में मनाया जाएगा। आमजन को कोई समस्या न हो इसीलिए इमरजेंसी सेवाएं एवं ओपीडी सेवाएं सुचारुरूप से चलती रहेगी विरोध प्रदर्शन के बाद सामूहिक रूप से प्रधानमंत्री को ज्ञापन भेजा जाएगा। इसके बाद संवाददाता सम्मेलन भी आयोजित किया जाएगा। उन्‍होंने बताया कि जब तक हमारी ये सभी मांगें पूरी नहीं हो जातीं, हमारा आंदोलन जारी रहेगा।

उन्‍होंने कहा कि अस्पताल में डॉक्टरों के साथ मारपीट अस्पताल में तोड़फोड़ की घटनाओं पर किसी प्रकार की ठोस कार्यवाही नहीं होती है, जिस कारण ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं। उन्‍होंने कहा कि लखनऊ की ही बात करें तो यहां हाल ही में कम से कम 6 घटनाएं इस प्रकार की हुई है उन्होंने कहा की एक लंबे संघर्ष के बाद 2013 में बैठकर प्रोटक्शन एक्ट आया भी लेकिन इसका कोई लाभ नहीं मिल रहा क्योंकि इसके अंतर्गत कोई कार्यवाही नहीं की जाती। उन्होंने कहा कि इस कोरोना काल में भी डॉक्टर्स ने अपनी जान पर खेलते हुए मरीजों का इलाज किया उन्होंने कहा कि प्रशासन यह सुनिश्चित करे कि डॉक्टर की सुरक्षा बनी रहे।

डॉक्टर जे डी रावत ने कहा कि जिस तरह से जनता चिकित्सक से यह उम्मीद करती है कि चिकित्सक उनका इलाज बेहतर तरीके से करेगा उसी प्रकार डॉक्टर की सुरक्षा के बारे में प्रशासन को सोचना चाहिए। उन्होंने कहा इस तरह की घटनाओं को लेकर ही 18 जून को काला दिवस मनाया जा रहा है। इस दिन डॉक्टर काला फीता बांधकर अपना विरोध जतायेंगे।  उन्होंने कहा जब तक मारपीट करने वालों पर कार्रवाई होते हुए सजा नहीं होगी तब तक लोग ऐसा करने से डरेंगे नहीं कि ऐसा करने पर सजा होगी उन्होंने कहा कि पिछले 3 से 4 महीने के अंदर ही लखनऊ में 6 घटनाएं हुई है लेकिन मारपीट करने वालों के खिलाफ कार्यवाही नहीं होने से इस तरह की घटनाएं नहीं रुक रही है उन्होंने कहा कि सरकार को हमारी मजबूरी समझनी चाहिए, प्रोटेक्शन देना चाहिए उन्होंने कहा की अफसोस की बात तो यह है की पुलिस के सामने मारपीट की जाती है और पुलिस चुपचाप खड़ी रहती है, यह स्थिति बर्दाश्त से बाहर है।

डॉ मनोज अस्थाना ने बताया मारपीट की घटनाओं को सरकार को ही रोकना होगा क्योंकि यह अधिकार सरकार का ही है। सरकार को चाहिए की सुरक्षा के लिए बने कानून के अनुसार सजा मिले तभी स्थिति में सुधार आएगा उन्होंने कहा कि अस्पताल में इस तरह की घटना होने पर अगर 112 डायल किया जाता है तो पुलिस घटनास्थल पर पहुंची तो लेकिन मारपीट करने वालों को रोका नहीं। इसलिए आवश्यक है कि इस तरह की घटनाएं होने पर पुलिस उस पर तत्काल नियंत्रण करें तथा बाद में कानून के तहत उन्हें मारपीट तोड़फोड़ करने वालों को सजा मिले।

डॉक्टर रुखसाना खान ने कहा कि‍ जब तक मारपीट करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं की जाती तब तक यह घटनाएं नहीं रोक पाएंगे, क्योंकि लोगों के अंदर इस बात का डर ही नहीं है कि अगर हम मारपीट-तोड़फोड़ करेंगे तो हमें उसकी सजा होगी। उन्होंने कहा कि लोग समझते हैं कि अस्पताल में अगर मरीज को भर्ती कराया गया तो उसे मरना नहीं चाहिए लेकिन अगर स्थिति गंभीर होने पर उसकी मृत्यु हो जाती है तो डॉक्टर को दोषी ठहराने लगते हैं। उन्होंने कहा कि डॉक्टर शपथ लेता है वह इसको ठीक करने की। ऐसे में वह भला क्यों चाहेगा कि उसका मरीज मर जाए। वह तो यही चाहेगा कि मरीज उसके यहां से ठीक होकर जाए जिससे कि उसके अस्पताल में ज्यादा से ज्यादा लोग आएं। उन्होंने कहा की चिकित्सा में प्रयोग होने वाले उपकरणों की कीमत बहुत ज्यादा है तो ऐसे में इलाज तो महंगा होगा ही। अस्पताल से यह उम्मीद करना कि वह पैसे नहीं लेगा कहां तक उचित है उन्होंने कहा कि उसके बावजूद अगर किसी को डॉक्टर से शिकायत है तो वह अपनी शिकायत प्रॉपर तरीके से दर्ज करा सकता है। उन्होंने कहा पुलिस की मौजूदगी में डॉक्टरों की पिटाई-तोड़फोड़ किया जाए, बेहद शर्मनाक है उन्होंने कहा कि यही वजह है कि अब बहुत से लोग इस पेशे में आना नहीं चाहते हैं।