टीबी का इलाज बीच में छोड़ना सबसे बड़ा कारण है मौत का
लखनऊ। टीबी यानी तपेदिक की भयावहता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अकेले भारत में ही यह रोज 1200 लोगों की जान ले लेती है। इतनी बड़ी संख्या में इस जानलेवा बीमारी से निपटने में हम आज भी सक्षम नहीं हो पाये हैं इसकी बड़ी वजह यह है कि हमारी नीतियां इस तरह की नहीं बन सकी हैं कि हम लोगों को इसकी भयावहता को समझा पाते। इतनी बड़ी संख्या में मौतों की संख्या के पीछे की वजह टीबी की बीमारी के इलाज में लापरवाही बरतना या बीच में इलाज छोड़ देना है क्योंकि बीच में इलाज छोड़ने का असर यह पड़ता है कि जिन दवाओं का मरीज सेवन कर चुका होता है, वे दोबारा इलाज शुरू करने पर असर नहीं करती हैं, और मरीज रेसिस्टेंट टीबी की स्टेज में पहुंच जाता है।
ड्रग ऐसिस्टेन्ट टी.बी. पर एक राष्ट्रीय सीएमई का आयोजन पलमोनरी मेडिसिन, ऐराज लखनऊ मेडिकल कालेज और अस्पताल, एरा विश्वविद्यालय, लखनऊ में अंतरराष्ट्रीय यूनियन अगेन्स्ट टी.बी. एवं लंग डिज़ीज़ एवम प्रदेश टयूबरकुलोसिस एसोसिएशन के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया गया। इसका उद्रघाटन महानिदेश्क चिकित्सा शिक्षा डॉ़ के.के. गुप्ता ने किया।
प्रतिनिधिमण्डल का स्वागत करते हुए वाइस चांसलर एरा विश्वविद्यालय प्रोफेसर अब्बास अली मेहंदी ने कहा कि ड्रग रेसिस्टेन्ट टी.बी बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि यह विश्व स्तर पर 2,50, 000 मरीज़ो को मारता है। विशेषज्ञ प्रो0 राजेन्द्र प्रसाद ने बताया कि टीबी पूरी तरह से रोका जा सकता है और इलाज करने योग्य रोग है, लेकिन लापरवाही और ज्ञान न होने के कारण भारत में हर दिन टीबी के कारण 1200 मरीज़ मर जाते हैं टीबी के खराब प्रबंधन के साथ ही मौजूदा ड्रग रेसिस्टेन्ट टीबी के कारण हैं। इससे होने वाली मौतों की भयावहता बताते हुए उन्होंने बताया कि इससे होने वाले नुकसान 5 हवाई जहाज़ दुर्घटनाओं के कारण होने वाले नुक्सान के बराबर है। लोहिया इंस्टीट़यूट के निदेशक प्रो0 दीपक मालवीय ने बताया कि टी.बी दुनिया भर में मौत का सबसे आम संक्रामक कारण है और अधिक्तर युवा आबादी को प्रभावित करता है। यूपी टीबी एसोसिएशन के अध्यक्ष आरसी त्रिपाठी यूपी टी.बी ऐसोसएशन के अध्यक्ष ने प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए कहा कि यूपी टीबी ऐसोसिएशन टी.बी के बारे में जनता और डाक्टरों को शिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है और टी.बी के नियंत्रण के लिए कुछ झुग्गियों और गांवों को भी अपनाने जा रहा है।
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