Monday , May 6 2024

…इस तरह बचायें शिशु की गर्भनाल को संक्रमण से, अपने आप सूखकर गिरने देंं  

गर्भनाल में संक्रमण के कारण हो सकती है शिशु की मौत

लखनऊ। 21 नवम्बर 2019: माँ और गर्भस्थ शिशु को गर्भनाल भावनात्मक एवं शारीरिक दोनों स्तर पर जोड़ता है। गर्भस्थ शिशु को गर्भनाल के जरिए ही आहार भी प्राप्त होता है, इसलिए शिशु के जन्म के बाद भी गर्भनाल की बेहतर देखभाल की जरूरत होती है1 बेहतर देखभाल के भाव में नाल में संक्रमण फैलने का ख़तरा बढ़ जाता है, जो गंभीर परिस्थितियों में नवजात के लिए मृत्यु का भी कारण बन जाता है।

राज्य स्तरीय प्रशिक्षक व रानी अवंतीबाई जिला महिला चिकित्सालय, लखनऊ के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सलमान बताते हैं कि गर्भनाल की समुचित देखभाल जरूरी होती है। शिशु जन्म के बाद नाल के ऊपर  किसी भी प्रकार के तरल पदार्थ या क्रीम का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। नाल को सूखा रखना जरुरी होता है। नाल के ऊपर कुछ भी नहीं लगाना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से वह देर से गिरती है व बाहरी चीजों के इस्तेमाल से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इस संबंध में फैसिलिटी लेवल से लेकर समुदाय स्तर पर लोगों को जागरूक किया जा रहा है. इसमें आशा एवं एएनएम के साथ नर्स, चिकित्सक एवं काउंसलर भी लोगों को जागरूक करने में अहम योगदान दे रहे हैं।

डॉ सलमान का कहना है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार पहले एक माह में नवजात मृत्यु की संभावना एक माह के बाद होने वाले मौतों से 15 गुना अधिक होती है। पांच साल से अंदर की आयु के बच्चों की लगभग 82 लाख मौतों में 33 लाख मौतें जन्म के पहले महीने में ही होती है। जिसमें 30 लाख मृत्यु पहले सप्ताह एवं 2 लाख मृत्यु जन्म के ही दिन हो जाती है। जन्म के शुरुआती सात दिनों में होने वाली नवजात मृत्यु में गर्भनाल संक्रमण भी एक प्रमुख कारण होता है।

डॉ सलमान बताते हैं कि प्रशिक्षित चिकित्सक द्वारा प्रसवोपरांत नाल को बच्चे और माँ के बीच दोनों तरफ से नाभि से 2 से 4 इंच की दूरी रखकर काटी जाती है। बच्चे के जन्म के बाद इस नाल को प्राकृतिक रूप से सूखने देना जरूरी है, जिसमें 5 से 10 दिन लग सकते हैं। शिशु को बचाने के लिए नाल को हमेशा सुरक्षित और साफ रखना आवश्यक है ताकि संभावित संक्रमण को रोका जा सके।

उन्‍होंने बताया कि गर्भ नाल की सफाई करते वक्त उसे हमेशा सूखा रखें ताकि संक्रमण से बचाया जा सके, नाल के ऊपर कुछ भी बाहर से नहीं लागएं, नाल की सफाई से पहले हाथ अच्छी तरह से साबुन से धोकर सूखा ले ताकि संक्रमण नहीं फैले, शिशु का मल–मूत्र साफ करते समय नाल को संपर्क से अलग रखें, नाल की सफाई के लिए केमिकल का इस्तेमाल नहीं करें वरन साफ रुई या सूती कपड़ा का इस्तेमाल करें। नाल को ढँक कर रखने से पसीने या गर्मी से संक्रमण फ़ेल सकता है इसलिए उसे खुला रखें ताकि वह जल्दी सूखे। कार्ड स्टम्प को कुदरती रूप से सूख कर गिरने दें, जबर्दस्ती न हटायेँ, नाल के सूख कर गिर जाने तक शिशु को नहलाने की जगह स्पंज दें।

इन लक्षणों को नजरंदाज न करें

उन्‍होंने बताया लक्षणों को नहीं करें अनदेखा:

    नाल के आसपास की त्वचा में सूजन या लाल हो जाना

    नाल से दुर्गंधयुक्त द्रव का बहाव होना

    शिशु के शरीर का तापमान असामान्यहोना

    नाल के पास हाथ लगाने से शिशु का दर्द से रोना

ऐसी परिस्थितियों में नवजात को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में तुरंत ले जाना चाहिए। डॉ सलमान ने बताया-यदि नवजात रोता हुआ यानि स्वस्थ पैदा हो तो नाल को आँवल (प्लेसेन्टा) के शरीर से बाहर निकालने के बाद ही काटनी चाहिए |