उम्र के इस पड़ाव पर भी बाबा की आँखों की रौशनी और दाँत सही सलामत
कहावत है कि सेहत, ज़िंदगी की सबसे बड़ी दौलत होती है, इस नजरिये से देखा जाये तो पंजाब के तरनतारन के पंडोरी हसन गाँव के बाबा करनैल सिंह बिलकुल खरे उतरते हैं. 114 साल के बाबा करनैल के उम्र के इस पड़ाव पर भी बाबा की आँखों की रौशनी और दाँत सही सलामत हैं बाबा को गांव वाले ‘गबरू’ कहकर बुलाते हैं. उनकी अच्छी सेहत ने उन्हें अपनी पाँचवी पीढ़ी को अपने हाथों में खिलाने का अवसर दिया है.
मीडिया में आयी रिपोर्ट्स के अनुसार1903 में जन्मे, किसानी से जुड़े बाबा करनैल सिंह के परिवार में कुल 43सदस्य हैं, उनके 4 बेटे और 5 बेटियाँ हैं. 35 वोटरों वाले इस घर में सबके चूल्हे जरूर अलग जलते हैं पर सब एक साथ ही रहते हैं. बाबा की पाँचवीं पीढ़ी, उनके पोते निशान सिंह की उम्र 14 साल है, जो ऑस्ट्रेलिया में रहते हैं. बाबा के एक और पोते, सविंदर सिंह ने बताया कि ननिहाल और ददिहाल मिलाकर उनके परिवार में कुल 143 सदस्य हैं. पिछले साल बाबा के सबसे बड़े लड़के अजीत सिंह की मौत हो गई थी, उनकी उम्र 89 साल थी.
साल 1968 में लोगों ने बाबा करनैल सिंह को गाँव के सरपंच की जिम्मेदारी दी, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया. किसानों के परिवार से होने के नाते बाबा ने अपनी उम्र खेतीबाड़ी में गुज़ारी है पर हैरानी की बात यह है कि इस उम्र में भी वो रोज़ सुबह अपने खेतों की सैर पर जाते हैं. बाबा को उर्दू भाषा का भी काफी ज्ञान है और वो खबरों को भी काफी दिलचस्पी से सुनते और पढ़ते हैं. अक्सर उन्हें रेडियो से कान लगाए खबरों को ध्यान से सुनते देखा जा सकता है. वह रोज सुबह 5 बजे उठ कर रेडियो पर गुरबाणी भी सुनते हैं.
बाबा से जब उनकी सेहत का राज पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उनकी सेहत का राज़ नशे से दूरी है. बाबा ने स्वयं को और अपने परिवार को कभी नशे की चपेट में नहीं आने दिया. उनके परिवार के सदस्य धूम्रपान इत्यादि से हमेशा से दूर रहे हैं. बाबा का डाइट प्लान भी उनकी तरह ही सेहत से भरा है. पूरे दिन में वो एक कप चाय, चार चपाती, हरी सब्जियां, लस्सी, दूध, गन्ने का रस, देसी घी, मक्खन और मलाई लेते हैं.