मरीज को डॉक्टर के पास पहुंचाने तक उठाये जाने वाले कदमों की विस्तार से दी गयी है जानकारी
मैनुअल तैयार करने वाले 26 विशेषज्ञों के पैनल में उत्तर प्रदेश से इकलौते डॉ संदीप साहू शामिल
सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारत सरकार ने भारतीय समुदाय के लिए इमरजेंसी की स्थिति में अस्पताल ले जाने तक मरीज की जान बचाने के लिए किये जाने वाले उपायों को लेकर एक मैनुअल जारी किया है, इसे देश के जाने-माने 26 विशेषज्ञों की टीम ने तैयार किया है। इन 26 विशेषज्ञों में उत्तर प्रदेश से इकलौते विशेषज्ञ संजय गांधी पीजीआई के ऐनेस्थीसियोलॉजी विभाग के एडीशनल प्रोफेसर डॉ संदीप साहू शामिल हैं।
इनके अलावा एम्स नई दिल्ली के जिन विशेषज्ञों ने इसे तैयार करने में अपना योगदान दिया है, उनमें प्रोफेसर अमित गुप्ता, डॉक्टर ए एस मूर्ति, प्रोफेसर छवि साहनी, प्रोफेसर मनीष सिंघल, प्रोफेसर नीतीश नायक, डॉक्टर पीयूष रंजन, प्रोफेसर प्रवीण अग्रवाल, प्रोफेसर आर्यन पांडे, डॉक्टर राकेश गर्ग, प्रोफेसर संजीव भोई, डॉ शशांक चौहान, डॉक्टर शिवांगी साहा, प्रोफेसर सुबोध कुमार व प्रोफेसर सुषमा सागर शामिल हैं। इनके अलावा एम्स पटना के डॉक्टर अनिल कुमार, निमहंस बेंगलुरु के प्रोफेसर जी गुरु राज, डब्ल्यूएचओ के भारतीय प्रतिनिधि डॉ गौरव गुप्ता कश्मीर के कश्मीर के डॉ इजताबा शफी, पांडिचेरी के प्रोफेसर जगदीश मेनन, सेंट स्टीफेंस हॉस्पिटल नई दिल्ली के डॉक्टर मैथ्यू वर्गीस, केरल के डॉक्टर मोहम्मद अजीज, भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के जॉइंट सेक्रेटरी राजीव मांझी, इम्फाल के रीजनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के डॉक्टर सुनील कुमार सलाम, निदेशालय जनरल ऑफ हेल्थ सर्विसेज की डॉ तनु जैन तथा पुणे की डॉ वर्षा शिंदे शामिल हैं।
इस बारे में डॉ संदीप साहू से जब ‘सेहत टाइम्स’ ने बात की तो उन्होंने बताया कि इस मैनुअल के द्वारा प्रत्येक नागरिक को किसी भी इमरजेंसी की स्थिति में डॉक्टर तक मरीज को पहुंचाने तक के समय में मरीज को कैसे हैंडिल करना है, इसका प्रशिक्षण दिया जाना है। जैसे हार्ट अटैक आये, सिर में चोट लग गयी हो, व्यक्ति बेहोश हो गया हो तो उसे डॉक्टर के पास पहुंचाने तक क्या सावधानियां बरतनी हैं, के बारे में जानकारी दी जायेगी। उन्होंने बताया कि अनेक बार ऐसा होता है कि लोग मरीज को हॉस्पिटल ले जाते हैं लेकिन चिकित्सक तक पहुंचने तक मरीज को कैसे हैंडिल करना है, इस पर ध्यान नहीं देते, जबकि कुछ स्थितियों में एक-एक मिनट की बहुत कीमत होती है, और समय पर डॉक्टर तक न पहुंचने की वजह से या तो मौत हो जाती है या फिर अंग को हमेशा के लिए क्षति पहुंच जाती है।
डॉ संदीप साहू ने कहा कि वे पिछले तीन-चार सालों से इस कोर्स को चला रहे हैं, उन्होंने बताया कि यह कोर्स एक दिन का है जिसमें करीब छह घंटे का प्रशिक्षण दिया जाता है। उन्होंने कहा कि मेरी लोगों से अपील है कि इस प्रशिक्षण को अवश्य प्राप्त करें। उन्होंने कहा कि जो लोग प्रशिक्षण प्राप्त करना चाहते हैं तो वे उनसे सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं। यह प्रशिक्षण पूरी तरह से फ्री दिया जायेगा।