
जीवन जीने की कला सिखाती कहानी – 65
प्रेरणादायक प्रसंग/कहानियों का इतिहास बहुत पुराना है, अच्छे विचारों को जेहन में गहरे से उतारने की कला के रूप में इन कहानियों की बड़ी भूमिका है। बचपन में दादा-दादी व अन्य बुजुर्ग बच्चों को कहानी-कहानी में ही जीवन जीने का ऐसा सलीका बता देते थे, जो बड़े होने पर भी आपको प्रेरणा देता रहता है। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के वृद्धावस्था मानसिक स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ भूपेन्द्र सिंह के माध्यम से ‘सेहत टाइम्स’ अपने पाठकों तक मानसिक स्वास्थ्य में सहायक ऐसे प्रसंग/कहानियां पहुंचाने का प्रयास कर रहा है…
प्रस्तुत है 65वीं कहानी – एकता का महत्व
एक राजा था। उसका मंत्री बहुत बुद्धिमान था। एक बार राजा ने अपने मंत्री से प्रश्न किया –मंत्री जी! भेड़ों और कुत्तों की पैदा होने की दर में तो कुत्ते भेड़ों से बहुत आगे हैं, लेकिन भेड़ों के झुंड के झुंड देखने में आते हैं और कुत्ते कहीं-कहीं एक आध ही नजर आते है। इसका क्या कारण हो सकता है ?”
मंत्री बोला – “ महाराज! इस प्रश्न का उत्तर आपको कल सुबह मिल जायेगा।”
राजा के सामने उसी दिन शाम को मंत्री ने एक कमरे में 20 कुत्ते बंद करवा दिये और उनके बीच रोटियों से भरी एक टोकरी रखवा दी।”
दूसरे कमरे में 20 भेड़ें बंद करवा दीं और चारे की एक टोकरी उनके बीच में रखवा दी। दोनों कमरों को बाहर से बंद करवाकर, वे दोनों लौट गये।
सुबह होने पर मंत्री राजा को साथ लेकर वहां आया। उसने पहले कुत्तों वाला कमरा खुलवाया। राजा को यह देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ कि बीसों कुत्ते आपस में लड़-लड़कर अपनी जान दे चुके हैं और रोटियों की टोकरी ज्यों की त्यों रखी है। कोई कुत्ता एक भी रोटी नहीं खा सका था।
इसके पश्चात मंत्री राजा के साथ भेड़ों वाले कमरे में पहुंचा। कमरा खोलने के पश्चात राजा ने देखा कि बीसो भेड़ें एक दूसरे के गले पर मुंह रखकर बड़े ही आराम से सो रही थीं और उनकी चारे की टोकरी एकदम खाली थी।
मंत्री राजा से बोला – “ महाराज! कुत्ते एक भी रोटी नहीं खा सके तथा आपस में लड़-लड़कर मर गये। उधर भेड़ों ने बड़े ही प्रेम से मिलकर चारा खाया और एक-दूसरे के गले लगकर सो गयीं।
यही कारण है, कि भेड़ों के वंश में वृद्धि है, समृद्धि है, उधर कुत्ते हैं, जो एक-दूसरे को सहन नहीं कर सकते। जिस बिरादरी में इतनी घृणा तथा द्वेष होगा, उसकी वृद्धि भला कैसे हो सकती है।”
राजा मंत्री की बात से पूरी तरह संतुष्ट हो गया। उसने उसे बहुत-सा पुरस्कार दिया। वह मान गया था, कि आपसी प्रेम तथा भाईचारे से ही वंश वृद्धि होती है।

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