-संजय गांधी पीजीआई के न्यूक्लियर मेडिसिन विभाग के जूनियर रेजीडेंट ने फेल किये जाने पर उठाये हैं व्यवस्था पर सवाल
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। नेशनल मेडिकोज ऑर्गेनाइजेशन (एनएमओ) अवध एवं कानपुर प्रांत ने कहा है कि यह एक उचित समय है जब हमें यह सोचना पड़ेगा कि हमारे मेडिकल संस्थान में सहज संवेदनशील मानवीय गुणों से युक्त शिक्षकों का अभाव क्यों हो रहा है और क्यों कुंठा और खुन्नस से भरे लोग हावी होते जा रहे हैं।
ऑर्गनाइजेशन के प्रांत सचिव डॉ भूपेंद्र सिंह ने यह बयान जारी करते हुए कहा है कि नेशनल मेडिकोज ऑर्गेनाइजेशन अवध एवं कानपुर प्रांत संजय गांधी पीजीआई लखनऊ के कुंठितों के खिलाफ आवाज उठाने वाले डॉ मनमोहन का पूर्ण समर्थन करती है और साथ ही रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन एसजीपीजीआई के किसी भी निर्णय के पक्ष में अपना समर्थन देगी। आपको बता दें कि इससे पूर्व इंडियन मेडिकल एसोसिएशन व रेजीडेंट डॉक्टरों से जुड़ी राष्ट्रीय संस्था फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (FORDA) भी अपना समर्थन दे चुकी है। इसी के साथ हाईकोर्ट के वकीलों ने भी जरूरत पड़ने पर अपना पूरा सहयोग देने की बात कहते हुए निदेशक संजय गांधी पीजीआई को पत्र लिखा था।
अब आज 18 मई को जारी बयान में एनएमओ ने कहा है कि जूनियर रेजिडेंट के मानसिक शोषण का विरोध नेशनल मेडिको ऑर्गेनाईजेशन की हमेशा से प्राथमिकता रही है, व्यक्तिगत कुंठा और विरोध के कारण किसी भी छात्र के भविष्य से खिलवाड़, खासकर उन छात्रों से जो दिन-रात मरीज की सेवा में समर्पित हैं, निंदनीय है। उन्होंने कहा है कि उससे ज्यादा गलत यह बात है कि डॉ मनमोहन को थ्योरी परीक्षा में जानबूझकर फेल करने के बाद पैदा हुई स्थिति की जांच के लिए जो कमेटी गठित की गई वह भी इसी प्रकार की छात्र विरोधी मानसिकता वाले लोगों का समूह मात्र है जो अपने शिक्षक साथियों के सहयोग के अलावा छात्र के साथ कभी न्याय नहीं कर सकते।
उन्होंने कहा है कि पिछले कई वर्षों से समाज और सहज मानव संवेदना से कटे कुंठित लोगों का समूह जो व्यक्तिगत अहंकार की पराकाष्ठा पर बैठे हैं उनकी संख्या मेडिकल संस्थानों में बढ़ना चिंता का विषय है उन्होंने कहा है कि इस प्रकरण पर एनएमओ संजय गांधी पीजीआई की रेजीडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के हर निर्णय का समर्थन करते हैं।