लखनऊ. उत्तर प्रदेश अपनी पहली स्वास्थ्य नीति लाने की तैयारी कर रहा है. इस स्वास्थ्य नीति में एक अलग पब्लिक हेल्थ संवर्ग, पब्लिक हेल्थ एजुकेशन स्कूल की स्थापना, चिकित्सा सेवा में नर्सों और आयुष चिकित्सकों की अग्रणी भूमिका सुनिश्चित करना जैसे प्रावधान शामिल होंगे। पहली स्वास्थ्य नीति को विकसित करने के लिए लखनऊ में एक उच्चस्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।इस कार्यशाला का उद्घाटन प्रदेश के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह द्वारा किया गया।
कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए सिंह ने कहा कि सुशासन,कुशल चिकित्सीय मानव-संसाधन की उपलब्धता तथा सुलभ,सुसाध्य एवं गुणवत्तायुक्त चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने में प्रस्तावित स्वास्थ्य नीति मील का पत्थर साबित होगी। उन्होंने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश की प्रस्तावित स्वास्थ्य नीति केन्द्र सरकार द्वारा प्रख्यापित राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017,सस्टेनेबल डेवेलपमेन्ट गोल तथा नीति आयोग के नियोजन नीति के आधार पर विकसित की जा रही है।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश की प्रस्तावित स्वास्थ्य नीति में जिन महत्वपूर्ण विषयों को समाहित किया गया है उनमें एक अलग पब्लिक हेल्थ संवर्ग, पब्लिक हेल्थ एजुकेशन स्कूल की स्थापना, चिकित्सकों एवं सहयोगी संवर्गों के उत्पादन में वृद्धि, चिकित्सा सेवा में नर्सों और आयुष चिकित्सकों की अग्रणी भूमिका सुनिश्चित करना, सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को और महत्व देना, विभिन्न अनिवार्य संवर्गों की नियुक्ति तथा अनुपातिक वितरण सुनिश्चित करना,मानव-संसाधनों की तैनाती और उन्हें बनाए रखने के लिए प्रोत्साहन राशि की व्यवस्था, नियमित प्रशिक्षण और क्षमता संवर्धन, दवाओं की खरीद के लिए अधिक धन का प्राविधान,गुणवत्तायुक्त उपकरणों तथा अनिवार्य और जेनरिक दवाइयों का प्रयोग, विकेन्द्रित दवाई वितरण प्रणाली, सरकारी प्राथमिक चिकित्सा ईकाईयों द्वारा निरोधात्मक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना उच्चतर स्तर को मजबूत करना, डायग्नोस्टिक,रिफरल और इमर्जेंसी सेवा में सुधार करना है।
श्री सिंह ने कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी का बेहतर उपयोग,चिकित्सा में आवश्यक शोध को बढ़ावा देना, चिकित्सा के क्षेत्र में सुशासन हेतु समन्वय, स्वास्थ्य संस्थाओं और सेवाओं का विनियमितीकरण, चिकित्सा की उच्च गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए राज्य बजट में स्वास्थ्य हेतु प्राविधानित बजट में क्रमिक वृद्धि, सामाजिक स्वास्थ्य बीमा में वृद्धि, प्राथमिक और निरोधात्मक स्वास्थ्य के लिए बजट में प्राथमिकता, चिकित्सा उपचार के कारण लोगों पर पड़ने वाले वित्तीय भार को कम करना और सार्वजनिक वित्त प्रबंधन में सुधार उल्लेखनीय हैं।
इसी क्रम में प्रमुख सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण प्रशान्त त्रिवेदी ने सरकार द्वारा चिकित्सकों की कमी,गुणवत्तायुक्त दवाओं की पारदर्शी खरीद और तर्कसंगत वितरण प्रणाली की स्थापना, आदर्श चिकित्सा इकाइयों का विकास, एम्बुलेंस सेवा का सशक्तीकरण और संक्रामक रोगों के विरुद्ध प्रभावी कार्यवाही के विषय में अवगत कराया। उन्होंने कहा कि विभिन्न विभागों, संगठनों एवं जनसहभागिता के आपसी सामंजस्य से ही स्वास्थ्य सुनिश्चित किया जा सकता है और इसके लिए प्रभावी नीति का होना अतिआवश्यक है।
सुश्री वी0 हेकली झिमोमी, सचिव, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा परियोजना निदेशक, उ0प्र0 हेल्थ सिस्टम स्ट्रेन्थनिंग परियोजना ने प्रदेश में विभिन्न रोगों की व्यापकता का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत के संविधान के अनुसार स्वास्थ्य राज्य का विषय है और राज्य के निवासियों के अच्छे स्वास्थ्य को सुनिश्चित करना राज्य की जिम्मेदारी है। इसके अतिरिक्त स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्तर प्रदेश की अपनी समस्याएं एवं प्राथमिकताएं हैं। इन सब तथ्यों को ध्यान में रखते हुए प्रदेश सरकार द्वारा स्वास्थ्य नीति विकसित करने का उत्तरदायित्व उ0प्र0 हेल्थ सिस्टम स्ट्रेन्थनिंग परियोजना को सौंपा गया है। परियोजना द्वारा लगभग एक वर्ष से स्वास्थ्य नीति विकसित करने का कार्य किया जा रहा है। इसके लिए परियोजना द्वारा कई विभागीय, अंतर्विभागीय,क्षेत्रीय एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में कार्यरत अग्रणी एजेन्सियों के साथ बैठकों का आयोजन किया गया। इसके साथ ही नीति के बिन्दुओं के निर्धारण में पहली बार सामान्य जनमानस का भी अभिमत प्राप्त किया गया। स्वास्थ्य के क्षेत्र में सर्वोत्तम कार्यों एवं अभिनव प्रयोगों को प्रस्तावित नीति में सम्मिलित करने के लिए कई अन्य राज्यों का भी भ्रमण किया गया। स्वास्थ्य नीति को उच्चतम् प्राथमिकता प्रदान करते हुए प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री द्वारा स्वयं विशेषज्ञों के दल के साथ महाराष्ट्र एवं आन्ध्र प्रदेश राज्य का भ्रमण किया गया।
कार्यशाला में देश के ख्याति प्राप्त जनस्वास्थ्य विशेषज्ञों एवं प्रशासकों द्वारा प्रतिभाग कर प्रदेश के लिए समग्र एवं सक्षम स्वास्थ्य नीति विकसित करने हेतु महत्वपूर्ण विचार-विमर्श किया गया। इस कार्यशाला में आर0 पूर्णलिंगम,सेवानिवृत्त आई0ए0एस0 एवं वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ,तमिलनाडु, डा0 के0 श्रीनाथ रेड्डी, अध्यक्ष, पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ़ इण्डिया, दिल्ली, स्वास्थ्य मंत्री, भारत सरकार के सलाहकार राजेन्द्र प्रसाद गुप्ता, बिल मिलिण्डा गेट्स फाउंडेशन के भारत में निदेशक नचिकेता मोर, नीति आयोग,भारत सरकार के सदस्य डा0 विनोद पॉल, भारत में विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि डा0 हेंक बेकेडम, प्रमुख सचिव,स्वास्थ्य, प्रशान्त त्रिवेदी, परियोजना निदेशक, उ0प्र0 हेल्थ सिस्टम स्ट्रेन्थनिंग परियोजना वी0 हेकली झिमोमी, मिशन निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, उ0प्र0 पंकज कुमार,महानिदेशक, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य डा0 पद्माकर सिंह,निदेशक, एम्स, ऋषिकेष प्रो0 रविकान्त, महानिदेशक, चिकित्सा शिक्षा डा0 के0के0 गुप्ता, एवं निदेशक पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ़ इण्डिया डा0 प्रीती कुमार आदि उपस्थित रहे।