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प्रशासनिक पदों पर तैनात विशेषज्ञ चिकित्सकों को हटाया जायेगा !

स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री का मानना, सिस्‍टम को स्‍थायी रूप से सुदृढ़ किये जाने की आवश्‍यकता
जॉन हापकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, यूएसए  और द बिल गेट्स एंड मिलिंडा फाउंडेशन के सहयोग से कार्यशाला आयोजित

लखनऊ। उत्‍तर प्रदेश के स्‍वास्‍थ्‍य विभाग में प्रशासनिक पदों पर काम कर रहे चिकित्‍सकों और स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों को उनके प्रशासनिक पदों से हटाकर मरीज के उपचार वाले पदों पर उनकी तैनाती करने पर सरकार विचार कर रही है। यह संकेत उत्‍तर प्रदेश के चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने आज एक कार्यक्रम के दौरान अपने सम्‍बोधन में दिये। सिद्धार्थ नाथ सिंह शुक्रवार को जॉन हापकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, यू0एस0ए0  और द बिल गेट्स एंड मिलिंडा फाउंडेशन के सहयोग से एक होटल में आयोजित कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे।

अपने सम्‍बोधन में स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने सिस्टम सुदृढ़ीकरण पर जोर देते हुए कहा कि हम अभी भी 40-50 वर्ष पुरानी व्यवस्था पर काम कर रहे हैं। हमारे पास योग्य डॉक्टर्स और स्वास्थ्यकर्मियों की जो संख्या है, उनमें से कई लोगों से प्रशासनिक आदि कार्य कराया जा रहा है। हमें सिस्टम को सुदृढ करने की अस्थाई नहीं, बल्कि स्थायी व्यवस्था बनानी है। ज्ञात हो महानिदेशालय सहित अनेक स्‍थानों पर विशेषज्ञ चिकित्‍सकों की तैनाती हैं, जो यहां सिर्फ फाइलों में सिर खपा रहे हैं, जबकि ऐसे चिकित्‍सक अगर अस्‍पतालों में रहेंगे तो मरीजों को देख सकेंगे।

चिकित्सा स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि मुझे इस बात की खुशी है कि उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग को जॉन हापकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, यूएसए सहयोग दे रहा है। इसके सहयोग से यूपी स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान स्वास्थ्यकर्मियों को जन स्वास्थ्य सेवाएं देने के लिए और अधिक सक्षम बनाने में मदद मिलेगी। मंत्री ने कोर कांपेटेंसीज फॉर पब्लिक हेल्थ प्रोफेसनल्स इन उत्तर प्रदेश विषय पर देश की पहली कार्यशाला करवाने के लिए द बिल गेट्स एंड मिलिंडा फाउंडेशन (बीएमजीएफ) को धन्यवाद दिया।

मंत्री ने कहा कि प्रदेश में घर-घर स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने में कई चुनौतियां आ रही हैं। वहीं कुछ जिलों में शुरू हो चुकी टेलीमेडिसिन, टेलीरेडि‍योलॉजी जैसी सेवा से मरीजों को काफी राहत मिल रही है। उन्होने कहा कि मैं आप सभी से अपेक्षा करूंगा कि प्रदेश की जरूरत के हिसाब से जन स्वास्थ्य के खास क्षेत्रों में प्रशिक्षण का आकलन करें। जन स्वास्थ्य प्रोफेसनल्स की शिक्षा और प्रशिक्षण के लिए जो आवश्यकता होगी, उसकी सरकार द्वारा पूरी सहायता की जाएगी।

जॉन हापकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, यूएसए के प्रोजेक्ट प्रिन्सिपल इंवेस्टिगेटर प्रोफेसर डॉक्टर डेविड पीटर्स ने कार्यशाला का उद्देश्य बताया। उन्होंने बताया कि किसी भी प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था में यदि समय के साथ परिवर्तन नहीं किया गया तो अच्छी से अच्छी योजना भी दम तोड़ देती है। स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए मानव संसाधन रीढ़ की हड्डी की तरह है। इस संसाधन के लिए प्रशिक्षण अतिआवश्यक है।

स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ एंड फेमिली वेलफेयर (एसआईएचएफडब्ल्यू) की निदेशक (प्रशासन) डॉक्टर पूजा पांडे ने उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य विभाग की संक्षिप्‍त जानकारी देते हुये कार्यशाला की शुरुआत की। कार्यशाला के दौरान जॉन हापकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, यूएसए  के प्रोफेसर डॉक्टर सारा, डॉक्टर साइरस इंजीनियर और डॉक्टर ब्राइन व्हल ने पब्लिक हेल्थ की हकीकत और भविष्य की आवश्यकताओं पर प्रस्तुतीकरण दिया।

इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक पंकज कुमार, सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण वी हेकालीझिमोमी, निदेशक (प्रशासन), राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की अपर मिशन निदेशक श्रुति सिंह के साथ यूपीटीएसयू और जॉन हापकिंस ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, यूएसए  के अधिकारीगण उपस्थित रहे।