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टीबी की फ्री दवा अब निजी क्‍लीनिक पर भी मिलना शुरू

पैसे के अभाव में बीच में दवा न छूटे, इसके लिए उठाया कदम

डॉट्स के तहत इन्दिरा नगर में डॉ रवि �भास्‍कर क्‍लीनिक पर खुला पहला केंद्र

लखनऊ। वर्ष 2025 तक भारत से और 2022 तक लखनऊ से टीबी के खात्‍मे को लेकर प्रयास तेज हो गये हैं। इसी क्रम में टीबी के मरीजों को डॉट्स केंद्रों के साथ ही प्राइवेट डॉक्‍टरों की क्‍लीनिक या अस्‍पताल में भी दवा देने का फैसला लिया है। इसका मुख्‍य उद्देश्‍य है निजी क्‍लीनिक्‍स पर टीबी का इलाज करा रहे मरीजों का इलाज पैसे के अभाव में न छूटे।  राजधानी लखनऊ में इसकी शुरुआत आज इन्दिरा नगर स्थित डॉ रवि भास्‍कर क्‍लीनिक से हुई। इसकी शुरुआत जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ बीके सिंह ने की।

 

समारोह को सम्‍बोधित करते हुए डॉ सिंह ने बताया कि टीबी के इलाज का पूरा कोर्स करना टीबी के खात्मे के लिए बहुत जरूरी है, साथ ही पैसे की वजह से किसी भी मरीज की दवा ना छूटे इसका खास खयाल रखा जा रहा है। निजी चिकित्सालयों में डॉट्स सेंटर खोलना इसी दिशा में एक कदम है। यह निजी क्लीनिक डिसपरसल सेंटर की तरह काम करेंगी। उन्‍होंने बताया कि निक्षय पोषण योजना के अंतर्गत इलाज के दौरान हर टीबी मरीज को प्रतिमाह 500 रुपये दिये जाते हैं।

 

आपको बता दें कि डॉ रवि भास्कर की क्‍लीनिक पर देहात एवं बाहर के जिले के रोगी टीबी के इलाज के लिए आते हैं परंतु आर्थिक तंगी के कारण बहुत से मरीज टीबी का इलाज पूरा नहीं करते हैं एवं बीच में ही दवा बंद कर देते हैं, जिसके कारण एमडीआर यानी मल्‍टी ड्रग्‍स रेसिस्‍टेंस का खतरा रहता है। इस मौके पर डा0 रवि भास्कर ने जिला क्षय रोग अधिकारी को धन्यवाद देते हुये उनके इस कदम की सराहना की और इसे टीबी के खात्मे की ओर एक सार्थक कदम बताया। उन्होने टीबी के क्षेत्र में कार्य कर रही जीत (ज्वाइन्ट एफर्ट फॉर एलिमिनेटिंग टीबी) परियोजना का भी धन्यवाद किया जिनके माध्यम से हर मरीज को इलाज पूरा करने में सहयोग किया जा रहा है।

 

इस मौके पर उपस्थि‍त इं‍डियन मेडिकल एसोसिएशन लखनऊ के अध्‍यक्ष डॉ जीपी सिंह भी इस मौके पर मौजूद रहे। उन्होंने लखनऊ के अन्य प्राइवेट डॉक्टरों से अपील कि वे भी जीत प्रोजेक्ट से जुडकर टीबी के पेशेंट को चिन्हित कर लखनऊ को टीबी मुक्त बनाने में सहयोग प्रदान करें। उन्होंने इलाज से अच्‍छा बचाव पर विशेष बल दिया।

 

इस मौके पर उपस्थित विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन के कंसल्टेंट डॉ उमेश त्रिपाठी ने प्राइवेट सेक्टर को दी जा रही सुविधाओं के बारे में बताया और सभी डॉक्टरों एवं निजी चिकित्सालयों को इसका लाभ लेने के लिए प्रोत्साहित किया।

 

कार्यक्रम में जिला आरएनटीसीपी की टीम, आरएमएल टीयू की टीम, पीपीएम कोऑर्डीनेटर रामजी वर्मा एवं जीत परियोजना के शैलेंद्र उपाध्याय, अंजुला सचान और अन्य सदस्यगण भी मौजूदा रहे। ममता एनजीओ से स्टेट लीडर शुभ्रा त्रिवेदी ने कार्यक्रम के अंत में सभी को इस नयी शुरुआत के लिए धन्यवाद दिया। इस मौके पर जीत प्रोजेक्ट की टीम, पूर्व राज्यपाल माता प्रसाद, पूर्व संयुक्त निदेशक स्वास्थ्य डॉ एसपी भास्कर, केजीएमयू के एसोशिएट प्रोफेसर डॉ अजय वर्मा, भास्कर फाउन्डेशन की चीफ ट्रस्टी पूजा सिहं भी मौजूद रहीं।

 

डा0 रवि भास्कर ने बताया कि डा0 रवि भास्कर क्लीनिक जनपद के प्रथम निः शुल्क प्राइवेट दवा वितरण केन्द्र के रूप में संचालन करेगा। इस केन्द्र के संचालन से क्षय रोग के रोगियों को सुविधा सुलभ होगी एवं इससे उनके इस रोग पर व्यय होने वाली आर्थिक क्षति भी नही होगी। इस केन्द्र से जनपद के आस-पास के रोगी लाभ ले सकेंगे। यह केन्द्र अपने आप में निजी क्षेत्र के रूप मे सहभागिता करेगा एवं क्षय-रोग नियन्त्रण में अग्रणी भूमिका अदा करेगा।