-किस्त रोकने के विरोध में दायर की जा चुकी है याचिका, अब विशेष वेतन रोकने के निर्णय ने बढ़ायी निराशा
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। भारत सरकार द्वारा कर्मचारियों एवं पेंशनरों के महंगाई भत्ते की तीन किस्तों को रोकने के विरोध, इसके खिलाफ याचिका के बावजूद उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा महंगाई भत्ते के साथ ही विशेष वेतन रोकने की घोषणा करना न सिर्फ अलोकतांत्रिक है, बल्कि स्वेच्छाचारिता को बढ़ावा देना है। कोरोना महामारी की आड़ में सरकार ने तानाशाही व्यवस्था आरंभ कर दी है।
यह बात उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ चंदेल गुट के प्रदेशीय मंत्री, कालीचरन इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य व लखनऊ खंड शिक्षक एमएलसी प्रत्याशी डॉ महेन्द्र नाथ राय ने अपनी प्रतिक्रिया में कही। एक बयान में डॉ राय ने कहा कि भारत सरकार द्वारा कर्मचारियों एवं पेंशनरों के महंगाई भत्ते की दर को 1 जुलाई 2021 तक नहीं बढ़ाने की घोषणा का कर्मचारियों द्वारा पुरजोर विरोध किया गया था, यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ एक रिटायर्ड सैन्यकर्मी द्वारा याचिका भी दायर कर दी गई है। कर्मचारी संगठनों द्वारा किए जा रहे विरोध को दरकिनार करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने भी महंगाई भत्ते की दर को 1 जुलाई 2021 तक नहीं बढ़ाने की तथा साथ ही छह प्रकार के भत्तों पर भी रोक लगाने की घोषणा कर दी है। बगैर कर्मचारी एवं शिक्षक संगठनों से बात किए हुए इस तरह का निर्णय करना न केवल अलोकतांत्रिक है, बल्कि स्वेच्छाचारिता को बढ़ावा है।
डॉ राय ने कहा कि कोरोना महामारी की आड़ में सरकार ने तानाशाही व्यवस्था प्रारंभ कर दी है। सरकार को जहां विपरीत परिस्थितियों में कर्मचारियों का उत्साहवर्धन करना चाहिए वहां वह कर्मचारियों एवं शिक्षकों की सभी उपलब्धियों को एक-एक कर समाप्त करने के लिए अलोकतांत्रिक कदम उठा रही है। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ इस प्रकार के कदमों की घोर निंदा करता है।