-साइंटिफिक कन्वेन्शन सेंटर में दो दिवसीय राष्ट्रीय होम्योपैथिक सम्मेलन प्रारम्भ
सेहत टाइम्स
लखनऊ। राजधानी के केजीएमयू स्थित साइंटिफिक कन्वेन्शन सेंटर में शनिवार 13 सितम्बर को शुरू हुए दो दिवसीय राष्ट्रीय होम्योपैथिक सम्मेलन के उद्घाटन समारोह में जहां होम्योपैथी की उत्थान यात्रा के बारे में बताते हुए इस पैथी को आगे बढ़ाने की बातें हुईं, वहीं कुछ चिकित्सकों द्वारा ‘अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने’ जैसी चेष्टाओं को भी साफगोई से स्वीकार करते हुए ऐसी परिस्थितियों से बचने का आह्वान किया गया। प्रथम दिन उद्घाटन समारोह के अतिरिक्त वैज्ञानिक सत्रों एवं शाम को कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया।
सभी चिकित्सा पद्धतियों का तुलनात्मक अध्ययन होना चाहिये
मुख्य अतिथि इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला द्वारा डॉ हैनीमैन के चित्र पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलन कर समारोह का उद्घाटन किया। उनके साथ इस कार्यक्रम के अध्यक्ष के रूप में उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य एवं सचेतक विधान मंडल दल भाजपा सदस्य साकेंद्र प्रताप वर्मा, विशिष्ट अतिथि उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य अंगद कुमार सिंह व अवनीश कुमार सिंह, राष्ट्रीय होम्योपैथिक आयोग के बोर्ड के अध्यक्ष डॉ आनंद चतुर्वेदी, पूर्व केंद्रीय होम्योपैथिक परिषद के अध्यक्ष डॉ रामजी सिंह, होम्योपैथिक विभाग के निदेशक डॉ प्रमोद कुमार सिंह सहित अन्य गणमान्य अतिथियों ने भी दीप प्रज्ज्वलित किया। न्यायमूर्ति मंजीव शुक्ला द्वारा अपने संबोधन में कहा गया कि भारत की सभी चिकित्सा पद्धतियों का आपस में तुलनात्मक अध्ययन होना चाहिए। इसमें सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों से अपेक्षा है कि जनता के बीच में इन चिकित्सा पद्धतियों के आपसी संबंध का संदेश जाना चाहिए।
होम्योपैथी को आगे बढ़ाने की पहल खुद से शुरू कीजिये
विधायक साकेन्द्र प्रताप वर्मा ने कहा कि हर चीज मैं से शुरू होती है, चाहें परिवार हो, समाज हो, देश हो अगर आप चाहते हैं कि ये ठीक हों तो इसकी शुरुआत आपको खुद से करनी होगी। इसलिए होम्योपैथी को आगे ले जाने का काम आपको ही करना होगा, इसके लिए किसी दूसरे की तरफ देखने की जरूरत नहीं है। उन्होेेेंने कहा कि ज्ञान का भंडार भारत के अंदर है वह हमने करके भी दिखाया है। कोरोना काल में हर डॉक्टर ने अपने-अपने ढंग से दवाएं दीं। अगर हमें ज्ञान नहीं है तो हमने दवाएं कहां से दीं। भारत की रिसर्च ने दुनिया को दिखा दिया कि रिसर्च के क्षेत्र में हम किसी से पीछे नहीं हैं। सबसे पहले वैक्सीन हमने बनायी, दुनिया को निरोगी बनाने का सपना भारत का है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने अभी हमारे देश में कई चीजों पर टैरिफ लगाया। आजकल वहां के वहां के मेडिकल क्षेत्र का हाल बहुत खराब है। दरअसल इसके बाद हुआ यह कि हम जो अपने यहां सस्ती जनऔषधि वाली दवाएं देते हैं इसकी 60 प्रतिशत दवाएं अमेरिका लेता है, जब हमने इस पर जरा सा प्रतिबंध लगाया तो अमेरिका में उठक-बैठक होने लगी।
आखिर होम्योपैथी को कहां ले जाना चाहते हैं चिकित्सक
केंद्रीय होम्योपैथिक परिषद के पूर्व अध्यक्ष प्रो रामजी सिंह ने कहा कि दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में ऐलोपैथी दवा लिखने की छूट मांगने वाले होम्योपैथिक चिकित्सक होम्योपैथी को कहां ले जाना चाहते हैं, यह एक ज्वलंत प्रश्न है, क्योंकि एक तरफ तो होम्योपैथी को बढ़ावा दिया जा रहा है। होम्योपैथ चिकित्सक रिसर्च कर एक से बढ़कर एक जटिल रोगों का सफल उपचार ढूंढ़ रहे हैं, वहीं प्रदर्शन करके ऐलोपैथी पद्धति की दवा लिखने की सरकारी छूट मांगने वाले होम्योपैथिक चिकित्सक अपनी पैथी पर प्रश्नचिन्ह लगाने का कृत्य कर रहे हैं। आखिर इसका मतलब क्या है।
उन्होंने कहा कि यह कहने में मुझे कोई संकोच नहीं है कि एलोपैथिक दवा लिखने की अनुमति मांगने के लिए पूना में दो सौ डॉक्टरों ने मेरा घेराव किया, इसी मांग को लेकर भोपाल में जबलपुर से पहुंचे एक और पदाधिकारी डॉ त्रिपाठी को घेरा। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग भी यही है कि जिस विधा में आपने पढ़ाई की है, उसी की आप प्रैक्टिस कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि होम्योपैथिक का वजूद न सिर्फ बना रहे बल्कि अपने दमखम से और आगे बढ़े। विशिष्ट अतिथि के रूप में सदस्य विधान परिषद अंगद कुमार सिंह ने चिकित्सकों को संबोधित करते हुए कहा यदि होम्योपैथी जनता के बीच में विश्वास दिलाना है तो चिकित्सकों को अपना विजन और होम्योपैथी पर समर्पण को ध्यान में रखना होगा।
विशिष्ट अतिथि सदस्य विधान परिषद अवनीश कुमार सिंह ने कहा कि भारत के लिए भारत के लिए होम्योपैथी सबसे उपयुक्त चिकित्सा पद्धति है। डॉ आनंद कुमार चतुर्वेदी सदस्य राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग नई दिल्ली ने कहा कि होम्योपैथी एक सूक्ष्म वैज्ञानिक प्रयोग आधारित पद्धति है। इसमें गहन अध्ययन शोध के द्वारा मानवता के कल्याण लिए जनजन के बीच विश्वास का वातावरण बनाना होगा। इस कार्यक्रम में एक स्मारिका का भी विमोचन किया गया।
सम्मेलन की आयोजक हैनीमैन एजुकेशनल एंड डेवलपमेंट सोसाइटी के सचिव डॉ आशीष वर्मा ने बताया कि इस कार्यक्रम में देश-विदेश से लगभग 650 चिकित्सा शिक्षक एवं छात्र-छात्राओं ने भाग लिया उन्होंने अपने वक्तव्य में आयुष विभाग भारत सरकार एवं राज्य सरकार के द्वारा होम्योपैथिक विभाग के विकास और जन-जन तक पहुंचाने के क्षेत्र में सरकारी प्रयासों की सराहना करते हुए संस्था की ओर से भारत सरकार और राज्य सरकार को धन्यवाद ज्ञापित किया। समिति के अध्यक्ष डॉ शिवली मजहर ने बताया कि 30 होम्योपैथिक चिकित्सकों जिन्होंने होम्योपैथिक दिशा में उत्कृष्ट कार्य किए हैं उनको भी यहां सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के धन्यवाद ज्ञापित करने की जिम्मेदारी का निर्वहन पूर्व निदेशक डॉ बीएन सिंह ने किया।


