बिना पुख्ता तैयारियों के ही जारी कर दिया गया आदेश
लखनऊ। नयी व्यवस्था लागू होने के चलते स्वास्थ्य विभाग द्वारा अस्पतालों में दवा खरीद पर रोक लगाने के बाद दवाओं की किल्लत शुरू हो चुकी है। रोक लगने की वजह से ओपीडी में बहुतायत में वितरित होने वाली दवाओं के साथ ही इमरजेंसी दवाएं भी खत्म हो चुकी है। ओटी व इमरजेंसी में बहुत उपयोगी दवाओं को महंगे दामों पर अस्पताल खरीदने को मजबूर हैं। अगर यही हाल रहा तो कुछ दिनों में प्रदेश के सरकारी अस्पतालों के औषधि वितरण कक्षों पर ताले लटकने लगेंगे। आश्चर्य यह है कि सॉफ्टवेयर काम नहीं कर रहा है इस बात की जानकारी महानिदेशक को भी नहीं दी गयी।
स्वास्थ्य विभाग ने बिना तैयारी के अस्पतालों में 6 जून से दवाओं की खरीद और भंडारण को ऑन लाइन करने के लिए नया सॉफ्टवेयर लॉन्च करते हुए, पुरानी प्रक्रिया से खरीदी जाने वाली दवाओं पर बीती 26 मई से रोक लगा दी थी। आदेश में 7 जून को औषधि एवं टीका वितरण प्रबन्धन प्रणाली के सॉफ्टवेयर एक्टिव होने का आश्वासन भी दे दिया गया। उक्त सिस्टम को सक्रिय करने के लिए स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ.पद्माकर सिंह ने खरीदी जाने वाली दवाओं का अस्पताल में स्टाक व डिमांड की डिटेल सॉफ्टवेयर में लोड करने के निर्देश दिये थे।
बिना बजट का कॉलम भरे सॉफ्टवेयर काम नहीं कर रहा
बताया जाता है कि डिमांड लोड करने पर सॉफ्टवेयर, डिमांड एक्सेप्ट नहीं कर रहा है, क्योंकि सॉफ्टवेयर में बजट का कॉलम है, बिना बजट की उपलब्धता, या कॉलम भरे, सॉफ्टवेयर कार्य नहीं कर रहा है। अस्पतालों में सॉफ्टवेयर खोलने पर ब्लैंक पेज खुल रहा है। लिहाजा अस्पतालों से दवाओं की डिमांड नहीं जा रही है और किल्लत बढ़ती जा रही है। यह स्थिति राजधानी के बलरामपुर, लोहिया, सिविल समेत प्रदेश के अधिकांश अस्पतालों की है। अगर यही स्थिति कुछ दिन और बनी रही तो अस्पतालों में स्थित गंभीर हो जायेगी।
अस्पतालों में लोकल परचेज के जरिये महंगे दामों पर खरीदी जा रहीं दवाएं
अस्पताल में भर्ती मरीजों को चढ़ाया जाने वाला आईवी फ्ल्यूड, आक्सा कंपनी सप्लाई नही कर रही है, अस्पताल महंगे दाम पर लोकल परचेज कर रहें हैं। ओमेगा बायोटेक, विटामिन सी, मेटरोनिजोडॉल इंजेक्शन नहीं आ रहा है। एंटी रैबीज इंजेक्शन रैबीपुर बीते कई माह से कंपनी सप्लाई नही कर रही है। प्रदेश के अस्पतालों में लोकल परचेज हो रही है। इसी प्रकार आरकोलाइफ कंपनी द्वारा ओटी में उल्टी बचाव में दी जाने वाली मेटाकोल्प्रामाइड, डोपामाइसिन इंजेक्शन, ट्रामाडॉल इंजेक्शन, मैनिटॉल इंजेक्शन और रेडिको रीमेडियल कंपनी द्वारा एंटी मलेरियल इंजेक्शन सप्लाई नहीं किये जा रहे हैं। जिसकी वजह से अस्पताल महंगे दामों पर खरीद रहे हैं।
मुझे किसी ने बताया नहीं, जांच कराकर गड़बड़ी ठीक करायी जायेगी : डीजी
स्वास्थ्य महानिदेशक डीजी डॉ.पद्माकर सिंह का कहना है कि सॉफ्टवेयर एक्टिव हो चुका है। मगर,तकनीकी दिक्कत बताने पर उन्होंने कहा कि सॉफ्टवेयर में दिक्कत आ रही है, किसी ने शिकायत नहीं की है, फिर भी जांच कराकर गड़बड़ी ठीक कराई जायेगी। अस्पतालों में लोकल परचेज से दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं, इसके बारे में जानकारी नही है।